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गौठान में गौपालन के साथ गोबर विक्रय से हो रही है अतिरिक्त आय
jantaserishta.com
26 May 2023 2:34 AM GMT
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कोण्डागांव: छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ कर गांव में ही रोजगार के साधन उपलब्ध कराने के लिए ‘सुराजी ग्राम योजना‘ के अंतर्गत नरवा, गरूवा, घुरूवा और बाड़ी योजना क्रियान्वयन किया जा रहा है। जिसके तहत गौठानों में ही आजीविका मूलक गतिविधियां संचालित की जा रही हैं। ताकि गांव के लोगों को गौठानों में ही रोजगार के नये-नये साधन उपलब्ध कराये जाने सहित लोगों को अतिरिक्त आय का जरिया भी प्राप्त हो सके।
कोण्डागांव जिले के ग्राम पंचायत बोलबाला और छोटे बंजोड़ा में 19 वां पशु संगणना रिर्पाेट के अनुसार एक भी गाय नहीं थी। गांव के लोग दूध के लिए आसपास के गांव पर ही निर्भर थे। पशु चिकित्सा विभाग की डॉ नीता मिश्रा बताती हैं कि वर्ष 2018 में बोलबाला और छोटे बंजोड़ा में ओमफेड परियोजना, आदिवासी परियोजना मद,मिशन रूर्बन और राज्य डेयरी उद्यमिता विकास योजना के अभिसरण से किसानों को गौठान में ही दुधारू लगाय पालन के लिए आर्थिक सहायता प्रदान करने की स्वीकृति दी गई। जिससे गौठान में ही दुधारू गाय पालन से किसानों को अतिरिक्त आय का एक जरिया मिल गया है। ओमफेड परियोजना द्वारा किसानों को डेयरी फार्म खोलने के लिए 65 लाख रुपए की स्वीकृति दी गई। जिसमें से 40 लाख रुपए 60 गायें खरीदने और 25 लाख रुपए दूध प्रशितक प्लांट लगाने के लिए प्रदान किया गया। मिशन रूर्बन के अंतर्गत किसानों को प्रशिक्षण, ग्राम समिति स्थापना और प्रशिक्षण भ्रमण के लिए 3 लाख 56 हजार रुपए की आर्थिक सहायता प्रदान की गई है। इसके अलावा दोनों गांव के गौठानों में शेड निर्माण कार्यों के लिए मनरेगा और डीएमएफ द्वारा 20 लाख 67 हजार रुपए की स्वीकृति प्रदान की गई तथा राज्य डेयरी उद्यमिता विकास कार्यक्रम से 7 लाख रूपये की स्वीकृति प्रदान की गई।
पशुपालकों तथा किसानों को पशुपालन गतिविधि से जोड़ने एवं इस ओर अभिप्रेरित करने के लिए छोटे बंजोड़ा और बोलबोला में तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया जहां हितग्राहियों को डेयरी फार्म की बारीकियों को समझाया गया। इसके साथ ही पशुधन विकास विभाग और कृषि विज्ञान केन्द्र कोंडागांव द्वारा हितग्राहियों को पांच दिवसीय प्रशिक्षण भ्रमण के लिए ओडिसा ले जाया गया जहां उन्हें दूध प्रशितक प्लांट से संबंधित विस्तृत जानकारी दी गई।
बोलबोला के 16 हितग्राहियों को हमर गरूवा हमर गौठान कार्यक्रम सहित आदिवासी परियोजना मद, राज्य डेयरी उद्यमिता योजना के तहत गाय पालन हेतु सहायता उपलब्ध करायी गयी और अब इन हितग्राहियों के द्वारा कुल 32 दुधारू गाय पालन किया जा रहा है। जिससे पर्याप्त दुग्ध उत्पादन के जरिये इन हितग्राहियों को अच्छी आमदनी होने लगी है। पशुपालक पिलसाय मण्डावी तथा केशूराम मरकाम बताते हैं कि दुग्ध उत्पादन को लगातार बनाये रखने के लिए गायों को भूसी-खल्ली एवं दाना देने के साथ हरा चारा भी खिला रहे हैं इस हेतु गौठान में ही एक एकड़ रकबा पर नेपियर घास लगाया गया है। हाल ही में ग्राम पंचायत बोलबोला में रूर्बन मिशन अंतर्गत पशु सखी, पशुधन मित्र एवं डेयरी हितग्राहियों हेतु आयोजित पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। जिसमें उन्हें बरसीम चारा उत्पादन सहित डेयरी के चार स्तंभों ब्रीडिंग, फिडिंग, विडिंग एवं हिडिंग के संबंध में विस्तृत जानकारी प्रदान करते हुए स्वच्छता, दुग्ध उत्पादन, पशु पोषण, पशु स्वास्थ्य प्रबंधन, प्रजनन एवं कृत्रिम गर्भाधान के संबंध में जानकारी प्रदान की गयी।
डॉ. नीता मिश्रा बताती हैं कि वर्तमान में बोलबोला गौठान में इन हितग्राहियों की 32 गायें हैं जिससे प्रतिदिन 300 लीटर दूध का उत्पादन हो रहा है जिसे समीपस्थ गांवों तथा कोण्डागांव नगर में 45 रुपये प्रति लीटर की दर बेचने से हर दिन साढ़े 13 हजार रुपए की आय होती है तथा प्रतिदिन 640 किलोग्राम गोबर की बिक्री से 1280 रुपए अतिरिक्त आय प्राप्त हो रही है। इसके अलावा गौपालक किसानों को गौमूत्र से कीटनाशक बनाने का भी प्रशिक्षण दिया गया है। दूध उत्पादन से अब गांव के लोग दूध का उपयोग खाने-पीने में करने लगे हैं जिससे बच्चों के कुपोषण में कमी आ रही है और उनका स्वास्थ्य भी पहले से अच्छा हो रहा है। बोलबोला के पशुपालकों से प्रोत्साहित होकर छोटे बंजोड़ा के 15 हितग्राहियों द्वारा भी अतिशीघ्र उक्त योजना से 30 दुधारू गायें क्रय कर गौपालन आरंभ किया जायेगा। इस परियोजना की सफलता के मद्देनजर उक्त परियोजना को प्रदेश के अन्य जिले भी अपना रहे हैं।
ग्राम पंचायत बोलबोला के आश्रित ग्राम जरेबेंद्री के गौपालक किसान दयासर मंडावी बताते हैं कि वे पहले पारंपरिक खेती-किसानी ही किया करते थे। आय का कोई अतिरिक्त साधन नहीं था। लेकिन शासन की इस योजना से ईलाके के 16 ग्रामीणों को गांव में ही रोजगार का साधन मिलने सहित गौमाता की सेवा करने का सुअवसर मिल गया है। अब गाय पालन के जरिये हमारी आर्थिक स्थिति मजबूत हो रही है। इस अतिरिक्त आय से बच्चों की पढ़ाई-लिखाई और परिवार की आवश्यकताओं को पूरा करने में मदद मिल रहा है। इसी प्रकार इस योजना से लाभान्वित जयमनी पोयाम, कोयली मण्डावी एवं आराबत्ती पोयाम ने कहा कि उक्त योजना से हम सभी को बहुत लाभ हो रहा है और घर-परिवार खुशहाली की ओर अग्रसर है। इसके लिए हम शासन-प्रशासन का हृदय से आभार प्रकट करते हैं।
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