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रायपुर: राज्य में गोधन न्याय योजना के अंतर्गत ग्रामीण पशुपालक किसानों से गोबर क्रय करने में छत्तीसगढ़ सरकार के साथ-साथ अब स्वावलंबी गौठान भी बराबर की भागीदारी निभाने लगे हैं। राज्य में औसत रूप से प्रत्येक पखवाड़े 4 से 5 करोड़ रूपए की गोबर खरीदी गौठानों में हो रही है, जिसमें से दो से ढ़ाई करोड़ रूपए का गोबर स्वावलंबी गौठान समितियां स्वयं की राशि से कर रही है। बीते कुछ पखवाड़े से यह स्थिति बन गई है कि गोधन न्याय योजना के तहत हो रही गोबर खरीदी की राशि का लगभग 50 फीसद भुगतान ही सरकार के जिम्मे आ रहा है।
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के मंशा के अनुरूप गौठानों को स्वावलंबी और गौठान समितियों को आर्थिक रूप से सक्षम बनाने के प्रयासों को बड़ी सफलता मिली है। राज्य में आज की स्थिति में 3 हजार से अधिक गौठान स्वावलंबी हो चुके हैं। गौठान समितियों के बैंक खाते में 102 करोड़ रूपए से अधिक की राशि लाभांश पूंजी के रूप में जमा है। यहां यह उल्लेखनीय है कि गौठानों में निर्मित वर्मी कम्पोस्ट के विक्रय के उपरांत छत्तीसगढ़ शासन द्वारा निर्धारित राशि गौठान समितियों को दी जाती है, जिसके चलते गौठान समितियों की जमा पूंजी में लगातार वृद्धि हो रही है।
स्वावलंबी गौठानों द्वारा अब तक अपनी जमा पूंजी से 24 करोड़ 15 लाख रूपए का गोबर क्रय किया जा चुका है। 16 अक्टूबर से 31 अक्टूबर तक गौठानों में क्रय किए गए 2.35 लाख क्विंटल गोबर में से 1.16 लाख क्विंटल गोबर स्वावलंबी गौठानों में स्वयं की राशि से क्रय किया है, जिसका मूल्य 2.32 करोड़ रूपए हैं। अक्टूबर के द्वितीय पखवाड़े में क्रय गोबर के एवज में ग्रामीण पशुपालक किसानों को 4.69 करोड़ का भुगतान किया जाएगा, जिसमें मात्र 2.37 करोड़ रूपए का भुगतान शासन की ओर से होगा, शेष 2.32 करोड़ रूपए का भुगतान गौठान समितियों स्वयं की राशि से करेंगी।
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