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खैरागढ़: फसल अवशेष को जलाने से उत्पन्न होने वाले वायु प्रदूषण के खतरे के दृष्टिगत नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (कोर्ट) द्वारा दिशा-निर्देश जारी किए है। जिसके अनुसार फसल अवशेष को खेत में जलाने पर दंड का प्रावधान किया गया है। वर्तमान में धान की कटाई जारी है। कलेक्टर डॉ. जगदीश कुमार सोनकर ने किसानों से अपील किए हैं कि वे अपने खेत में फसल के अवशेष न जलाएं। फसल अवशेष जलाने से मृदा का तापमान बढ़ जाता है, जिससे मृदा की संरचना बिगड़ जाती है। जीवाश्म पदार्थ की मात्रा कम हो जाने से मृदा की उत्पादकता कम होने का खतरा होता है। फसल अवशेष जलाने से उस पर आश्रित मित्र कीट मर जाते है। जिससे मित्र कीट और शत्रु कीट का अनुपात बिगड़ जाता है, फलस्वरूप पौधों को कीट प्रकोप से बचाने के लिए मजबूरन महंगे तथा जहरीले कीटनाशकों का इस्तेमाल करना पड़ता है जिसका दुष्प्रभाव मानव स्वास्थ्य पर देखा जा रहा है। फसल अवशेष को एकत्र कर पशुचारे के रूप में उपयोग हेतु विक्रय भी किया जा सकता है। जिलाधीश ने किसानों से गौठान मे गौमाता के आहार के लिए पैरा दान करने का आव्हान किये हैं। इसके अलावा फसल अवशेष का उपयोग नाडेप, वर्मी खाद जैसी कार्बनिक खाद बनाने में भी किया जा सकता है। कलेक्टर डॉ. जगदीश ने जिले के किसानों से नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा जारी आदेश का गंभीरता से पालन सुनिश्चित करने की अपील किये है।
jantaserishta.com
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