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बेमेतरा: जल शक्ति अभियान के केंद्रीय नोडल अधिकारियों ने ली जल संरक्षण एवं भू-जल संवर्धन के कार्यों की समीक्षा बैठक

jantaserishta.com
8 Jun 2023 3:14 AM GMT
बेमेतरा: जल शक्ति अभियान के केंद्रीय नोडल अधिकारियों ने ली जल संरक्षण एवं भू-जल संवर्धन के कार्यों की समीक्षा बैठक
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बेमेतरा: भारत सरकार द्वारा जल शक्ति अभियान अंतर्गत “कैच-द-रेन” कार्यक्रम 2023 के लिए नियुक्त केन्द्रीय नोडल अधिकारी सोनमणि बोरा संयुक्त सचिव भू संवर्धन एवं वैज्ञानिक भारत सरकार सिद्धांत कुमार साहू, सीईओ वाटर शेड श्री रणवीर शर्मा एवं संयुक्त सीईओ वाटर शेड श्री कपील दीपक ने दो दिवसीय “कैच-द-रेन”के लिए मैदानी क्षेत्रों में जल संवर्धन और संरक्षण के लिए किये गये कार्यों की समीक्षा की। समीक्षा बैठक का आयोजन कल बेमेतरा मुख्यालय स्थित न्यू सर्किट हाउस के सभाकक्ष में किया गया। उल्लेखनीय है कि जल शक्ति अभियान के अंतर्गत “कैच-द-रेन” कार्यों के दो दिवसीय निरीक्षण के लिए भारत सरकार द्वारा दो सदस्य दल भेजा गया है। बैठक के दौरान कलेक्टर श्री पदुम सिंह एल्मा, जिला पंचायत सीईओ श्रीमती लीना मंडावी, राज्य स्तरीय अधिकारी, अपर कलेक्टर श्री अनिल बाजपेयी सहित विभिन्न विभागों के अधिकारी भी उपस्थित थे।
सर्वप्रथम केंद्रीय नोडल अधिकारी एवं उनकी टीम ने जिले में चल रहे जन संवर्धन और उसके लिए किये गए कार्यों की समीक्षा की। बैठक में उन्होंने महात्मा गांधी नरेगा, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी, वन विभाग, जल संसाधन विभाग, ग्रामीण यांत्रिकी सेवा, कृषि विभाग एवं उद्यान विभाग द्वारा “कैच-द-रेन” कार्यक्रम अंतर्गत निर्मित संरचनाओं जैसे कि अमृत सरोवर, चेक डैम, स्टॉप डैम, रूफ वाटर हार्वेस्टिंग, गैबियन स्ट्रक्चर, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी के जल जीवन मिशन के कार्य, वन विभाग के द्वारा जिले में किए गए वृक्षारोपण, जल संसाधन विभाग की जल संरचना तालाब एवं बैराज इत्यादि निर्माण कार्यो की समीक्षा की।
कलेक्टर श्री एल्मा ने प्रोजेक्टर के माध्यम से जिले में “कैच द रेन“ अंतर्गत उपयोग में आने वाली समस्त पानी के जल को संरक्षित रखने हेतु चल रहे पुरे कार्यों का उल्लेख किया। उन्होंने जिले में जल शक्ति अभियान हेतु क्रियान्वयन एजेंसी की जानकारी दी जिसमे वन विभाग, कृषि, पीएचई, नगर निगम, जल संसाधन, उद्यानिकी विभाग शामिल थे द्य इसके पश्चात् उन्होंने अमृत सरोवर की विस्तृत जानकारी दी और कहा की अभी जिले में 96 अमृत सरोवर है जिसमे 90 सरोवर पूर्ण हों चुके है और 6 निर्माणाधीन है। उन्होंने परियोजना अंतर्गत जल ग्रहण विकास कार्यों के अंतर्गत चेक डैम, गली प्लग, जल भराव क्षेत्र विस्तार, निजी डबरी भूमिगत डाइट, स्टाप डैम जीर्णोद्धार की भी चर्चा की और उसकी स्थिति से अवगत कराया।
