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केसरा गौठान बन गया सौ से ज्यादा लावारिश पशुओं का आश्रय स्थल
jantaserishta.com
15 Aug 2022 2:34 AM GMT
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रायपुर: छत्तीसगढ़ में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के ग्राम स्वराज्य की परिकल्पना साकार होने लगी है। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की विशेष पहल पर राज्य में संचालित सुराजी गांव योजना के नरवा, गरवा, घुरवा, बाड़ी कार्यक्रम से गांव और ग्रामीणों के जीवन में सुखद बदलाव दिखाई देने लगा है। गरवा कार्यक्रम के अंतर्गत गांवों में स्थापित गौठान पशुधन के संरक्षण और संवर्धन के साथ-साथ ग्रामीणों के रोजगार एवं आजीविका के केन्द्र बनते जा रहे हैं। राज्य के सर्वश्रेष्ठ गौठानों में शुमार दुर्ग जिले के पाटन विकासखण्ड के ग्राम केसरा गौठान गांव की किसान पशुपालकों के पशुधन के साथ-साथ लावारिश पशुओं का भी आश्रय स्थल बन गई है। इस गौठान में सौ से अधिक लावारिश पशु हैं, जिनके देखभाल एवं चारे-पानी का प्रबंध गौठान समिति ने किया है।
केसरा गौठान में शासन की महत्वकांक्षी योजना नरवा, गरवा, घुरवा, बाड़ी में उत्कृष्ट कार्य हुआ है। इस गौठान में पंजीकृत सवा तीन सौ पशुपालक ग्रामीणों से नियमित रूप से 2 रूपए किलो में गोबर खरीदी की जा रही है। यहां अब तक 7 लाख 83 हजार रूपए की गोबर खरीदी कर वर्मी उत्पादन महिला समूह द्वारा किया जा रहा है, जिसमें शासन द्वारा निर्धारित 40 प्रतिशत उत्पादन हो रही है। गौठान में 1490 क्विंटल वर्मी खाद उत्पादन किया गया है। जिससे 4 लाख 94 हजार रूपए की आय महिला समूह को प्राप्त हुई है। गौठान में स्थापित ग्रामीण औद्योगिक पार्क में चावल मिल, दाल मिल तथा सरसों एवं फल्ली तेल निकालने की मशीन स्थापित है यहां गोबर से प्राकृतिक पेंट बनाने की मशीन स्थापित किया जाना है।
केसरा गौठान में मुर्गी पालन, मछली पालन भी किया जा रहा है। मुर्गी पालन से एक लाख 30 हजार रूपए और मछली पालन से 7 हजार रूपए की आय महिला समूहों को हुई है। बकरी पालन किया जाना प्रस्तावित है। केसरा गौठान में सामुदायिक बाड़ी से बीते डेढ़ वर्षों में कुल 15 लाख 43 हजार 680 रूपए की सब्जी महिला समूह द्वारा विक्रय की गई है। जिसमे मुख्यतः भिंडी, बरबट्टी, लौकी, अमारी भाजी, करेला, गलका, चेज भाजी, पालक आदि का उत्पादन किया गया है। गौठान में 5 एकड़ में नेपियर घास लगाया गया है, जिससे गौठानों को एक रुपए प्रति किलो के हिसाब से बेचा जा रहा है। यहां 3 एकड़ में अमरूद का बगीचा भी लगाया गया है, अमरुद के पौधों में फल लगना प्रारंभ हो गया है तथा भविष्य में अतिरिक्त आय प्राप्त होने लगेगी। केसरा गौठान अब स्वावलंबी होकर स्वयं की राशि से गोबर क्रय करने लगी है।
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