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भगवान राम से प्रेरणा लेकर, स्त्री की अस्मिता की रक्षा ही सही मायनों में दशहरा का पर्व होगा: राज्यपाल अनुसुईया उइके

jantaserishta.com
6 Oct 2022 11:44 AM GMT
भगवान राम से प्रेरणा लेकर, स्त्री की अस्मिता की रक्षा ही सही मायनों में दशहरा का पर्व होगा: राज्यपाल अनुसुईया उइके
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रायपुर: राज्यपाल अनुसुईया उइके दशहरा के अवसर पर भिलाई के रिसाली स्थित दशहरा मैदान में आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुई। उन्होंने कहा कि भगवान राम स्त्री की अस्मिता के रक्षक हैं। आज ही के दिन उन्होंने अधर्मी रावण का वध कर बुराई का अंत किया था। राज्यपाल सुश्री उइके ने कहा कि स़्त्री अस्मिता की रक्षा ही सही मायनों में दशहरा का पर्व है। उन्होंने कहा कि हमारे समाज में कई ऐसे आसुरी प्रवृत्ति के लोग हैं जो एक स्त्री की अस्मिता को तार-तार कर रहे हैं। हमें उन लोगों से हमारे समाज को मुक्त करना है। उन्होंने कहा कि आज के ही दिन ही देवी दुर्गा ने भी महिषासुर का वध कर आसुरी शक्ति का नाश किया था। इसलिए यह दिन असत्य, बुराई और अधर्म पर सत्य, अच्छाई और धर्म की जीत के रूप में मनाया जाता है।
शाही दशहरा उत्सव महिला समिति भिलाई द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में उन्होंने सभा को संबोधित करते हुए, वहां उपस्थित सभी लोगों को एवं देश-प्रदेश के सभी जनमानस को दशहरा उत्सव की बधाई एवं शुभकामनाएं दीं। साथ ही उन्होंने राम, सीता, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न का रूप धारण किए हुए बच्चों को भी विशेष रूप से बधाई दीं। उन्होंने कहा कि यह जनमानस के लिए हर्ष और उल्लास का पर्व है। इस दिन देश भर में मेले का, रामलीला का आयोजन होता है। उन्होंने कहा कि दशहरा अथवा विजयादशमी भगवान राम की विजय के रूप में मनाया जाए अथवा दुर्गा पूजा के रूप में, दोनों ही रूपों में बुरी शक्तियों का अंत और भगवान के पवित्र एवं अदम्य शक्ति की पूजा का पर्व है। इसलिए हम बुराई के प्रतीक, रावण का पुतला बनाकर उसे जलाते हैं। ताकि समाज बुराई के प्रति संवेदनशील हो और असत्य और बुराई को नाश करने की क्षमता प्रकट हो। हम काम, क्रोध, लोभ, मोह,घृणा, द्वेष, अहंकार, आलस्य, हिंसा और चोरी जैसे बुराईयों से मुक्त हो सकें और एक बेहतर तथा सभ्य समाज का निर्माण हो सके। इसलिए इस दिन हम बुरी शक्तियों को नाश करने वाले शस्त्रों की पूजा करते हैं और नवीन कार्याे का आरंभ भी करते हैं।
राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके ने दशहरा मैदान पहुंच कर सर्वप्रथम माता दुर्गा के पण्डाल में पूजा अर्चना कर देश-प्रदेश के सुख, समृद्धि एवं खुशहाली की कामना की। तत्पश्चात उन्होंने भगवान राम का स्मरण करते हुए दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। इस अवसर पर शाही दशहरा उत्सव महिला समिति के कलाकारों द्वारा शिव ताण्डव की रोमांचकारी प्रस्तुती भी दी गई। साथ ही खैरागढ़ विश्वविद्यालय के भरत-कला होहम नृत्य समूह के कलाकारों द्वारा भी रामगाथा सर्वत्र राममयम् की शानदार प्रस्तुती दी गई। साथ ही रावण एवं हनुमान के यु़द्ध का प्रदर्शन भी किया गया। कलाकारों की इस प्रस्तुती की सराहना करते हुए, राज्यपाल ने राम-सीता का रूप धारण किए हुए कलाकारों को सम्मानित भी किया।
इस अवसर पर राज्यपाल ने विगत दस वर्षों से इस कार्यक्रम का आयोजन करने वाली शाही दशहरा उत्सव महिला समिति की सराहना की। समिति में सभी कार्य महिलाओं द्वारा किए जाने एवं रावण दहन का कार्यक्रम भी पुरूषों के इतर महिलाओं द्वारा किए जाने पर उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त की, और कहा कि यह समिति दूसरे महिलाओं को भी प्रेरित करता है। राज्यपाल ने समिति द्वारा विभिन्न सामाजिक, धार्मिक,पर्यावरण एवं शैक्षणिक क्षेत्र में किए जा रहे कार्यों के लिए खुशी जाहिर किया।
इस अवसर पर राज्यसभा सांसद डॉ सरोज पाण्डेय ने भी सभा को संबोधित करते हुए सभी को बधाई दीं। और कहा कि दशहरा का पर्व हमें सत्य की जीत की शिक्षा देता है। उन्होंने कहा कि भारत एक सांस्कृतिक रूप से समृ़द्धशाली देश है। दशहरा पर्व में रामलीला एवं विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम युवापीढ़ी को भारतीय संस्कृति से परिचित कराता है।
इस अवसर पर शाही दशहरा उत्सव महिला समिति भिलाई की संरक्षक श्रीमती चारूलता पाण्डेय, पूर्व मंत्री सुश्री रमशीला साहू, पूर्व संसदीय सचिव श्री लाभचंद बाफना, महिला आयोग की सदस्य सुश्री तुलसी साहू एवं शाही दशहरा समिति के अन्य सदस्य एवं गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।
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