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गरियाबंद: गरियाबंद जिले में कई किसान अब परम्परागत धान की खेती के बदले उद्यानिकी फसलों की खेती कर रहे हैं। राष्ट्रीय बागवानी मिशन एवं राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी योजना नरवा, गरवा, घुरूवा, बाड़ी से उनके खेत और जीवन पुष्पित एवं पल्लवित होने लगी है। ग्रामीण शासन की पोषण बाड़ी योजना अंतर्गत अपनी बाड़ी में सब्जियों की पैदावारी लेकर घर की आमदनी बढ़ाने में भी सफल हो रहे हैं। फिंगेश्वर विकासखण्ड अंतर्गत ग्राम पीपरछेड़ी के किसान परमेश्वर निर्मलकर ने उद्यानिकी विभाग के मार्गदर्शन में अपने 0.400 रकबा के बाड़ी में आज अपने मेहनत और लगन से लाल भाजी, टमाटर, मूली, मेथी सब्जियों का उत्पादन कर रहा है। साथ ही बड़े पैमाने पर बैगन की खेती कर रहा है। उन्होंने बताया कि पहले वे धान की खेती कर रहे थे, लेकिन विभाग के संपर्क में आने के बाद खेती करने के तरीके और तकनीक में सुधार आया। अब वे धान फसल के बदले बैगन की खेती कर रहे है। योजना अंतर्गत प्रति एकड़ 8000 रूपये अनुदान की सहायता राशि भी मिली। जिससे फसल संरक्षण और पैदावार बढ़ाने में उपयोग किया। श्री निर्मलकर ने बताया कि धान का उत्पादन जहां 20 क्विंटल तक सीमित थी, वहीं बैगन में 100 क्विंटल तक उत्पादन हो रहा है। धान की खेती में जहां 20 हजार रुपये तक बचत हो रहा था। वहीं बैगन की खेती से 65 हजार रुपये का लाभ हुआ है। बाड़ी में उत्पादित सब्जियों को स्थानीय बाजार में विक्रय कर 5-10 हजार रूपये का अतिरिक्त लाभ अर्जित कर रहे हैं। उक्त योजना अब परमेश्वर के परिवार के लिए सब्जी की उपलब्धता के अलावा आर्थिक आमदनी का जरिया बन गया है। अब परिवार के सदस्यों के लिए अपने बाड़ी में ही काम मिल गया है। परमेश्वर निर्मलकर अपनी आमदनी से खुश होकर परिवार के माली हालत में सुधार हेतु सहयोग के लिए शासन-प्रशासन के प्रति आभार व्यक्त किया है।
jantaserishta.com
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