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रायपुर: मुख्य सचिव अमिताभ जैन ने राज्य के सभी जिलों के कलेक्टरों को निर्देश दिए हैं कि सड़कों पर मवेशियों से होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने के लिए 28 अगस्त से 3 सितम्बर तक विशेष अभियान चलाकर जरूरी कार्यवाही करें। उन्होंने कलेक्टरों से कहा है कि वे सड़कों पर पहुंचकर आकस्मिक निरीक्षण करें। मुख्य सचिव ने कलेक्टरों से कहा है कि सड़कों पर पशु होने की शिकायत करने एवं निराकरण के लिए हर जिले में आम जनता, यात्रियों एवं मीडिया के लिए एक टोल फ्री नम्बर अनिवार्य रूप से स्थापित करें और इसकी जानकारी लोगों को होर्डिंग्स, साइन बोर्ड और अन्य संसाधनों के माध्यम से दी जाए।
मुख्य सचिव ने मंत्रालय महानदी भवन से माननीय उच्च न्यायालय के आदेश के परिपालन में सड़कों पर पशुओं के कारण हो रही दुर्घटनाओं को रोकने के संबंध में आवश्यक कार्यवाही सुनिश्चित करने निर्देश दिए। सरगुजा एवं बिलासपुर संभागायुक्त और गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही, कोरबा, मुंगेली, जांजगीर-चांपा, सक्ती, रायगढ़, सारंगढ़-बिलाईगढ़, सरगुजा, जशपुर, कोरिया, मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर, बलरामपुर, बिलासपुर और सूरजपुर के कलेक्टरों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सड़कों से पशुओं को हटाएं जाने की व्यवस्था की समीक्षा की। उल्लेखनीय है कि मुख्य सचिव ने रायपुर, बस्तर और दुर्ग के संभागायुक्तों एवं इन संभागों के कलेक्टरों से पशुओं के सड़कों पर आने से रोकने के लिए की गई तमाम व्यवस्थाओं की समीक्षा की थी।
बैठक में पशुओं के कारण दुर्घटना जन्य सड़कों का चिन्हांकन और इन सड़कों से पशुओं को हटाएं जाने की व्यवस्था के संबंध में जिलेवार विस्तार से समीक्षा की। मुख्य सचिव ने जिला अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि पशुओं को सड़कों पर आने से रोकने के लिए चिन्हांकित ग्रामों और नगरीय क्षेत्रों में पशु पालकों के व्यवहार में परिवर्तन लाने का प्रयास करें एवं इसके लिए विस्तृत कार्ययोजना बनायें। बैठक में मुख्य सचिव ने चिन्हांकित सड़कों पर पशुओं के आने से संबंधित शिकायतें प्राप्त करने एवं उनके निराकरण की व्यवस्था के संबंध में अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए।
बैठक में कलेक्टरों ने बताया कि पशुओं के कारण दुर्घटना जन्य सड़कों का चिन्हांकन कर लिया गया है। सभी ग्राम पंचायत और नगरीय निकायों में सड़कों पर आने वाले पालतू और आवारा पशुओं पर लगातार निगरानी रखी जा रही है। पशुओं को टैगिंग और रेडियम बेल्ट लगाएं जा रहे हैं। पशुओं को सड़कों से हटाकर गौशालाओं, गौठानों और कांजीहाउस में ले जाकर सुरक्षित रखा जा रहा है। पशुओं का टीकाकरण भी किया जा रहा है। ऐसे पशु जिनके कोई मालिक उन्हें लेने नही आ रहे हैं उनकी नीलामी भी की जा रही है। पशु पालकों को समझाइस दी जा रही है कि वे अपने पशुओं को सड़़कों पर नहीं छोड़े। पशुओं के सड़कों पर आने से दुर्घटनाएं हो जाती है, जिससे जन धन का नुकसान होता है। पशु पालकों को यह भी बताया जा रहा है कि यदि उनके पशु सड़कों पर पाएं जाते है उन पर जुर्माना वसूली की जाएगी। जिला अधिकारियों ने बताया कि जिला सड़क सुरक्षा समिति के माध्यम से त्रैमास में हुई पशु जन्य सड़क दुर्घटनाओं का विश्लेषण किया जाकर इसके लिए उत्तरदायित्व निर्धारण कर आवश्यक कार्यवाही की जा रही है। अधिकारियों ने बताया कि सड़कों पर पशुओं को रोकने के लिए की जा रही कार्यवाही से अच्छे परिणाम मिलने लगे हैं। बैठक में कलेक्टरों ने अपने जिले के गौठानों, गौशालाओं और कांजीहाउस की स्थिति की विस्तार से जानकारी दी। कलेक्टरों ने पशुओं को सड़क से हटाने की व्यवस्था के लिए तैनात अधिकारी-कर्मचारियों और काउ-केचर वाहन के संबंध में भी जानकारी दी।
बैठक में पशुओं को रखने हेतु गौशालाओं, गौठानों और कांजीहाउस की मैपिंग के संबंध में विस्तार से जानकारी दी गई। कलेक्टरों ने बताया कि वे पशुओं को सड़कों पर आने से रोकने के लिए जनसहभागिता सुनिश्चित करने के लिए पशु पालकों, जनप्रतिनिधियों, और स्वयं सेवी संस्थाओं और समाज सेवकों का सहयोग लेने के लिए सभी जरूरी कार्यवाही की जा रही है। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए आयोजित इस बैठक में कृषि एवं पशुधन विकास विभाग के सचिव डॉ. कमलप्रीत सिंह, नगरीय प्रशासन विभाग के विशेष सचिव डॉ. अयाज भाई तम्बोली, संचालक पशु चिकित्सा सेवाएं श्रीमती चंदन त्रिपाठी, संभागायुक्त बिलासपुर और सरगुजा सहित गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही, कोरबा, मुंगेली, जांजगीर-चांपा, सक्ती, रायगढ़, सारंगढ़-बिलाईगढ़, सरगुजा, जशपुर, कोरिया, मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर, बलरामपुर, सुरजपुर, बिलासपुर और सरगुजा जिले के कलेक्टर शामिल हुए।
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