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जितना 15 साल में नहीं बिका, उतना 5 साल में बिका गांजा

Nilmani Pal
6 Dec 2023 6:15 AM GMT
जितना 15 साल में नहीं बिका, उतना 5 साल में बिका गांजा
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नई सरकार आते ही पुलिस-प्रशासन हरकत में, तस्करों में खौफ

ट्रेनों से हर साल होती है 600 करोड़ की तस्करी

छत्तीसगढ़ गांजा और शराब तस्करी का बड़ा कोरिडोर

रायपुर। छत्तीसगढ़ में गांजा तस्करों का सुरक्षित ठिकाना बन चुका है। जितना 15 साल गांजा नहीं बिका उतना पिछले 5 सालों में गांजा की बिक्री हुई है। छत्तीसगढ़ में स्टाक कर पूरे देश में गांजा की सप्लाई कर गांजा तस्कर करोड़ों रुपए के कारोबार को अंजाम देते है। जीआरपी और पुलिस के अधिकारियों की माने तो ओडिशा और आंध्रप्रदेश से हर साल 600 करोड़ से अधिक का गांजा देश के करीब 20 राज्यों में तस्करी कर पहुंचाया जाता है। इन राज्यों में गांजा आपूर्ति का मुख्य रास्ता छत्तीसगढ़ के बस्तर, महासमुंद और रायगढ़ से होकर गुजरता है। इन्हीं तीन जिलों के अलग-अलग रास्तों से तस्कर गांजे की खेप अलग-अलग राज्यों में लेकर जाते हैं। सबसे ज्यादा गांजा हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली, पंजाब, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, मध्यप्रदेश, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, दमन-दीव,हिमाचल प्रदेश, आंधप्रदेश, तेलंगाना, ओडिशा, जम्मू-कश्मीर आदि राज्यों में भेजा जाता है। जानकारों की माने तो ओडिशा से छत्तीसगढ़ होते हुए देशभर में गांजा तस्करी की जा रही है। प्रदेश से कटा हुआ मलकानगिरी की पहाड़ी का हिस्सा ओडिशा में आता है। इस पहाड़ी से छत्तीसगढ़, ओडिशा व आंध्रप्रदेश की सीमा जुड़ी हुई है।

यहीं से गांजे की खरीदी कर ट्रेनों के जरिए दूसरे राज्यों,शहरों में आपूर्ति की जा रही है। पुलिस अधिकारी भी स्वीकार करते है कि ओडि़शा से हो रही गांजे की तस्करी का दस प्रतिशत हिस्सा ही पकड़ा जाता है,शेष की भनक तक नहीं लग पाती। छत्तीसगढ़ के रायपुर रेलवे स्टेशन परिसर गांजा व शराब तस्करों का अड्डा बन चुका है। दरअसल ट्रेनों के जरिए अवैध गांजा, शराब आदि की तस्करी की घटनाएं लगातार सामने आ रही है। रेलवे सुरक्षा बल लगातार कार्रवाई भी कर रहा है। बावजूद इसके तस्करी की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही है। स्टेशन परिसर में ही कई तस्कर गांजा, शराब की खेप ले जाने ट्रेन का इंतजार करते हत्थे चढ़े हैं। पिछले तीन महीने के भीतर ही जीआरपी और आरपीएफ ने मिलकर बीस से अधिक ऐसे मामलों में कार्रवाई कर लाखों का गांजा व शराब बरामद करने के साथ ही मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, दिल्ली, ओडिशा के तस्करों को दबोचने में सफलता प्राप्त की है।