केन्द्रीय नोडल अधिकारी भू-संवर्धन श्री बोरा ने कहा कि जल अमूल्य है यह हमें विरासत में नहीं मिली है, हम आने वाले पीढ़ी से जल उधार में लिए हैं, इसलिए हमें भू-जल स्तर एवं उनके संवर्धन के लिए कार्य योजना बनाकर कार्य करना होगा। उन्होने ने कहा कि एकीकृत वाटरशेड प्रबंधन कार्यक्रम (आईडब्ल्यूएमपी) योजना से पूर्ण हुए 46 चेक डैम एवं वाटर शेड विकस घटक (डब्ल्यूडीसी) योजना से निर्माणधीन 11 चेक डैम से जल संवर्धन का कार्य बखुबी से हो रही है, इससे वाटर रिचार्ज करने एवं ग्रामीणों को लाभ मिलेगा। डब्ल्यूडीसी योजना के तहत और अधिक अमृत सरोवर बनाने के लिए निर्देश दिए हैं।
श्री बोरा ने कहा कि जिले में भू संवर्धन एवं भूजल स्तर बढ़ाने के लिए हमें नदी जलग्रहण प्रबंधन के तहत हरित गलियारों का निर्माण, बाढ़ जल के संग्रहण के लिये सक्षम पुनर्भरण क्षेत्रों हेतु चैनलों का मानचित्रण और शहरी क्षेत्रों (जहाँ भूजल सतह से पाँच-छह मीटर नीचे है) में कृत्रिम भूजल पुनर्भरण संरचनाओं का सृजन भूजल की कमी को कम करने में योगदान कर सकते हैं। उन्होने बताया कि जलवायु परिवर्तन के कारण जल तालिका का स्तर गिर रहा है, जिसके कारण सूखा, फ्लैश फ्लड और अनियमित मानसून जलवायु परिवर्तन घटनाएं हो रही है जो भारत के भूजल संसाधनों पर दबाव डाल रहे हैं। वर्तमान में भूजल संसाधनों पर अत्यधिक निर्भरता और निरंतर खपत के कारण उन पर दबाव में वृद्धि हो रही और कुएँ, तालाब, जलाशय आदि सूखते जा रहे हैं। इससे जल संकट और गहरा होता जा रहा है। उक्त सभी संकटों को देखते हुए और भविष्य में जल संकट से मुक्ति पाने हेतु भूजल का सामाजिक विनियमन करना होगा, जिसके अंतर्गत परिभाषित जलभृत क्षेत्र में समुदायों को सशक्त बनाने के लिये एक सहभागी भूजल प्रबंधन दृष्टिकोण का पालन किया जाना चाहिए। इसके लिए शासनिक अधिकार, सामुदायिक जागरूकता, क्षमता विकास के साथ ही भूजल के सामाजिक विनियमन हेतु ज्ञान एवं प्रेरणा प्रदान करने तथा समन्वित कार्रवाइयों को प्रवर्तित करने की आवश्यकता है।
भूतल जल निकाय प्रबंधन के तहत तालाबों, झीलों और अन्य पारंपरिक जल संसाधन संरचनाओं का जीर्णोद्धार शहरी एवं ग्रामीण विकास परियोजनाओं का एक अभिन्न अंग होना चाहिए, जिससे भूजल क्षमता का पर्याप्त विकास होगा। अपशिष्ट जल प्रबंधन के तहत गंदले जल के लिए दोहरी सीवेज प्रणाली और कृषि एवं बागवानी में पुनर्नवीनीकृत जल के पुनः उपयोग को बढ़ावा दिया जाना चाहिये। उन्होने कहा कि जिले में गिधवा-परसदा पक्षी विहार तालाब के मेंड़ में पौधारोपण करना होगा। इन मेंडों में बारहमासी पौधा लगाना होगा और साथ साथ तालाबों का गहरीकरण करना होगा एवं लोगों को जागरूक करने के लिए समय-समय पर शिविर के माध्यम से अपील करनी होंगी और स्कूल में विद्यार्थियों के लिए जल संवर्धन पर प्रतियोगिता भी आयोजित करने की जरूरत है ताकि सभी जल के महत्व को समझ सके। समीक्षा बैठक के पश्चात श्री बोरा ने जिला पंचायत कार्यालय के जल शक्ति केंद्र शाखा का अवलोकन किया एवं उन्होंने छत पर वर्षा जल संचयन, पारंपरिक जल संचयन संरचनाओं का पुनरुद्धार, माइक्रो-कैचमेंट जल संचयन एवं कुओं और बोरवेल के लिए पुनर्भरण संरचनाओं के आवश्यक दिशा निर्देश दिए।
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