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जिले के दिव्यांग जनों को मिल रही नई जिंदगी

jantaserishta.com
16 Sep 2022 3:45 AM GMT
जिले के दिव्यांग जनों को मिल रही नई जिंदगी
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सुकमा: जिला मुख्यालय स्थित ओसवाल भवन में बीते 3 दिनों से जिलेभर के दिव्यांग जनों का आना जाना लगा है। वे यहां जितनी शारीरिक कठिनाई के साथ पहुंचते है, भवन से निकलते वक्त उनके चेहरे पर उतनी ही बड़ी मुस्कान होती है मानों इन दिव्यांग जनों को नया जीवन मिला है, जिसके लिए वह जिला प्रशासन और भगवान महावीर विकलांग सहायता समिति जयपुर, भारतीय जैन संघटना छत्तीसगढ़ और जेएम चैरिटेबिल ट्रस्ट जगदलपुर के प्रति कोटिशः आभार व्यक्त कर रहे है। इस शिविर के संचालन में मध्य प्रदेश के ग्रामीण आदिवासी समाज विकास संस्थान सौंसर और सकल जैन समाज सुकमा का विशेष सहयोग है।
13 सितंबर से प्रारंभ होकर 17 सितंबर तक चलने वाले इस 5 दिवसीय दिव्यांग सहायता शिविर में जिला प्रशासन और समाज कल्याण विभाग, जिला दिव्यांग पुनर्वास केंद्र के द्वारा जिले के सभी विकासखंडो से दिव्यांग बच्चों, युवा, बुजुर्ग को शिविर स्थल तक पहुंचाया जा रहा है। ताकि वे इस शिविर का लाभ ले और अपने दैनिक जीवन के कार्यों को सुगमता से करने में सक्षम हो। इस शिविर में दिव्यांग जानो को पंजीयन के कुछ समय बाद ही कृत्रिम अंग तैयार कर प्रदान किए जा रहे है, और उन्हे चलाने के लिए ट्रेनिंग भी प्रदान किया जा रहा है। इसके साथ ही अस्थिबाधित दिव्यांगों को व्हीलचेयर और ट्राई साइकिल और बैसाखी प्रदान की जा रही है।
बीती शाम कलेक्टर श्री हरिस. एस ने दिव्यांग शिविर में पहुंचकर लोगों से मुलाकात की और प्रदाय की जा रही सुविधाओं का जायजा लिया। उन्होंने कृत्रिम अंग और कैलिपर्स बनाने की पूरी प्रक्रिया भी देखी और दिव्यांग जनों को ट्राई साइकिल और कैलिपर्स प्रदान किए। अब तक दो दिवसों में लगभग 457 दिव्यांग जनों को सहायता पहुंचाई गई है। जिसमें 48 कृत्रिम अंग, 54 बैसाखी, 160 कैलिपर्स, 134 श्रवण यंत्र, 36 ट्राइसिकल और 25 व्हीलचेयर तथा अन्य सामग्री सम्मिलित है।
थम सी गई थी जिंदगी, अब पुनः ऊर्जा आई - महेश पोडियामी
गिरदालपारा के 22 वर्षीय युवक महेश पोडियामी ने बताया की बचपन से ही वह खेल कूद में आगे रहता था। लेकिन 6 महीने पहले एक सड़क दुर्घटना में उसने अपने दोनो पैर की शक्ति खो दी। बस हादसे में महेश के दोनों जांघो में अंदरूनी चोट के कारण, वह फिर से अपने पैरों पर खड़ा नहीं हो सका। गांव के गलियों और स्कूल में खेल में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेने वाले महेश के जीवन की रफ्तार मानो थम गई। आज उसे इस दिव्यांग शिविर की बदौलत निःशुल्क ट्राइसाइकिल प्रदान की गई। जिसके मदद से अब वह अपने निजी काम, बाजार जाना जैसे अन्य काम सरलता से करने में सक्षम हो गया है।
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