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महाराष्ट्र में कपास उत्पादक इन दिनों कपास के कीमतों में बढ़ोतरी के उम्मीद में कपास का भंडारण करने पर ध्यान दे रहे हैं
महाराष्ट्र में कपास उत्पादक इन दिनों कपास के कीमतों में बढ़ोतरी के उम्मीद में कपास का भंडारण करने पर ध्यान दे रहे हैं.जैसे इस साल सोयाबीन के दाम को लेकर किसान चिंतत थे.अब कपास उत्पादक चिंतत नज़र रहे हैं.पहले
सोयाबीन को कम दर पर बेचने के बजाय, किसानों ने स्टॉक करना और उच्च दरों की प्रतीक्षा करना सही समझा था.इसका फायदा भी किसानों को हुआ हैं अब कपास का भी यही हाल हैं.सीजन की शुरुआत में कपास की कीमत 10,000 रुपये प्रति क्विंटल थी. लेकिन अब कीमतों में गिरावट के साथ किसान कपास बेचने के बजाय उसके भंडारण पर ध्यान दे रहे हैं.
मराठवाड़ा में कपास की कीमतों की स्थिति
इस साल मराठवाड़ा में कपास का रकबा कम हुआ हैं. इस स्थिति के चलते पूरे राज्य में सीजन की शुरुआत में कपास का भाव 10 हजार प्रति क्विंटल था किसान संतुष्ट थे क्योंकि आवक में वृद्धि के बावजूद एक ही दर को बनाए रखा गया है.
लेकिन अब अंतरराष्ट्रीय बाजार में आए बदलाव का सीधा असर स्थानीय बाजार पर भी पड़ा रहा हैं फिलहाल कपास की कीमत 8,000 रुपये प्रति क्विंटल हैं तो वही किसानों को निकट भविष्य में कीमतों में बढ़ोतरी की उम्मीद है इसलिए कपास का भंडारण किया जा रहा है मराठवाड़ा में विक्री केंद्र पर 8,000 रुपये का रेट मिल रहा है किसानों को 10 हजार रुपए प्रति क्विंटल की उम्मीद हैं.
गुलाबी सुंडी के प्रकोप से फसले हुए खराब
केवल खरीफ कपास की फसल खिली थी इसके अलावा, खेती के तहत क्षेत्र में गिरावट के कारण, इस मौसम की शुरुआत से कपास की अच्छी दरें प्राप्त हुई थीं. लेकीन फसल अपने अंतिम चरण में होने के कारण बेमौसम बारिश और बदलते मौसम के कारण गुलाबी सुंडी का प्रकोप बढ़ रहा हैं नतीजतन, अंतिम चरण में उत्पादन में भारी कमी आई है और साथ ही गुणवत्ता भी कम हो गई है जिससे किसानों को निराशा हुई है.यूनतम कपास का सही दाम दिलाने के लिए किसान भंडारण पर जोर दे रहे हैं इतना ही नहीं अब जबकि कपास की फसल भी खतरे में है जिसके चलते कई किसान को किट ओर रोग लगने की वजह से फसल को नष्ट करना पड़ा हैं.
निजी व्यापारियों द्वारा किसानों को लूटा जा रहा हैं
एक तरफ जहां कपास की कीमतों में गिरावट आ रही है, तो वही निजी व्यापारी इस स्थिति का फायदा उठा रहे हैं सीजन की शुरुआत में व्यापारी कपास खरीदने के लिए किसानों के दरवाजे पर जा रहे थे.लेकीन अब कोरोना के बढ़ते प्रचलन के कारण कपास की मांग में गिरावट आई है इसका सीधा असर कीमतों पर पड़ा है और स्थानीय व्यापारी कपास की कीमतों में गिरावट की मांग कर रहे हैं अब किसान कपास के साथ विक्री केंद्र आते हैं लेकिन कपास को मामूली दर पर खरीदा जा रहा है.इसलिए किसान अब कपास का भंडारण कर ऊंची दरों का इंतजार कर रहे हैं.
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