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छितिज के पार

1 Feb 2024 3:34 AM GMT
छितिज के पार
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राजनांदगांव। मोखला निवासी पाठक रोशन साहू ने एक कविता ई मेल किया है. दिशाओं के उस पार भी तो है दिशाएँ। प्रतीक्षारत अभिनन्दन आतुर बस तुम्हारे लिए । जानी पहचानी संसार मे रहने के आकांक्षी? अपुन बोले तो अभ्यस्त। अनजाना भय व्याप्त रहेगा या ! क्या! अब भी दस्तक नही दोगे? शायद तुम नही जानते …

राजनांदगांव। मोखला निवासी पाठक रोशन साहू ने एक कविता ई मेल किया है.

दिशाओं के उस पार भी तो है
दिशाएँ।
प्रतीक्षारत अभिनन्दन आतुर
बस तुम्हारे लिए ।
जानी पहचानी संसार मे रहने के
आकांक्षी?
अपुन बोले तो अभ्यस्त।
अनजाना भय
व्याप्त रहेगा या !
क्या! अब भी
दस्तक नही दोगे?
शायद तुम नही जानते
कि-
वे जानते हैं तुम्हें
कइयों बरस और
कइयों जन्मों से
कि तुम आओ तो सही
मुक्कमल मुलाकात कर सको।
नहीं तो फिर से न जाने
जन्म मरण के कितने फेरे!
छितिज के उस पार से
इस पार।
राह में
अनेकानेक आकाशगंगा
सहस्त्रों ग्रह नक्षत्र तारों
को पार करते
निहारते।

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