करोड़ों के कारोबार में बड़े-बड़े तस्कर जुड़े हुए है,जो कूरियर ब्वाय के जरिए गांजा मंगवाते है। गांजे की मांग सबसे अधिक ओडिशा के कंधमाल, कालाहांडी, गंजाम, भवानीपटना, मुन्नीमुड़ा, नवरंगपुर, कोरापुट जिले के व्यापारीगुड़ा, आंध्र-ओडिशा बॉर्डर और मलकानगिरी में गांजे की बड़े पैमाने पर खेती होती है। दूसरे राज्यों के खप रहे शराब तस्कर मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, हरियाणा, पंजाब, झारखंड, ओडि़शा आदि राज्यों से बस, ट्रेन या खुद के साधन से शराब लाकर छत्तीसगढ़ में खपा रहे है। ट्रेनों से गांजे की तस्करी पर पूरी तरह से रोक लगाने जीआरपी-आरपीएफ की टीम मिलकर काम कर रही है।ओडि़शा रूट की ट्रेनों पर टीम की हमेशा नजर रहती है। चेकिंग भी कर रहे हैं। यहीं कारण है कि लगातार तस्करों के साथ गांजे की बड़ी खेप के कई मामले हमने पकड़े भी है। तस्करी का रूट ओडिशा व जगदलपुर; ट्रेन, बस और सब्जी की गाडिय़ां छत्तीसगढ़ में 2020 के बाद गांजा तस्करी के बहुत ज्यादा मामले एकाएक सामने आने लगे। माओवादियों के पनाह में किस तरह देश की जवानियां तबाह हो रही है। इसे छत्तीसगढ़ के सीमावर्ती ओडिशा के मलकानगिरी जिले के अंदरूनी क्षेत्र में आसानी से देखा और समझा जा सकता है। यहां करीब 5000 हेक्टेयर में गांजा की अवैध खेती हो रही है। माओवादियों से मोर्चा लेने केन्द्रीय अर्ध सैनिक बलों की तैनाती के बावजूद क्षेत्र में गांजा की खेती और तस्करी थमने का नाम नहीं ले रही है हां फर्क यह जरूर पड़ा है कि साल भर पहले जो गांजा तीन हजार रुपये किलो मिलता था वह अब पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश में जाकर सोने के भाव में तोले के हिसाब से बिक रहा है। इसके दाम बढऩे के कारणों के पीछे माओवादियों की बढ़ती हिस्सेदारी, हालिया विधानसभा और लोकसभा चुनाव को माना जा रहा है। वैसे तो ओडिशा के सभी माओवाद प्रभावित जिले में गांजे की खेती हो रही है पर आंध्र-ओडिशा सीमा चित्रकोण्डा के गांजा को उसकी बेहतरीन क्वालिटी के लिए जाना जाता है। यहां चित्रकोण्डा जलाशय के कट ऑफ एरिया और घने जंगलों के बीच गांजे की खेती हो रही है। इस पहुंच विहीन क्षेत्र में हाल ही में गुरुप्रिया सेतु के निर्माण से लोगों की आवाजाही बढऩे के साथ ही इलाके से गांजे की निकासी आसान हुई है। खुले आम बिकता है गांजा मलकानगिरी के अलावा ओडिशा के कोरापुट जिले के वैपारीगुड़ा, जैपुर, नबरंगपुर गांजा ट्रेडर्स के बड़े केन्द्र हैं पर दीगर राज्यों के तस्करों के लिए हाइवे पर बस बोरीगुमा प्रमुख केन्द्र है। बोरीगुमा क्षेत्र में फल-सब्जी की सबसे बड़ी मंडी है और इसकी आड़ में ट्रकों से गांजा पार हो रहा है। इसके अलावा कुछ तस्कर मलकानगिरी से छत्तीसगढ़ के सुकमा होकर हैदराबाद और रायपुर का रूख कर रहे हैं। इस अवैध कारोबार में पुलिस और सुरक्षा बलों को झांसा देने एम्बुलेंस और लक्जरी वाहनों के साथ महिलाओं का भी इस्तेमाल हो रहा है। बोरीगुमा में अच्छे किस्म का गांजा वर्तमान में 10 से 16 हजार रुपये किलो बिक रहा है जो दिल्ली जैसे शहरों में चिल्हर में 35 से 40 हजार रुपये किलो के दाम पर मिल रहा है और महंगा होने के कारण इसे अब तोले के आधार पर बेचा जा रहा है।

