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ब्याज का बोझ बढ़ेगा? बड़ा अपडेट आया

jantaserishta.com
5 Aug 2022 3:38 AM GMT
ब्याज का बोझ बढ़ेगा? बड़ा अपडेट आया
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न्यूज़ क्रेडिट: आजतक

नई दिल्ली: रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (RBI MPC Meeting) की अगस्त 2022 की तय बैठक थोड़ी देर में संपन्न होने वाली है. अब बस कुछ ही घंटों का इंतजार बाकी है, उसके बाद पता चल जाएगा कि इस बार लोगों के ऊपर ब्याज का बोझ (Interest Rate Hike) कितना और बढ़ने वाला है. बुधवार से चल रही तीन दिनों की बैठक के बाद आज सुबह 10 बजे रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास (RBI Governor Shaktikant Das) लिए गए निर्णयों की जानकारी देंगे. पहले यह बैठक सोमवार से बुधवार तक होने वाली थी, लेकिन कुछ कारणों से इसे टालना पड़ा था.

सरकार और रिजर्व बैंक के प्रयासों के बाद महंगाई (Inflation) धीरे-धीरे काबू में आने लगी है. हालांकि दूसरी ओर अमेरिकी सेंट्रल बैंक फेडरल रिजर्व समेत कई देशों के सेंट्रल बैंक आक्रामक तरीके से ब्याज दरें बढ़ा रहे हैं. फेडरल रिजर्व ने अमेरिका में ऐतिहासिक महंगाई के चलते लगातार ब्याज दरें बढ़ा रहा है. बैंक ऑफ इंग्लैंड ने भी इसी सप्ताह ब्याज दर में रिकॉर्ड 27 साल की सबसे बड़ी बढ़ोतरी का ऐलान किया है. इस कारण लगभग सारे एनालिस्ट यह तय मान रहे हैं कि रेपो रेट बढ़ेगा (Repo Rate Hike) ही. पिछली बार यानी जून बैठक की तरह इस बार भी यह सवाल ही नहीं है कि रेपो रेट बढ़ेगा, स्थिर रहेगा या कम होगा. इस बार भी रेपो रेट का बढ़ना तय है, हालांकि यह कितना बढ़ेगा, इस पर एनालिस्ट एकमत नहीं हैं. ज्यादातर एनालिस्ट यही मान रहे हैं कि रिजर्व बैंक इस बार रेपो रेट को 0.35 फीसदी से 0.50 फीसदी तक बढ़ा सकता है.
रिजर्व बैंक ने महंगाई को काबू करने के लिए इस साल मई महीने से रेपो रेट को बढ़ाने (Repo Rate Hike) की शुरुआत की है. रिजर्व बैंक ने मई महीने में मौद्रिक नीति समिति की आपात बैठक (RBI MPC Meeting) बुलाई थी. महंगाई बेहिसाब बढ़ जाने के कारण रिजर्व बैंक को ऐसा करना पड़ा था. मई 2022 की बैठक में रिजर्व बैंक ने रेपो रेट को 0.40 फीसदी बढ़ाया था. उसके बाद जून महीने में मौद्रिक नीति समिति की नियमित बैठक हुई, जिसमें रेपो रेट को 0.50 फीसदी बढ़ाया गया. आरबीआई ने मई महीने में करीब दो साल बाद पहली बार रेपो रेट में बदलाव किया था. करीब दो साल तक रेपो रेट महज 4 फीसदी पर बना रहा था. अभी रेपो रेट 4.90 फीसदी है.
क्रेडिट रेटिंग एजेंसी इक्रा के अनुसार, मौद्रिक नीति समिति के सदस्य 0.35 फीसदी से 0.50 फीसदी तक रेपो रेट को बढ़ाने के पक्ष में वोट कर सकते हैं. इक्रा की चीफ इकोनॉमिस्ट अदिति नायर की मानें तो इस बार भी आरबीआई रेपो दर में 0.50% तक की बढ़ोतरी कर सकता है. इक्रा के अनुसार, रिजर्व बैंक के मौद्रिक नीति समिति फेडरल रिजर्व के रेट हाइक की रफ्तार से ज्यादा तवज्जो घरेलू इकोनॉमिक ग्रोथ और महंगाई के संतुलन को देगी. रिजर्व बैंक दरें तय करते समय रुपये की चाल पर भी गौर करेगा. अमेरिका की तुलना में ब्याज दरों की खाई अधिक होने से विदेशी निवेशकों की बिकवाली को बल मिल सकता है, जो रुपये की वैल्यू और भारत के विदेशी मुद्रा भंडार दोनों के लिए बुरा साबित होगा.
कई एनालिस्ट का कहना है कि आरबीआई अगस्त बैठक में ब्याज दरों को 0.35% से 0.50% तक बढ़ाने के बाद आगे भी इसी ट्रेंड पर चल सकता है. अगर रेपो रेट इसी तरह बढ़ता रहा तो बैंक भी ब्याज दरें बढ़ाते रहेंगे. ब्याज दरें बढ़ने का सीधा असर उन लोगों के ऊपर होगा, जो होम लोन (Home Loan) या पर्सनल लोन (Personal Loan) की ईएमआई (EMI) चुका रहे हैं. इसके अलावा जो लोग आने वाले समय में घर या कार खरीदने की योजना बना रहे हैं, उनके ऊपर भी बढ़ी ईएमआई का बोझ पड़ना तय है.
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