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इंदिरा बैंक के खातेदारों को नहीं लौटाई रकम

29 Jan 2024 12:17 AM GMT
इंदिरा बैंक के खातेदारों को नहीं लौटाई रकम
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कोर्ट के आदेश पर पुलिस दोबारा कर रही जांच, कई कारोबारियों ने रकम लौटाए इंदिरा प्रियदर्शनी बैंक के अधिकांश डायरेक्टर कांग्रेसी नेता जिसमें से कई का हो चुका है निधन कई से पूछताछ नहीं जिसकी वजह से हो रही जांच में देरी रायपुर। प्रदेश के बहुचर्चिचत इंदिरा प्रियदर्शनी बैंक के निवेशकों के बारे में किसी …

  • कोर्ट के आदेश पर पुलिस दोबारा कर रही जांच, कई कारोबारियों ने रकम लौटाए
  • इंदिरा प्रियदर्शनी बैंक के अधिकांश डायरेक्टर कांग्रेसी नेता जिसमें से कई का हो चुका है निधन
    कई से पूछताछ नहीं जिसकी वजह से हो रही जांच में देरी

रायपुर। प्रदेश के बहुचर्चिचत इंदिरा प्रियदर्शनी बैंक के निवेशकों के बारे में किसी भी सरकार ने रकम लौटाने के मामले में कोई निर्णय अब तक नहीं लिया है। जबकि इंदिरा प्रियदर्शनी बैंक के घोटाले आरोपी व्यापारियों ने अब तक करोड़ों रुपए की वापसी कर दी है। निवेशकों का कहना है कि रकम की वापसी हो रही है तो हमारे भी रकम वापसी पर सरकार कोई ठोस निर्णय ले ताकि हमारी माली हालत सुधर सके। बैंक बंद होने के बाद से सैकड़ों निवेशक कर्ज चुकाते-चुकाते हलाकान है।

इंदिरा प्रियदर्शनी बैंक घोटाला की जांच तत्कालीन सरकार ने दिए थे, जिसके बाद से संबंधित जिम्मेदारों के नार्को टेस्ट से लेकर तमाम जांच बिंदुओं पर जांच आगे बढ़ती रही। कोर्ट के आदेश के बाद संबंधितों के खिलाफ कुर्की के आदेश देते ही घोटाले से जुड़े आरोपी व्यापारियों ने रकम लौटाना शुरू कर दी है। लेकिन पूर्ववर्ती और वर्तमान सरकार ने निवेशकों के पैसे लौटाने के बारे में अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया है। जिससे निवेशक संशय की स्थिति में है पैसा मिलेगा या डूब जाएगा। हालांकि पुलिस ने इस मामले में अब तक कोई गिरफ्तारी नहीं की है, मगर पीडि़तों का 2.5 करोड़ रुपए वापस जमा कराया गया है। कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई के दौरान पुलिस से सवाल किया है कि इस मामले की जांच को तीन माह से अधिक समय गुजर चुका है। मगर अब तक पूरक चार्जशीट पेश क्यों नहीं की गई। कोर्ट ने जांच की वर्तमान स्थिति की जानकारी उपलब्ध कराने को कहा है।

बता दें भाजपा शासन काल में वर्ष 2006 में इंदिरा प्रियदर्शनी बैंक में करोड़ों का घोटाला हुआ था। इसके बाद से मामले की जांच चल रही है। वहीं कोर्ट के आदेश पर फिर से पुलिस ने फाइल खोलकर जांच शुरू की है। उद्योगपति नीरज जैन से कोतवाली पुलिस पूछताछ कर चुकी है। आरोप है कि मूलत: जगदलपुर निवासी नीरज जैन ने इंदिरा प्रियदर्शनी बैंक के अधिकारियों से मिलीभगत कर फर्जी तरीके से लिमिट बढ़ाकर शेयर खरीदा था। वर्तमान में वे नागपुर, महाराष्ट्र में रह रहे हैं।

उप महाधिवक्ता संदीप दुबे ने बताया कि रजिस्ट्रार आफ कंपनी को नोटिस जारी कर बैंक घोटाले से जुड़े 29 कंपनियों की सूची भेजकर उनके डायरेक्टर, शेयर धारकों के बारे जानकारी मांगी है। वर्ष 2002 से 2007 के बीच शेयर खरीदे गए थे। कुल 34 कंपनियों में 29 छत्तीसगढ़ और पांच कंपनियां महाराष्ट्र की है। कोर्ट के आदेश पर पुलिस नए सिरे से घोटाले की जांच कर रही है।

बता दें कि 40 में से सिर्फ आधा दर्जन कंपनियों ने ही पैसा लौटाया है। बाकी पैसा लौटाने में आनाकानी कर रहे हैं। पुलिस ने उन्हें फिर से नोटिस जारी किया है। इस मामले में पुलिस ने बैंक घोटाले के मुख्य आरोपी तत्कालीन मैनेजर उमेश सिन्हा का नार्को टेस्ट कराया था। टेस्ट का वीडियो उसी समय वायरल हुआ था। उसमें राज्य के कई प्रभावशाली लोगों के नाम का जिक्र किया गया था। उन्हें घोटाले का पैसा पहुंचाने की बात कही गई थी। इसे लेकर कांग्रेस ने कई बार कार्रवाई की मांग की। सरकार में आने के बाद नार्को रिपोर्ट के आधार पर जांच के लिए कोर्ट में अर्जी लगाई गई। कोर्ट ने उसी आधार पर फिर से पुलिस को जांच के निर्देश दिए हैं, लेकिन पुलिस ने अब तक किसी को नया आरोपी नहीं बनाया है।

बैंक में 25 हजार खाता धारक

पुलिस ने अपनी जांच में पाया है कि इंदिरा प्रियदर्शनी बैंक में 25 हजार खाता धारक थे, जिन लोगों ने अपनी कमाई जमा की थी। बैंक में ज्यादातर खाता धारक मध्यम वर्ग अथवा निम्न आय वर्ग वाले लोगों के थे। उन्हीं मध्यम व गरीब आय वर्ग वाले लोगों की जमा पूंजी में इंदिरा प्रियदर्शनी सहाकारी समीति से जुड़े लोगों ने घोटाला किया है।

एक लाख से कम जमा, बीमा कंपनी ने वापस की रकम

मामले की पड़ताल में पुलिस को जानकारी मिली है कि बैंक में जिनके एक लाख रुपये से कम की रकम जमा थी, बीमा कंपनी ने उन्हें रकम वापस लौटाई है। एक लाख रुपये से कम की रकम कितने खाताधाराकों का जमा था, पुलिस के पास फिलहाल इस बात की कोई जानकारी नहीं है। पुलिस इस संबंध में पड़ताल करने की बात कह रही है।

जांच शुरू होने के बाद कईयों ने बंद किए नंबर

घोटाले की जांच शुरू होते ही पुलिस ने कुछ लोगों को फोन किए हैं। पूर्व में हुई जांच में 19 आरोपितों के खिलाफ अपराध दर्ज किया गया था। इसमें से छह की मौत हो चुकी है। 13 से पूछताछ होगी। मैनेजर से पूछताछ में पुलिस को जानकारी हाथ लगी है कि किसको कितनी रकम दी गई और किसकी क्या भूमिका रही।

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