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हारे-पिटे नेता कैसे जिताएंगे लोस चुनाव!

28 Jan 2024 1:06 AM GMT
हारे-पिटे नेता कैसे जिताएंगे लोस चुनाव!
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सर्वे किसके लिए ? एक विधानसभा नहीं जीतने वाले कैसे 8 विधानसभा वाले लोकसभा में जीतेंगे नए कैंडिडेट को मैदान में उतारने में ही सर्वे लाभदायक साबित होगा रायपुर । सांसद और कांग्रेस स्क्रीनिंग कमेटी की प्रमुख रजनी पाटिल का दावा है कि सर्वे रिपोर्ट के आधार पर जल्द ही छत्तीसगढ़ में प्रत्याशियों की घोषणा …

सर्वे किसके लिए ?

एक विधानसभा नहीं जीतने वाले कैसे 8 विधानसभा वाले लोकसभा में जीतेंगे
नए कैंडिडेट को मैदान में उतारने में ही सर्वे लाभदायक साबित होगा

रायपुर । सांसद और कांग्रेस स्क्रीनिंग कमेटी की प्रमुख रजनी पाटिल का दावा है कि सर्वे रिपोर्ट के आधार पर जल्द ही छत्तीसगढ़ में प्रत्याशियों की घोषणा कर दी जाएगी। सवाल यह उठता है कि विधानसभा चुनाव में हारे-लुटे-पीटे नेताओं को ही यदि मैदान में उतारना है तो सर्वे के आधार पर टिकट देना न्याय संगत नहीं होगा, क्यंोंकि वही चेहरे मैदान में जाएंगे तो मतदाता पोलिंग बूथ तक जाएंगे ही नहीं। इसलिए यदि नए कैंडिडेट को लोकसभा के मैदान में उतारते है तो ही सर्वे फायदेमंद हो सकता है नहीं तो यह सिर्फ ढकोसला साबित होगा।

रजनी पाटिल ने कहा कि चुनाव समिति की बैठक में संभावित उम्मीदवारों को लेकर सार्थक चर्चा हुई है। किस तरह की रणनीति बनाकर चुनाव में जाएं इस पर रायशुमारी की गई है। आगामी सप्ताह में दिल्ली में बैठक के बाद उम्मीदवारों की घोषणा कर दी जाएगी। पूर्व मंत्रियों को चुनाव मैदान में उतारने के मामले में स्क्रीनिंग प्रमुख ने कहा कि अलग-अलग मापदंड के आधार पर ही उम्मीदवार का चयन किया जाएगा। पाटिल के मुताबिक कांग्रेस की सर्वे रिपोर्ट भी 30 जनवरी तक आ जाएगी। इसके बाद प्रत्याशियों की घोषणा की जाएगी।
हारे हुए मंत्रियों को लोकसभा का टिकट देना समझ से परे है। जो मंत्री अपनी विधानसभा सीट नहीं बचा पाया वो कैसे लोकसभा क्षेत्र के 8 विधानसभा में जीत दर्ज करेंगे। पूर्व मंत्रियों को टिकट देने से कांग्रेस को एक फायदा होगा कि उसे फंडिंग का इंतजाम नहीं करना पड़ेगा। पूर्व मंत्री अपने खर्चे से भी लड़ सकते है। यहां सर्वे के नाम पर नए और जीताऊ उम्मीदवारों की अनदेखी तो नहीं कर रही है कांग्रेस यह विचारणीय प्रश्न है। क्योंकि सर्वे रिपोर्ट मौजूदा सरकार के रहते तैयार हुई होगी और अब मामला ही उलट हो चुका है, ऐसे में नए उम्मीदवार ही ज्यादा सफल हो सकते है। यह भाजपा का फार्मूला है जिस पर सबसे ज्यादा सफल रहा है।

भूपेश बघेल और टीएस के ना के बाद क्या होगा

लोकसभा चुनाव लडऩे के मूड में नहीं है। दोनों दिग्गजों पूर्व सीएम भूपेश बघेल और पूर्व उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव चुनाव लडऩे के बजाय चुनाव मोर्चा संभालना चाहते है। भूपेश का नाम राजनांदगांव लोकसभा सीट से और सिंहदेव का नाम बिलासपुर लोकसभा सीट से चर्चा में है। बैठक के बाद पूर्व सीएम भूपेश ने मीडिया से चर्चा करते हुए प्रत्याशी बनाए जाने के सवाल पर कहा कि मुझे पूरे प्रदेश में घूमकर प्रचार करना चाहिए, तो लाभ मिल सकता है। दोनों ने चुनाव नहीं लडऩे की इच्छा जाहिर की है।

कांग्रेस में हताशा, एक सीट भी नहीं मिलेगी: नेताम

कांग्रेस की बैठक पर मंत्री रामविचार नेताम ने तंज कसते हुए कहा कि चुनावी मैदान में कांग्रेस पूर्व मंत्री और पूर्व सांसद को उतारेंगे यह उनका निजी मामला है। कांग्रेस एक तरह से निराशा और हताशा में है। विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद कांग्रेस हिल गई है। उन्हें यह भी लगने लगा है कि एक भी सीट पाना अब उनके लिए मुश्किल काम हो गया है।

रामलला फैक्टर भारी पड़ रहा कांग्रेस को

खबर है कि रामलला फैक्टर पर कांग्रेस बहुत पीछे चली गई है। रामलला मंदिर के उद्घाटन समारोह में निमंत्रण को सम्मान अस्वीकार कर कांग्रेस ने अपने ही पार्टी के लाखों सनातनियों को ठेस पहुंचाया है। जब निमंत्रण अस्वीकार करने के बाद बहुत ज्यादा किरकिरी होने लगी तो कुछ कांग्रेसियों निमंत्रण अस्वीकार से अलग हटकर रामलला के स्वागत में दीए भी जलाए और हनुमाल चालीसा का पाठ भी किया। मगर यह भी काम नहीं आया ऐसा लोगों का कहना है।

पीएम मोदी सहित भाजपा का ग्राफ बढ़ा

पूरे विश्व में रामलला मंदिर के उद्घाटन के बाद पीएम मोदी का कद तो बढ़ा ही, साथ ही भाजपा का ग्राफ भी बहुत ऊपर पहुंच गया है, जहां तक कांग्रेस को पहुंचना नामुमकिन है। जिससे लोकसभा चुनाव में छत्तीसगढ़ से एक भी सीट की उम्मीद नहीं की जा सकती। देश में रामलला मंदिर के उद्घाटन समारोह में न जाकर कांग्रेस ने अपने पैर में कुल्हाड़ी मार ली ऐसा कहा जा रहा है।

यदि निमंत्रण स्वीकार करते तो बात ही कुछ और होती

कहा जा रहा है कि यदि कांग्रेस रामलला के निमंत्रण को स्वीकार कर लेता तो बात ही कुछ और होती । मंच पर जब कांग्रेसी नजर आते तो देश में उनका भी कद बढ़ता और लोकसभा चुनाव में बराबरी का फाइट करने की ताकत भी मिलती । क्योंकि तब मोदी के साथ मंच पर कांग्रेसी भी नजर आते और भारत जोड़ो न्याय यात्रा का लाभ सीधे कांग्रेस के खाते में जाता । अब गलती हो गई तो इसका खामियाजा तो भुगतना ही पड़ेगा।

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