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गरियाबंद: मैनपुर से पूर्व की ओर 20 कि.मी. ओडिसा कि सीमा पर स्थित ग्राम पंचायत कुल्हाड़ीघाट के आश्रित ग्राम देवडोंगर में भारत सरकार द्वारा विशेष पिछड़ी जनजाति का दर्जा रखने वाली कमार जनजाति निवास करती है। इस जनजाति के लोगों के घर घास-फुस या खपरैल से बने होते है। कमार जनजाति के मुख्य भोजन चावल या कोदो की पेज, भात, बासी के साथ, कुल्थी, बेलिया, मुंग, उड़द, तुवर की दाल तथा मौसमी सब्जियां जंगली साग भाजी आदि होता है। मुख्य कृषि उपज कोदो, धान, उड़द, मुंग, बेलिया, कुल्थी आदि है कुछ कमार लोग जंगल से शहद एवं जड़ी-बुटी भी एकत्रित कर बेचते भी है इस आश्रित ग्राम देवडोंगर में निवास करने वाले कमार जाति के लोगों को जल जीवन मिशन के द्वारा आये परिवर्तन को बयान करते हुये श्रीमति नंदनी बाई, श्रीमति लक्ष्मी बाई, श्रीमति मान बाई, श्रीमति कमला बाई और सुन्दर ने बताया की पहले ग्राम से 1.5 कि.मी. दुर झरिया से गड्ढ़ा खोदकर पानी निकाला करते थे एवं उसे छानकर पिने के लिये उपयोग करते थे और इसे ही वे लोग अपना दिनचर्या एवं इसी व्यवस्था के साथ जीना स्वीकार कर चुके थे, जल जीवन मिशन से सोलर आधारित नलजल प्रदाय योजना से हर घर नल प्राप्त होने पर इस आश्रित ग्राम के पुरूष, महिलाएं एवं बच्चों में एक नया आनंद व उत्साह उत्पन्न हुआ है। साथ ही अब घर में नल लग जाने के कारण लोग अपने कामो में पूरी तरह ध्यान दे पाते है। हर घर में लोगां को चार से पॉच बार अलग-अलग झरिया से पानी लाना पड़ता था अब नल लगने के पश्चात खाना बनाने बर्तन साफ करने एवं पिने के पानी के लिये किसी भी प्रकार की तकलीफ नही होती है। घर में पर्याप्त मात्रा में पानी उपलब्ध रहता है साथ ही अब लोगो के स्वास्थ्य में भी सुधार आया है। महिलाएं बचत पानी का उपयोग करते हुऐ साग भाजी का उत्पादन भी स्वयं के उपयोग के लिए कर पा रहे है, इससे महिलाआें का उत्साह बढ़ा है। यहां पर समय-समय पानी की गुणवत्ता की जाँच होती रहती है। गर्मी के समय पानी को लेकर जिन समस्या का सामना करना पड़ता था, झरिया के पानी का स्तर नीचे चला जाता था जिससे कि पिने के पानी के लिये परेशान हो जाते थे, जल जीवन मिशन से प्राप्त हर घर नल लगने से गॉव के लोगो को साल भर शु़ध्द पेयजल उपलब्ध हो रहा है एवं उन्हें पेयजल समस्याओ से निजात मिली है।
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