
देश में मान्यता प्राप्त स्टार्टअप्स की संख्या लगातार तेजी से बढ़ रही है। यही कारण है कि आज स्टार्टअप की दुनिया में भारत का डंका बज रहा है। 2016 में भारत में मौजूद 442 स्टार्टअप्स की संख्या थी जो बढ़कर अब 92,683 के करीब हो चुकी है। लेकिन भारत में स्टार्टअप कंपनियों के यूनिकॉर्न बनने की रफ्तार वर्ष 2023 में सुस्त पड़ती हुई नजर आ रही है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2023 में सिर्फ तीन स्टार्टअप ही यूनिकॉर्न कैटेगरी में शामिल हो पाए जबकि साल भर पहले इनकी संख्या 24 थी। बता दें कि यूनिकॉर्न एक अरब डॉलर से अधिक वैल्यूएशन वाले स्टार्टअप को यूनिकॉर्न कहा जाता है।
मौजूदा समय में भारत में कुल 108 यूनिकॉर्न हैं। इन यूनिकॉर्न में क्रेड, फार्मईजी, मिशो, बायजू, ग्रो, नाइका जैसे बड़े नाम शामिल है। भारतीय अर्थव्यवस्था जो कि तेजी के साथ आगे बढ़ती अर्थव्यवस्था के रूप में देखा जाता है। इस लिहाज से यह संख्या अच्छी लेकिन, इन यूनिकॉर्न में सभी कंपनियां फायदे में नहीं हैं बल्कि इसके उलट पिछले कुछ समय से घाटे में का सामना कर रही हैं। बात करते हैं एडटेक कंपनी बायजू की। पिछले एक साल से बायजू मुश्किलें बढ़ती दिख रही है. एक वक्त भारतीय स्टार्टअप्स का फेस माने जाने वाले बायजू पर कोई भी इन्वेस्टर दांव लगाने को तैयार नहीं हो रहा है। बायजू के फाउंडर बायजू रविंद्रन अब बिलिनियर्स की लिस्ट से भी बाहर हो गए है।
बायजू: अर्श से फर्श तक का सफर
2011 में शुरुआत करने वाली कंपनी बायजू कोविड के मुश्किल समय में बूम पर आयी और इसके 15 मिलियन से ज्यादा सब्सक्राइबर हो गए। इसके साथ ही बायजू यूनिकॉर्न की श्रेणी में आ गई। इस सफलता के बाद से बायजू विस्तार के रास्ते पर चल पड़ी। इस क्रम में कंपनी ने एक और एडटेक स्टार्टअप Whitehat Junior, Aakash, Great Learning, Topper और Epic जैसी बड़ी कंपनियों को अपने साथ मिला लिया। इन सब में बायजू को करीब 2 मिलियन डॉलर की लागत आई। इसके बाद से कंपनी ने अपनी मार्केटिंग पर फोकस किया। प्रमोशन के लिए बायजू ने भारतीय क्रिकेट टीम, फीफा वर्ल्ड कप 2022 जैसी बड़े नाम पर दांव लगाया। इस वक्त तक बायजू के लिए सब सही चल रहा था। लेकिन लॉकडाउन के खत्म होने के साथ 2021 के आते आते बायजू ने 327 मिलीयन डॉलर के घाटे की बात सामने रखी। इसके बाद बायजू को लेकर शिकायतों का दौर चला। कास्ट कटिंग के नाम पर अपने कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाया गया। अप्रैल 2023 में बायजू के बेंगलुरु ऑफिस में रेड पड़ी। मई 2023 में बायजू के अमेरिकी निवेशकों ने कंपनी के खिलाफ पेमेंट डिफॉल्ट के लिए सूट फाइल कर दिया है। इस तरह से बायजू जिसकी वैल्यूवेशन 2022 में 22 बिलियन डॉलर थी 2023 में घटाकर 5.1 बिलियन डॉलर पर आ गई।
भारतीय स्टार्टअप की चुनौतियां
यह कहानी सिर्फ एक कंपनी बायजू की ही नही है बल्कि अधिकतर भारतीय स्टार्टअप की है। जिन्हें अपनी ओवर वैल्यूएशन का खामियाजा अब भुगतना पड़ रहा है। बड़ी कंपनियां जैसे की Paytm, Bharatpay, zomato आदि भी इसी ओवर वैल्यूएशन का शिकार बनते देखी गयी है। जो वैल्यूएशन कभी इन बड़ी स्टार्टअप कंपनियों के लिए वरदान से कम नहीं थी। वही आज इनकी पतन का मुख्य कारण बनकर सामने आई है। एक रिर्पोट के अनुसार अधिकतर भारतीय स्टार्टअप कंपनियां अपने शुरुआती दौर में ओवरवैल्यूड की जाती है। जिसकी वजह से अब निवेशक इन स्टार्ट अप्स पर निवेश करने से कतरा रहे हैं और यह कंपनियों के मुश्किलें खड़ी कर रही है। अब इन कंपनियों को उनके असली वैल्यू पर देखा जा रहा है जिसकी वजह से भारतीय स्टार्ट अप्स पर एक नेगेटिव इम्पैक्ट या सेटबैक की तरह देखा जा रहा है। मौजूदा वक्त भारतीय स्टार्टअप के लिए बबल बर्स्टिंग की तरह काम कर रहा है। लिहाजा इन स्टार्टअप्स को अपने तौर तरीकों और काम करने के प्रकिया को दोबारा से परिवर्तन करने की जरूरत है
