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18 जनवरी 2010 को इसका नाम बदलकर ज़ोमैटो कर दिया गया.
मशहूर फूड डिलीवरी कंपनी जोमैटो के आईपी को भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने आवेदन की मंजूरी दे दी है, चीन के एंट ग्रुप द्वारा समर्थित Zomato ने अप्रैल में IPO के लिए अर्जी दी थी. कहा जाता है कि इसके जरिए कंपनी 1.2 बिलियन डॉलर तक जुटाना चाहती है. सूत्रों के मुताबिक जोमैटो इश्यू की लिस्टिंग मध्य जुलाई तक कर सकती है.
Zomato द्वारा दायर DRHP के अनुसार, कंपनी 8,250 करोड़ रुपए (लगभग 1.1 बिलियन डॉलर) तक के इक्विटी शेयरों की पेशकश करेगी. इसमें से 7,500 करोड़ रुपये फ्रेश इश्यू होंगे, जबकि 750 करोड़ रुपये इसके मौजूदा निवेशक इंफो एज के लिए ऑफर फॉर सेल होगा. Zomato ने कुछ महीने पहले अपने प्री-आईपीओ प्राइमरी फंडरेज में कोरा मैनेजमेंट, टाइगर ग्लोबल, फिडेलिटी, ड्रैगनियर और बो वेव जैसे निवेशकों से 5.4 बिलियन डॉलर के मूल्यांकन पर 250 मिलियन डॉलर जुटाए थे. इसके बाद, Zomato के शुरुआती निवेशकों में से एक, Info Edge ने कहा कि Zomato में उसकी प्रभावी हिस्सेदारी अब 18.4 प्रतिशत है.
पिछले साल मार्च में COVID महामारी के चलते कंपनी को नुकसान हुआ था. हालांकि Zomato ने सितंबर 2020 में कहा था कि भारत में कई बड़े पॉकेट्स में ऑनलाइन फूड डिलीवरी स्पेस ठीक हो गया है और यहां तक कि अब प्री-सीओवीआईडी स्तर भी अधिक हो गया है, क्योंकि ज्यादातर लोग ऑनलाइन खाना ऑर्डर करते हैं. जोमैटो के सह-संस्थापक और सीईओ दीपिंदर गोयल का मानना है कि इस क्षेत्र के विकास में टीकाकरण के बाद तेजी आएगी.
जोमैटो का FY20 का राजस्व 2,486 करोड़ रुपए था. कोरोना के चलते घाटा बढ़कर 2,451 करोड़ रुपए हो गया. फूड डिलीवरी और रेस्तरां एग्रीगेटर प्लेटफॉर्म की स्थापना गोयल और पंकज चड्ढा ने 2008 में फूडीबे के रूप में की थी और 18 जनवरी 2010 को इसका नाम बदलकर ज़ोमैटो कर दिया गया.
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