कोरापुट के पास पाड़ वा बाजार में खुलेआम गांजा की खरीदी बिक्री होती है। स्थानीय छोटे विक्रेता वहां से ट्रेन के माध्यम से गांजा ला रहे हैं। जगदलपुर के पनारापारा और गंगामुण्डा सहित बस्तर के हर गांव में वर्षों से गांजा बिक रहा है। शराब के विकल्प और सस्ते नशे के रुप में युवा वर्ग इसे तेजी से अपनाकर तबाही के शिकार हो रहे हैं। गांजा की खेती जून महीने में प्रारंभ होती है और दिसम्बर तक नई फसल मार्केट में आ जाती है। नवरात्रि और मेला जैसे बड़े आयोजनों के दौरान इसकी डिमांड बढ़ जाती है। हरियाणा, दिल्ली जैसे स्थानों के बड़े ट्रेडर्स अपने एजेंटों के माध्यम से सीधे किसानों तक पहुंचकर रेट निर्धारित कर गांजे की खेती के लिए प्रोत्साहित करते हुए आवश्यक संसाधन मुहैया करा रहे हैं जिसमें माओवादियों का हिस्सा भी निर्धारित है। अंतरराज्यीय गांजा तस्करी का गढ़ महासमुंद जिले को तस्करों ने अंतरराज्यीय गांजा तस्करी का गढ़ बना रखा है। सब्जियों की बोरियों में भरकर गांजे की तस्करी करते 4 आरोपी पुलिस के हत्थे चढ़े हैं. उनके पास से 8 क्विंटल गांजा जब्त किया गया है. जिसकी कीमत करीब 1 करोड़ 70 लाख रुपए आंकी गई है। गांजा ओडिशा से नागपुर ले जाया जा रहा था। यह कार्रवाई कोमाखान पुलिस ने की है। जानकारी के मुताबिक ओडिशा पासिंग की कार और महाराष्ट्र पासिंग की पिकअप में गांजा भरकर ले जाया जा रहा था. शातिर तस्करों ने गोभी और आलू की सब्जियों की बोरियों में गांजा भर रखा था. पुलिस ने मुखबिर से सूचना मिलने के बाद रास्ते में चेकिंग शुरू कर दी. नेशनल हाइवे 353 में टेमरी नाका के पास पिकअप वाहन और हुंडई वर्ना कार को रोका गया. जिसकी तलाशी लेने पर अंदर गांजा मिला। तस्करों के लिए जशपुर जिला सबसे सुरक्षित जिला बना हुआ। यही कारण है कि इसी जिले से होते हुए गांजा तस्कर मध्यप्रदेश, बिहार, उतरप्रदेश और दिल्ली तक गांजा तस्करी करते है. हलांकि बीच-बीच में जशपुर पुलिस कार्रवाई के नाम पर सुर्खियां भी बंटोरती है लेकिन तस्कर गांजा तस्करी से बाज नहीं आ रहे है। दरअसल जशपुर जिला झारखण्ड और ओडिशा राज्य से लगा हुआ है। उड़ीसा राज्य के झारसुगड़ा, संबलपुर, अंगुल में चोरी छिपे तरीके से गांजे की खेती की जाती है और यही से देश के अलग-अलग राज्य में गांजे की सप्लाई की जाती है. गांजा तस्करी करने वाले तस्कर छत्तीसगढ़ से ओडि़सा को जोडऩे वाली सड़क जशपुर लावाकेरा और झारसुगड़ा सड़क का उपयोग करते हुए मध्यप्रदेश, उतरप्रदेश, बिहार और दिल्ली तक गांजे की सप्लाई करते है।

पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार ओडिशा में गांजे की कीमत काफी कम है, जबकि दूसरे राज्य में गांजे की कीमत ओडि़सा से कई गुना अधिक है। जानकारी के मुताबिक ओडि़सा में पांच सौ से हजार रूपये किलो के भाव से गांजा मिलते है. वही गांजा छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश में 10 हजार रूपये, दिल्ली, उत्तरप्रदेश और बिहार में 20 से 25 हजार रूपये तक बिकता है। गांजा तस्करी करने वाले तस्कर लग्जरी कार के साथ मोडिफाई कार का भी उपयोग करते है लेकिन कई बार पुलिस भी तस्करों का पैतरे पर पानी फेर देते है. जशपुर जिले में सबसे ज्यादा ओडि़सा बॉर्डर से लगा हुआ तपकरा थाना में गांजे की कार्रवाई हुई है। गांजे की खपत एमपी में हो रही गांजा तस्करी की घटना और पत्थलगांव के हिट एंड रन मामले में एक समानता है कि तस्करी के दोनों मामले में आरोपी मध्यप्रदेश के थे और ओडिशा से गांजे की बड़ी खेप ले जा रहे थे. इन दोनों घटनाओं से स्पष्ट है कि इन दिनों गांजे की खपत मध्यप्रदेश में हो रही है और ओडिशा से भारी मात्रा में माल मध्यप्रदेश जा रहा है. मध्यप्रदेश के गांजा तस्कर बेहद सक्रिय हैं और छग के रास्ते से गांजा की तस्करी की जा रही है? इन रास्तों से एमपी जाता है गांजा ओडिशा से गांजा तस्करी मप्र के लिए हो रही है तो जशपुर के कई थानों की पुलिस को अलर्ट रहने की जरूरत है. क्योंकि कई सड़कें हैं जो मध्यप्रदेश जाने के लिए उपयोग में लाई जाती है. तस्कर छग में प्रवेश करने के लिए जशपुर जिले में तपकरा, कुनकुरी, कांसाबेल व पत्थलगांव होते हुए अंबिकापुर के रास्ते मप्र निकल सकते हैं. तपकरा, कुनकुरी, जशपुर, आस्ता होते हुए बलरामपुर के रास्ते से भी मप्र निकला जा सकता है। तस्करी रोकने के लिए अधिक चौकसी की जरूरत ओडिशा प्रवेश के सभी रास्तों पर रखनी होगी। पुलिस ने ओडिस से जोडऩे वाली सात रास्तों में से तीन रास्तों पर बैरियर लगा कर बारिकी से जाँच करने के बाद भी गांजा तस्कर गच्चा देकर निकल जाते है।

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