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यूनिसेफ इंडिया ने छत्तीसगढ़ में न्यूट्रिशन के क्षेत्र में किए जा रहे कार्यों की प्रशंसा की

jantaserishta.com
16 Sep 2022 2:40 AM GMT
यूनिसेफ इंडिया ने छत्तीसगढ़ में न्यूट्रिशन के क्षेत्र में किए जा रहे कार्यों की प्रशंसा की
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रायपुर: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से उनके निवास कार्यालय में यूनिसेफ इंडिया के प्रमुख यासूमासा किमुरा ने सौजन्य मुलाकात की। उन्होंने छत्तीसगढ़ में न्यूट्रिशन के क्षेत्र में अच्छे कार्याें के लिए मुख्यमंत्री श्री बघेल को बधाई दी। मुलाकात के दौरान श्री किमुरा ने छत्तीसगढ़ में कुपोषण मुक्ति अभियान की प्रशंसा करते हुए कहा कि बच्चों में कुपोषण और महिलाओं में एनीमिया दूर करने के लिए राज्य में अच्छा काम हो रहा है। श्री किमुरा ने कहा कि मुख्यमंत्री के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ में हेल्थ के क्षेत्र में हो रहे कार्याें की वजह से छत्तीसगढ़ के हेल्थ इंडेक्स में काफी उल्लेखनीय सुधार हुआ है। यह उत्साहजनक है। यूनिसेफ इससे काफी प्रभावित है।
श्री किमुरा ने मुख्यमंत्री को बताया कि यूनिसेफ इंडिया की टीम ने बस्तर अंचल के नारायणपुर, कोण्डागांव और बस्तर जिले का भ्रमण किया था और वहां मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के किए जा रहे कार्याें को नजदीक से देखा। उन्होंने कहा कि मलेरिया उन्मूलन के क्षेत्र में भी काफी अच्छा काम हुआ है। जिससे मलेरिया के मामलों में कमी आई है। लोगों को अच्छी स्वास्थ्य सुविधाएं मिल रही हैं और उनकी दिक्कतें दूर हुई हैं। लोगों में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ी है। इस परिवर्तन को यूनिसेफ की टीम ने भी महसूस किया है। छत्तीसगढ़ में यूनिसेफ के प्रमुख श्री जॉब जकारिया सहित यूनिसेफ के श्री सैम सुधीर बंडी, डॉ. अर्पणा देश पाण्डेय, श्री विशाल वासवानी इस अवसर पर उपस्थित थे।
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की पहल पर कुपोषण और एनीमिया की समस्या के समाधान के लिए बस्तर अंचल से मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान की शुरूआत की गई थी। जिसमें मिली सफलता को देखते हुए इस अभियान का पूरे राज्य में विस्तार किया गया है। मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान से छत्तीसगढ़ में लगभग 2 लाख 10 हजार बच्चे कुपोषण से मुक्त हो चुके हैं। इसी तरह एक लाख महिलाएं एनीमिया से मुक्त हो चुकी हैं। इस अभियान के तहत बच्चों और महिलाओं को स्थानीय पोषक आहार, गरम भोजन, अण्डा, चिक्की, मूंगफली, चना, कुछ स्थानों पर मिलेट्स के साथ रेडी-टू-ईट पूरक पोषण आहार दिया जा रहा है। इस अभियान में महिला स्व-सहायता समूहों की मुख्य भागीदारी है।
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