भारतीय अर्थव्यवस्था भले ही कठिनाई दौर से गुजर रही है, लेकिन इसके बावजूद यह मंदी में डूबी अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को उबारने में जरूरी जिम्मेदारी निभा रहा है. यह बात हाल ही में विश्व बैंक अध्यक्ष की कुर्सी संभालने वाले अजय बंगा ने कही. विश्व बैंक का प्रमुख बनने वाले भारतीय मूल के पहले आदमी बंगा इस समय हिंदुस्तान की यात्रा पर हैं.
भारत दौरे पर आए अजय बंगा ने बोला कि अंतरराष्ट्रीय सुस्ती के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था को उसकी घरेलू खपत से स्वाभाविक सहारा मिल रहा है, इसका प्रमुख कारण यह है कि राष्ट्र की जीडीपी का बड़ा हिस्सा घरेलू मांग पर आधारित है. बंगा ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ मुलाकात के बाद संवाददाताओं से बोला कि उन्होंने जी20 सम्मेलन और हिंदुस्तान एवं विश्व बैंक के बीच योगदान से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की.
विश्व बैंक के लिए हिंदुस्तान सबसे बड़ा बाजार
अजय बंगा ने कहा, “हमने जी20 बैठक से जुड़े बिंदुओं पर चर्चा की. हमने इस बात पर भी चर्चा की कि विश्व बैंक और हिंदुस्तान किस तरह से जी20 से इतर भी काम कर सकते हैं. विश्व बैंक के लिए हिंदुस्तान पोर्टफोलियो के लिहाज से सबसे बड़ा बाजार है और हमारे अनेक भलाई यहां से जुड़े हैं.” जी20 राष्ट्रों के वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंकों के गवर्नर की गांधीनगर में बैठक समापन हुई है. इसमें विश्व बैंक और अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष जैसे बहुपक्षीय विकास संस्थानों की किरदार पर भी चर्चा हुई.
भारत बनेगा दुनिया का सहारा
बंगा ने विश्व अर्थव्यवस्था के परिदृश्य पर बोला कि अगले वर्ष की आरंभ में सुस्ती को लेकर अधिक जोखिम दिख रहा है. हालांकि भारतीय अर्थव्यवस्था को अपनी घरेलू खपत के दम पर राहत मिल सकती है. बंगा ने कहा, “भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का बड़ा हिस्सा घरेलू खपत से आता है. ऐसे में यदि कुछ महीनों के लिए दुनिया में सुस्ती आती है तो भी घरेलू खपत पर आधारित होना हिंदुस्तान की अर्थव्यवस्था के लिए स्वाभाविक सहारा होगा.”
दुनिया के लिए जोखिम भरा होगा 2024
विश्व अर्थव्यवस्था के संदर्भ में बंगा ने कहा, “मुझे लगता है कि हमने सोच से कहीं बेहतर प्रदर्शन किया. लेकिन मेरा अब भी मानना है कि अगले वर्ष की आरंभ में सुस्ती को लेकर अधिक जोखिम है. मैंने जी20 बैठक में भी बोला कि पूर्वानुमान किस्मत नहीं हैं और आपको यह नहीं सोचना चाहिए कि पूर्वानुमान ठीक ही होते हैं.”
कोविड से उबरने के लिए महत्वपूर्ण है रफ्तार
भारत कोविड महामारी के समय पैदा हुई चुनौतियों से मजबूत बनकर उभरा है, लेकिन उसे यह रफ्तार आगे भी कायम रखने की आवश्यकता है. उन्होंने बोला कि हिंदुस्तान अंतरराष्ट्रीय सुस्ती के दौर में कई ऐसे कदम उठा रहा है जो उसे आगे रखने में सहायता कर रहे हैं. उच्च आय वाली नौकरियों में संभावित वृद्धि के बारे में पूछे जाने पर बंगा ने कहा, ‘‘हमें यह समझना होगा कि ये नौकरियां कहां हैं. ये नौकरियां प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हैं और बहुत कम संख्या में हैं. फिर विनिर्माण क्षेत्र में ऐसी नौकरियां हैं. हिंदुस्तान के सामने अभी मौका है कि वह ‘चीन प्लस वन’ रणनीति का लाभ उठाए.’’
चीन प्लस वन रणनीति पर देना होगा जोर
बंगा का मानना है कि ‘चीन प्लस वन’ रणनीति के अनुसार बहुराष्ट्रीय कंपनियां अपने विनिर्माण केंद्र के तौर पर चीन के साथ किसी अन्य राष्ट्र को भी जोड़ना चाहती हैं. इसके लिए हिंदुस्तान भी एक संभावित दावेदार के तौर पर उभरकर सामने आया है. बंगा ने कहा, ‘‘भारत को यह ध्यान रखना होगा कि इस रणनीति से पैदा होने वाला अवसर उसे 10 वर्ष तक नहीं मिलता रहेगा. यह तीन से लेकर पांच वर्ष तक मौजूद रहने वाला अवसर है जिसमें आपूर्ति शृंखला को अन्य राष्ट्र में ले जाने या चीन के साथ अन्य राष्ट्र को जोड़ने की आवश्यकता है.’’