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रायपुर: राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव के दूसरे दिन विभिन्न राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों व विदेशों के कलाकारों ने अपने अपने नृत्य के माध्यम से लोगों का जमकर मनोरंजन किया. इस दौरान उत्तराखंड राज्य के कलाकारों के द्वारा हारूल नृत्य का प्रदर्शन किया गया.
इस नृत्य में ढोल व खंजरी प्रमुख वाद्य यंत्र होते हैं. हारुल नृत्य मेला,शादी- विवाह व खुशियों के अवसर पर करते हैं . इसमें अर्ध चंद्राकार स्थिति में नृत्य की प्रस्तुति होती है जिसमें हाथी डोला प्रमुख आकर्षण का केंद्र होता है.
हारुल नृत्य मूलत: उत्तराखंड के जौनसारी जनजातियों द्वारा किया जाता है जो पाण्डवों के जीवन पर आधारित है. इस नृत्य में रमतुला नामक वाद्ययंत्र अनिवार्य रुप से बजाया जाता है.
उत्तराखंड के कलाकारों ने मंच पर आकर सबसे पहले छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया बोल के साथ गीत गाकर नृत्य की शुरूआत की. इसमें पुरूष एवं महिलाएं संयुक्त रूप से नृत्य करते हैं. इन कलाकारों ने आज अपने नृत्य के प्रदर्शन से न सिर्फ अपनी सभ्यता व संस्कृति से लोगों का परिचय कराया बल्कि उनका दिल भी जीता.
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