कौशल्या धाम "टेकारी" की बेटी अंतरा भी संवार रही है अयोध्या नगरी को
रायपुर। भगवान राम के ननिहाल माता कौशल्याधाम चंदखुरी के निकट टेकारी-करही के भूतपूर्व मालगुजार स्व. चंडीप्रसाद उपाध्याय की प्रपौत्री, स्व. दुर्गाप्रसाद उपाध्याय एवं चंद्रमुखी उपाध्याय की पौत्री तथा अरुण शर्मा एवं प्रज्ञा शर्मा की पुत्री युवा आर्किटेक्ट अंतरा शर्मा इन दिनों अयोध्या को संवार रही है। आर्किटेक्ट अंतरा शर्मा अयोध्या के पुराने मठ-मंदिरों के जीर्णोद्धार …
रायपुर। भगवान राम के ननिहाल माता कौशल्याधाम चंदखुरी के निकट टेकारी-करही के भूतपूर्व मालगुजार स्व. चंडीप्रसाद उपाध्याय की प्रपौत्री, स्व. दुर्गाप्रसाद उपाध्याय एवं चंद्रमुखी उपाध्याय की पौत्री तथा अरुण शर्मा एवं प्रज्ञा शर्मा की पुत्री युवा आर्किटेक्ट अंतरा शर्मा इन दिनों अयोध्या को संवार रही है। आर्किटेक्ट अंतरा शर्मा अयोध्या के पुराने मठ-मंदिरों के जीर्णोद्धार के साथ-साथ वहां जन सुविधाएं बढ़ाने में जुटी हुई है। अब तक अंतरा शर्मा अयोध्या में दशरथ महल, रंग महल और राम कचहरी आदि को संवार चुकी हैं।
युवा आर्किटेक्ट अंतरा शर्मा ने बातचीत करते हुए बताया कि उनकी फर्म कबीरा और मेरीगोल्ड को अभी अयोध्या में 37 मठ-मंदिरों का काम मिला हुआ है, जिसे वह तत्परता से संवारने में जुटी हुई है। अंतरा शर्मा ने बताया कि अयोध्या में उनके कामों को इतना अधिक पसंद किया जा रहा है, कि उत्तरप्रदेश सरकार की ओर से उन्हें 106 मठ-मंदिरों का नया प्रोजेक्ट भी मिलने की संभावना है, जिसे जल्द ही वे संवारने पर जुट जाएंगी। आर्किटेक्ट में बैचलर डिग्री और कंजर्वेशन में मास्टर डिग्री हासिल करने वाली अंतरा शर्मा ने बताया कि मठ-मंदिरों के जीर्णोद्धार के काम में सबसे बड़ी चुनौती संत-महंतों को अपनी बात समझाने की होती है और उन्हें यह भी विश्वास दिलाना होता है कि पुराने मठ मंदिरों को नए सिरे से संवारने पर उनका मूल स्वरूप पर कोई भी असर नहीं पड़ेगा। अंतरा शर्मा ने बताया कि वर्तमान में वे हनुमान गढ़ी मंदिर के वीआईपी प्रवेश द्वार को चौड़ा करने का काम कर रही हैं। पहले इसकी चौड़ाई महज 10 फीट थी, जिससे भीड़ बढऩे पर श्रद्धालुओं को काफी परेशानी होती थी।
अब इसे 21 फीट का किया जा रहा है। इसका प्रस्ताव मेरीगोल्ड की ओर से महंत संजय दास महाराज के पास दिया गया था। यह काम आधुनिक और प्राचीन पद्धति को मिलाकर किया जा रहा है। इसके पूर्व अंतरा शर्मा श्रीनगर, दिल्ली, मैसूर, असम समेत कई शहरों में धार्मिक और पुरातात्विक धरोहरों के संरक्षण के लिए काम कर चुकी है।
अपनी कार्य पद्धति पर प्रकाश डालते हुए युवा आर्किटेक्ट अंतरा शर्मा बताती हैं कि वे मठ-मंदिरों के जीर्णोद्धार के दौरान चूना, सुर्खी, दाल, पतली ईंट और लाल पत्थरों का ही इस्तेमाल करती हैं, जिससे उसकी प्राचीनता में कोई प्रभाव न पड़े। वे बताती हैं कि जन सुविधाओं को देखते हुए इन स्थलों में कुर्सी, बेंच, पेयजल, शौचालय आदि की भी व्यवस्था बना रही हैं, ताकि यहां पहुंचने वाले पर्यटकों को अधिक सुविधा मिल सके। उन्होंने बताया कि जीर्णोद्धार के लिए प्रारंभिक चरण सर्वे है, जो पर्यटन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार करते हैं। रिपोर्ट तैयार कर पर्यटन विभाग को भेजते हैं। फिर फाइनल बजट के हिसाब से ड्राइंग, डिजाइन तय होती है। अंतरा शर्मा ने बताया कि फैजाबाद से 4 पुराने गेट वे को संरक्षित करने के काम में यूपीपीसीएल के साथ मिलकर कार्य कर रही हैं। युवा आर्किटेक्ट अंतरा शर्मा ने कहा कि वह चंदखुरी (पैतृक गांव) में कौशल्या माता मंदिर के जीर्णोद्धार कार्य को देखने को लेकर भी काफी उत्सुक है और अपने पैतृक राज्य में भी कार्य करने को उत्सुक है। ज्ञातव्य है कि अंतरा शर्मा वरिष्ठ अधिवक्ता एवं समाजसेवी भूपेंद्र शर्मा, विनोद शर्मा, प्रमोद शर्मा, प्रशांत शर्मा एवं प्रवीण शर्मा की भतीजी हैं।