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कोविड तीसरी लहर कम घातक से फिर क्यों गांवों की तरफ रुख कर रहे मजदूर

Teja
14 Jan 2022 7:27 AM GMT
कोविड तीसरी लहर कम घातक से फिर क्यों गांवों की तरफ रुख कर रहे मजदूर
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सेहत के लिहाज से कोरोना (covid 19) की तीसरी लहर भले ही पहली और दूसरी लहर जितनी घातक न हो, लेकिन आम आदमी की जेब पर इसकी मार भारी पड़ सकती है

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | सेहत के लिहाज से कोरोना (covid 19) की तीसरी लहर भले ही पहली और दूसरी लहर जितनी घातक न हो, लेकिन आम आदमी की जेब पर इसकी मार भारी पड़ सकती है… रोजगार (employment), काम धंधे और अर्थव्यवस्था को लेकर एक बार फिर वैसे ही संकेत मिलने लगे हैं जो पहली और दूसरी लहर में दिखे थे. रिटेल बिक्री धीमी पड़ने लगी है. ईंधन की मांग कमजोर होने लगी है. बेरोजगारी बढ़ने लगी है और सबसे अहम है कि देश में एक बार फिर से मनरेगा (MGNREGA ) में काम की मांग बढ़ गई है. या दूसरे शब्दों में कहें कि एक बार फिर मजदूर शहरों से निकल कर वापस अपने गांवों की तरफ रुख कर रहे हैं.

मनरेगा में काम की मांग बढ़ी
ग्रामीण विकास मंत्रालय के आंकड़ों को देखें तो दिसंबर के दौरान देश में मनरेगा में काम की मांग चार महीने के ऊपरी स्तर तक पहुंची है. आंकड़ों के अनुसार दिसंबर के दौरान 2.47 करोड़ लोगों ने मनरेगा योजना के तहत रोजगार मांगा जो अगस्त के बाद सबसे बड़ा आंकड़ा है. नवंबर में भी 2.11 करोड़ लोगों ने रोजगार मांगा था. यानि साफ है कि अब लोग पहले के मुकाबले ज्यादा संख्या में गांव पहुंच कर रोजगार की मांग कर रहे हैं.
देश में बढ़ी बेरोजगारी
मनरेगा के तहत मिलने वाले रोजगार की मांग बढ़ने से साफ संकेत है कि कोरोना की तीसरी लहर की वजह से लोग गांवों की तरफ पलायन कर रहे हैं और गांव पहुंचकर रोजगार मांग रहे हैं यानी शहरों में भी बेरोजगारी बढ़ गई है. सीएमआईई के आंकड़ों के अनुसार दिसंबर के दौरान देश में बेरोजगारी की दर 7.91 फीसदी दर्ज की गई है.
अर्थव्यवस्था में सुस्ती के संकेत
कोरोना की तीसरी लहर के असर से सिर्फ बेरोजगारी ही नहीं बढ़ रही देश में ईंधन की मांग भी घट रही है जो अर्थव्यवस्था में सुस्ती का साफ संकेत है. पीपीएसी के अनुसार बीते दिसंबर के दौरान देशभर में पेट्रोलियम उत्पादों की मांग 1.84 करोड़ टन रही है जबकि पिछले साल दिसंबर में यह 1.83 करोड़ टन थी. कोरोना काल से पहले यानी 2019 के दिसंबर में 1.89 करोड़ टन मांग थी.रिटेल बिक्री बड़ी मुश्किल से पटरी पर आती दिख रही थी, लेकिन तीसरी लहर ने बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है. रिटेलर्स एसोसिएशन के आंकड़े बताते हैं कि दिसंबर के दौरान रिटेल बिक्री वैसे तो कोरोना काल से पहले के मुकाबले सात फीसद बढ़ी है, लेकिन कुछ सेक्टर ऐसे हैं जहां पर हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं.
किसे हुआ सबसे ज्यादा नुकसान
सलून, जिम और योग केंद्रों पर कोरोना की सबसे ज्यादा मार पड़ी है. पहली और दूसरी लहर की मार से यह सेक्टर अभी उबर भी नहीं पाया था और अब तीसरी लहर सामने आ चुकी है जो हालात और खराब कर सकती है. रिटेल एसोसिएशन के आंकड़ों को देखें तो दिसंबर में ब्यूटी, वेलनेस तथा पर्सनल केयर केंद्रों पर रिटेल सेल 2019 के दिसंबर के मुकाबले सात फीसद गिरी है. बेरोजगारी और कमजोर मांग के ये आंकड़े सिर्फ दिसंबर के हैं जब तीसरी लहर ने दस्तक दी ही थी. जनवरी में कोरोना की तीसरी लहर ज्यादा घातक रूप ले रही है और जनवरी के आने वाले आंकड़ों में असर और भी खराब दिख सकता है.


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