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CG-DPR
महिलाओं की अब तक 1.20 लाख हुई आमदनी, इस वर्ष आलू की खेती व मछली पालन से 8 लाख तक की होगी आय
jantaserishta.com
25 Sep 2022 2:53 AM GMT
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जशपुरनगर: छत्तीसगढ़ शासन की महत्वाकांक्षी योजना नरवा, गरवा, घुरूवा, बाड़ी योजना के तहत ग्राम पंचायतों में ग्रामीण औद्योगिक केंद्र के रूप में गौठान का विकास किया जा रहा है। गौठानों में आजीविका संवर्धन की विविध गतिविधियों के माध्यम से बड़ी संख्या में ग्रामीण महिलाओं एवं पशुपालकों को नियमित रोजगार उपलब्ध हो रहा है। गोधन न्याय योजना के तहत ग्रामीण गोबर बेचकर धनार्जन कर रहे हैं। वहीं महिला स्व-सहायता समूह को जैविक खाद निर्माण और विक्रय से रोजगार मिल रहा है। महिलाओं को अतिरिक्त आमदनी प्रदान करने हेतु गौठानों में साग-सब्जी का उत्पादन मुर्गी-बकरी पालन सहित अन्य गतिविधियां भी की जा रही है। जो उनकी अतिरिक्त आमदनी का जरिया बन गया है। जिससे महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही है एवं अपने परिवार की आय बढ़ाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान निभा रही है।
इसी कड़ी में जशपुर जिले के जनपद पंचायत बगीचा अंतर्गत ग्राम पंचायत पंडरापाठ गौठान के महिला स्व सहायता समूह द्वारा गौठान में जैविक खाद उत्पादन के साथ ही अन्य विविध गतिविधियां कर रही है। इससे महिलाएं आर्थिक रूप से मजबूत होने के साथ ही सामाजिक रूप से सुदृढ़ भी हुई हैं। गौठान से जुड़ी तीन महिला समूहों के द्वारा लगभग गौठान के 7 एकड़ भूमि में 150 क्विंटल आलू की खेती की गई है। जिसमें ज्योति स्वसहायता समूह, कृष्णा स्व सहायता समूह एवं लक्ष्मी स्व सहायता समूह की महिलाएं शामिल है। महिलाओं द्वारा हल्दी व मक्का की फसल ली गई है एवं साग सब्जी उत्पादन के रूप में टमाटर एवं भिंडी की भी खेती की गई है।
समूह की महिलाओं का कहना है की इस वर्ष आलू का फसल अच्छी हुई है, जिससे पर्याप्त मात्रा में आलू का उत्पादन होगा एवं उसके विक्रय से उन्हें लगभग 7 लाख तक की आमदनी प्राप्त होगी। उनकी मक्का, टमाटर व भिंडी की फसल भी जल्द ही तैयार हो जाएगी। स्थानीय बाजार एवं मंडियों में कर जिसके विक्रय से उन्हें त्वरित लाभ होगा। समूह की महिलाओं ने बताया कि आजीविका गतिविधियों के रूप में उनके द्वारा गौठान में आलू चिप्स बनाना, एवं तेल पिराई का भी कार्य किया जाता है। साथ ही मुर्गी-बकरी पालन भी कर रही है। इस हेतु पशुपालन विभाग द्वारा उन्हें मुर्गी बकरी यूनिट प्रदान की गई है एवं रख रखाव हेतु आवश्यक प्रशिक्षण भी प्रदान किया गया है। महिलाओं ने बताया कि उनके द्वारा इस वर्ष गौठान परिसर में निर्मित डबरी में मछली पालन भी किया गया है। जिसके विक्रय से भी उन्हें अच्छा लाभ होगा। उन्होंने बताया कि उनके द्वारा अब तक गौठान में पशुपालकों से 46,662 किलोग्राम गोबर क्रय किया गया है। जिससे अब तक लगभग 20 क्विंटल जैविक खाद का निर्माण भी किया जा चुका है। जिसे सहकारी समितियों के माध्यम से किसानों को विक्रय किया जा रहा है। साथ ही टाको में भरे खाद का नियमित रूप से छनाई एवं पैकिंग का कार्य महिलाओं द्वारा किया जा रहा है। महिलाओं ने गोधन न्याय योजना की सराहना करते हुए कहा कि यह योजना उनके लिए काफी लाभदायक साबित हुई है। अब वे अपने घरेलू काम काजो के साथ अन्य कार्य भी कर रही है। गौठान में उन्हें नियमित रूप आय के स्रोत हेतु रोजगार मिला है। जहां जिला प्रशासन की सहयोग से विभिन्न विभागों में संचालित योजनाओं का लाभ दिया जा रहा है। मुर्गी-बकरी पालन हेतु प्रशासन द्वारा गौठान में शेड का निर्माण किया गया है। जहाँ विभाग से प्राप्त मुर्गी बकरी को रखकर उनका पालन किया जा रहा है। महिलाओं की नियमित देख रेख एवं उचित ख्याल रखने से चूजे जल्द ही बड़े हो रहे है एवं जल्द ही विक्रय के लिए उपलब्ध होंगे। समूह की महिलाओं को विभाग द्वारा पूरा सहयोग प्रदान किया जाता है।
समूह की महिलाओं ने बताया कि गौठान में संचालित सभी गतिविधियों से अब तक उन्हें
लगभग 1.20 लाख की आमदनी हुई है। साथ ही इस वर्ष आलू की खेती एवं मछली पालन से उन्हें लगभग 8 लाख तक की आय प्राप्त होगी। महिलाओं ने कहा कि प्रदेश सरकार की इस जनकल्याणकारी योजना से ग्रामीण महिलाओं एवं उनके परिवार को अत्यधिक लाभ हुआ है। उनकी परिवार की आय बढ़ी है एवं आर्थिक रूप से मजबूत हुए है। उन्होंने गौठान में संचालित मल्टी एक्टिविटी गतिविधियों से जोड़कर महिलाओं को उद्यमिता की राह पर अग्रसर करने हेतु प्रदेश सरकार एवं जिला प्रशासन का आभार व्यक्त करते हुए धन्यवाद दिया है।
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