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महिलाएं अपनी पहली नौकरी में इन 10 बातों का रखें विशेष ध्यान

Bhumika Sahu
27 Feb 2022 5:21 AM GMT
महिलाएं अपनी पहली नौकरी में इन 10 बातों का रखें विशेष ध्यान
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आपकी पहली कमाई सपनों से भरी होती है. शुरुआत में कमाई के पैसे से मौज-मस्ती में कमी नहीं होनी चाहिए, लेकिन EMI का बोझ अपने ऊपर नहीं डालें.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। लड़कियों और महिलाओं के लिए फाइनेंशियल फ्रीडम (Financial freedom) बहुत जरूरी है. ऐसे में महिलाएं जब अपनी पहली नौकरी करती हैं तो पर्सनल फाइनेंसिंग (Personal financing) के तहत कुछ बातों को ध्यान में रखना जरूरी है. इस आर्टिकल में वुमन मिलेनियल्स के लिए कुछ महत्वपूर्ण फाइनेंसिंग टिप्स बताने जा रहे हैं. अगर इंडस्ट्री में अनुभव नहीं है तो कई बार नौकरी ज्वॉइन करने पर सैलरी का बड़ा हिस्सा वेरिएबल के रूप में रखा जाता है जिससे टेक होम सैलरी घट जाती है. वेरिएबल्स के साथ परेशानी यह है कि यह कंपनी के प्रदर्शन, आपके प्रदर्शन, कंपनी के प्रॉफिट, इकोनॉमिक परफॉर्मेंस समेत कई बातों पर निर्भर करता है. कोरोना महामारी में ज्यादातर कंपनियों ने वेरिएबल्स का फायदा अपने एंप्लॉयी को नहीं दिया. इसलिए सैलरी में वेरिएबल्स का हिस्सा कम से कम रखने की कोशिश करें.

मनी कंट्रोल में छपी रिपोर्ट में बैंक बाजार के चीफ प्रोडक्ट ऑफिसर रति शेट्टी ने कहा कि ऑफर लेटर मिलने पर सबसे पहले यह चेक करें कि वेरिएबल कंपोनेंट कितना है. इसे कम से कम रखने की कोशिश होनी चाहिए. वेरिएबल कम होने से टेक होम सैलरी बढ़ेगी. खासकर फ्रेशर्स के लिए यह बहुत महत्वपूर्ण होता है क्योंकि वेरिएबल्स का भुगतान परफॉर्मेंस आधारित है. फ्रेशर्स के पास अनुभव का अभाव होता है, ऐसे में बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद भी नहीं करनी चाहिए.
अगर एंप्लॉयर आपकी बेसिक सैलरी बढ़ाता है तो प्रोविडेंट फंड का योगदान बढ़ जाएगा. इससे टेक होम सैलरी घट जाएगी. ऐसे में एंप्लॉयर से बेसिक सैलरी कम करने का मांग करें.
हर किसी के लिए इमरजेंसी फंड जरूरी होता है. 4-6 महीने का खर्च इमरजेंसी फंड के लिए महत्वपूर्ण है. नौकरी करने पर सबसे पहले अपने लिए कंटिजेंसी फंड तैयार करें. यह नौकरी चले जाने पर या किसी दूसरे फाइनेंशियल इमरजेंसी के लिए जरूरी होता है. कंटिजेंसी फंड तैयार करने से पहले यह पता करें कि मंथली मिनिमम जरूरी खर्च कितना है. नौकरी के शुरुआत में मंथली मिनिमम एक्सपेंडिचर को कम से कम रखने का प्रयास करें.
पर्सनल फाइनेंसिंग के तहत मंथली बजट बनाना बहुत जरूरी होता है. हर महीने अपने लिए जरूर खर्च को निश्चित करें. यह आपकी क्षमता और कमाई के अनुरूप होना चाहिए. कोशिश होनी चाहिए कि मंथली खर्च आपके बजट से ज्यादा नहीं हो. ज्यादा खर्च करने की आदत लग जाने पर आप हमेशा डेफिसिट में रहेंगे जिसका पर्सनल लाइफ पर बहुत बुरा असर होता है.
मिलेनियल्स वुमन की बात करें तो नौकरी ज्वाइन करने के दौरान एंप्लॉयर से टेक होम सैलरी ज्यादा करने पर चर्चा करनी चाहिए. बेसिक सैलरी कम करवाएं और वेरिएबल्स को मिनिमम रखें. लोन लेकर पढ़ाई की है तो सबसे पहले एजुकेशन लोन रीपेमेंट पर फोकस करें.
अगर आप आगे की पढ़ाई पूरी करना चाहते हैं तो सैलरी का कुछ हिस्सा हायर एजुकेशन के लिए बचाकर रखें. इस शॉर्ट टर्म के लिए SIP की मदद से निवेश भी किया जा सकता है. पढ़ाई के अलावा अगर कोई बड़ा प्लान है, जैसे अपनी शादी को लेकर या फिर विदेशी टूर को लेकर तो ऐसे कामों के लिए स्पेशल फंड जरूर बनाएं. अपने पैसे से सपनों को पूरा करना अलग अनुभव देता है.
कमाई के साथ ही सेविंग की शुरुआत हो जानी चाहिए. नौकरी शुरू करने पर कम से कम 1000 रुपया हर महीना अपने भविष्य के लिए सुरक्षित रखें. अगर पर्सनल फाइनेंसिंग की जानकारी नहीं है तो मनी मैनेजमेंट सीखें और अपने पैरेंट्स या फैमिली पर फाइनेंशियल डिसिजन नहीं छोड़ें. आज के जमाने में इंश्योरेंस बहुत जरूरी है.
कमाई शुरू होते ही अपने लिए हेल्थ कवर खरीदें. एंप्लॉयर भी हेल्थ कवर देते हैं लेकिन कवरेज पर्याप्त नहीं होने पर एडिशनल हेल्थ इंश्योरेंस खरीदें. खुद को सुरक्षित करने के बाद अपने परिवार के लिए भी हेल्थ इंश्योरेंस खरीदें. हेल्थ इंश्योरेंस के साथ-साथ टर्म इंश्योरेंस भी जरूरी है. टर्म इंश्योरेंस आपकी और परिवार की जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त होना चाहिए.
अगर पैसा बचाना है और मंथली बजट को दायरे में रखना है तो बाय नाऊ एंड पे लैटर का इस्तेमाल नहीं करें. पैसे नहीं होने पर खरीदारी से बचना चाहिए. नौकरी के शुरुआत में क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करने से बचें. इससे EMI का झंझट नहीं रहेगा और आपका मनी मैनेजमेंट ठीक रहेगा.
इन तमाम बातों के अलावा एक जरूरी बात ये भी है कि आपकी पहली कमाई सपनों से भरी होती है. शुरुआत में कमाई के पैसे से मौज-मस्ती में कमी नहीं होनी चाहिए. अपने लिए ब्रांडेड शूज खरीदना हो, कपड़े खरीदना हो, ट्रिप पर जाना हो, नया फोन खरीदना हो, सबकुछ करें लेकिन क्रेडिट कार्ड या बाय नाऊ एंड पे लैटर की मदद से EMI का बोझ नहीं उठाएं.


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