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हमास के हमले के बाद इजराइल ने जवाबी कार्रवाई शुरू कर दी है. इससे पश्चिम एशिया में संघर्ष पैदा हो गया है. ऐसे में इजराइल में निवेश करने वाली कंपनियों की मुश्किलें बढ़ गई हैं. जिसमें गौतम अडानी के नेतृत्व वाला अडानी ग्रुप भी शामिल है.
अडानी ग्रुप का इजराइल में निवेश
इजराइल और हमास के बीच भीषण युद्ध चल रहा है. कई भारतीय कंपनियों ने इजराइल में निवेश किया है. इन कंपनियों में अडानी ग्रुप भी शामिल है. गौतम अडानी की कंपनी APSEZ ने इजरायल के हाइफा पोर्ट में निवेश किया है. समूह की कंपनी अदानी पोर्ट्स एंड एसईजेड ने पिछले साल संयुक्त उद्यम में टेंडर जीता था। यह हाइफ़ा पोर्ट के निजीकरण का टेंडर था. अनुबंध का मूल्य लगभग 1.8 बिलियन डॉलर था। इस ज्वाइंट वेंचर में अडानी की करीब 70 फीसदी हिस्सेदारी है. हाइफ़ा बंदरगाह को कंटेनर शिपिंग के लिए इज़राइल का सबसे बड़ा बंदरगाह माना जाता है। APSEZ ने हाइफ़ा पोर्ट को लेकर एक बयान जारी किया है.
किसी भी परिस्थिति का सामना करने के लिए तैयार हूं
APSEZ के प्रवक्ता ने एक बयान में कहा कि ‘हम इजराइल की स्थिति पर लगातार नजर रख रहे हैं. वहां लड़ाई दक्षिणी इज़राइल में है जबकि हाइफ़ा का बंदरगाह उत्तर में है। हमने अपने कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए उपाय किए हैं और हमारे सभी कर्मचारी सुरक्षित हैं। हम किसी भी स्थिति का सामना करने के लिए तैयार हैं.’
कुल कार्गो मात्रा में हाइफ़ा की हिस्सेदारी केवल तीन प्रतिशत है
कंपनी का कहना है कि ‘उसकी कुल कार्गो मात्रा में हाइफ़ा की हिस्सेदारी केवल तीन प्रतिशत है।’ इस वित्तीय वर्ष में हाइफ़ा की कार्गो मात्रा 10 से 12 मिलियन टन होने का अनुमान है, जबकि APSEZ की कुल कार्गो मात्रा 370 से 390 मिलियन टन हो सकती है। प्रवक्ता के मुताबिक, ‘इस वित्तीय वर्ष की पहली छमाही में APSEZ का कुल कार्गो वॉल्यूम 203 मिलियन मीट्रिक टन था। जिसमें हाइफ़ा पोर्ट की हिस्सेदारी 60 लाख टन थी.
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