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किसानों का सरसों की खेती पर क्यों बढ़ा विश्वास?

Gulabi
21 Dec 2021 4:19 PM GMT
किसानों का सरसों की खेती पर क्यों बढ़ा विश्वास?
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पिछले लगभग एक साल से सरसों का दाम न्यूनतम समर्थन मूल्य से ऊपर ही चल रहा है
पिछले लगभग एक साल से सरसों का दाम न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से ऊपर ही चल रहा है. इसका रेट इस साल 9 हजार रुपये प्रति क्विंटल के स्तर तक पहुंच गया था. ऐसे में अब किसान दूसरी रबी फसलों के मुकाबले इसकी खेती पर फोकस कर रहे हैं. राजस्थान के बाद अब हरियाणा में सरसों की बुवाई का आंकड़ा आया है. जिसमें पता चला है कि इस साल किसानों ने पिछले साल के मुकाबले करीब 4 लाख एकड़ में अधिक बुवाई की है.
हरियाणा के कृषि मंत्री जय प्रकाश दलाल का कहना है कि इस रबी मौसम में, सरसों फसल की बिजाई पिछले साल के 6.1 लाख हेक्टेयर (करीब 15 लाख एकड़) के मुकाबले 7.6 लाख हेक्टेयर (करीब 19 लाख एकड़) में की गई है. इसी तरह, 22.9 लाख हेक्टेयर क्षेत्र (करीब 57 लाख एकड़) में गेहूं बोया गया है. जबकि पिछले साल 23.3 लाख हेक्टेयर क्षेत्र (करीब 58 लाख एकड़) में गेहूं बोया गया था. केंद्रीय कृषि मंत्रालय के मुताबिक हरियाणा में देश का 13 फीसदी से अधिक सरसों पैदा होता है.
बताया जाता है कि ओपन मार्केट में सरसों की कीमत एमएसपी से अधिक मिलने के कारण इस साल हरियाणा सरकार ज्यादा सरसों नहीं खरीद सकी. क्योंकि जब मंडी में मार्केट से कम रेट मिलेगा तो कोई किसान सरकार को अपनी फसल क्यों बेचेगा. किसानों को उम्मीद है कि अगले साल भी दाम अच्छा मिलेगा.
राजस्थान में कितना हो गया सरसों का क्षेत्र
केंद्रीय कृषि मंत्रालय के अनुसार देश के कुल सरसों उत्पादन में करीब 41 फीसदी अकेले राजस्थान की हिस्सेदारी है. इस बार यहां भी सरसों की खेती का रकबा बढ़ा है. इसकी वजह यह है कि किसान जान गए हैं कि अन्य रबी फसलों के मुकाबले इनकम के हिसाब सरसों ज्यादा लाभदायक है. क्योंकि इसका दाम एमएसपी से ज्यादा है.
इस साल देश में कितने क्षेत्र में हुई सरसों की बुवाई.
राजस्थान के कृषि विभाग के अधिकारियों के अनुसार सूबे में सरसों का क्षेत्र औसतन 27 लाख हेक्टेयर रहता था, जिसे इस वर्ष बढ़कर 33 लाख हेक्टेयर तक पहुंचने की उम्मीद है. यानी यहां इसके एरिया में 6 लाख हेक्टेयर की वृद्धि हुई है. सरसों उत्पादक दूसरे राज्यों मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश एवं असम में भी इसके रकबा में वृद्धि होने का अनुमान है.
देश में कितना हो गया क्षेत्र
पिछले कुछ साल से देश में सरसों की बुवाई का सामान्य क्षेत्र 61.55 लाख हेक्टेयर होता था. रबी सीजन 2020-21 में 65.97 लाख हेक्टेयर में सरसों की खेती हुई थी. जबकि 2021-22 में इसे बढ़कर 81.66 लाख हेक्टेयर तक पहुंचने की उम्मीद है. ऐसा सिर्फ और सिर्फ अच्छे दाम की वजह से हो रहा है. केंद्र सरकार की योजना साल 2025-26 तक सरसों उत्पादन को लगभग 17 मिलियन टन तक बढ़ाने की है.
धरती की सेहत के लिए भी है अच्छा
सोयाबीन के बाद दूसरी सबसे महत्वपूर्ण तिलहनी फसल सरसों है. खाद्य तेलों में सरसों का योगदान लगभग 28 फीसदी है. सरसों की फसल धरती की सेहत के लिए भी अच्छी है, क्योंकि इसके प्रोडक्शन में गेहूं के मुकाबले बहुत कम पानी की खपत होती है. खाद की भी जरूरत कम होती है. क्रॉप पैटर्न बदलने के लिए कई कारक होते हैं. जिसमें दाम प्रमुख है. दाम अच्छा मिल रहा है, इसीलिए किसानों का फोकस इसकी तरफ बढ़ रहा है.
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