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नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) आज चालू वित्त वर्ष की पहली मौद्रिक नीति (Monetary Policy) समीक्षा जारी करने वाला है. केंद्रीय बैंक के सामने इस समय सबसे बड़ी चुनौती देश में लगातार बढ़ रही महंगाई और आर्थिक वृद्धि के बीच संतुलन साधना है.
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास (Shaktikanta Das) की अध्यक्षता वाली मौद्रिक नीति समिति (MPC) देश में नीतिगत ब्याज दरों को इस बार भी अपरिवर्तित रख सकती है. लेकिन खुदरा महंगाई को कंट्रोल में रखने के लिए अपने रुख में बदलाव कर सकती है. आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति की बैठक बुधवार को शुरू हुई थी. केंद्रीय बैंक हर दो महीने में मौद्रिक नीति की समीक्षा करता है.
केंद्रीय बैंक के नीतिगत ब्याज दरों में बदलाव का असर कमर्शियल बैंकों के विभिन्न लोन प्रोडक्ट्स पर पड़ता है. इसमें सबसे हम होम लोन है, मौजूदा वक्त में अधिकतर बैंक रेपो रेट के आधार पर होम लोन पर ब्याज वसूलते हैं.
रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia-Ukraine War) के बाद वैश्विक हालात बदल गए हैं. ऐसे में महंगाई को नियंत्रित रखने के साथ-साथ आरबीआई का जोर ऐसे कदमों पर भी हो सकता है जो ना सिर्फ देश को आर्थिक सुरक्षा प्रदान करें, बल्कि आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा भी दें.
चालू वित्त वर्ष में ये मौद्रिक नीति समिति की पहली बैठक है. इससे पहले की 10 बैठकों में समिति ने रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट यानी की नीतिगत ब्याज दरों को अपरिवर्तित रखा है. आरबीआई ने आखिरी बार 22 मई 2020 को रेपो रेट में कटौती की थी, तब से ये 4% के अपने ऐतिहासिक निचले स्तर पर बनी हुई हैं.
देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने पिछले हफ्ते ही अपनी एक रिपोर्ट में कहा था कि केंद्रीय बैंक चालू वित्त वर्ष 2022-23 के लिए महंगाई दर के अनुमान को बढ़ा सकता है. साथ ही आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को घटा भी सकता है. आरबीआई ने महंगाई का लक्ष्य 4% तय किया है. इसमें 2% का उतार या चढ़ाव हो सकता है.
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