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थोक - खुदरा महंगाई दर में आई गिरावट, पर नहीं मिली महंगे गेहूं चावल

Tara Tandi
15 Jun 2023 7:01 AM GMT
थोक - खुदरा महंगाई दर में आई गिरावट, पर नहीं मिली महंगे गेहूं चावल
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मई 2023 के लिए थोक मूल्य आधारित महंगाई दर आ गई है, जो 2015 के बाद सबसे निचले स्तर -3.48 फीसदी पर पहुंच गई है. इसी तरह सोमवार 12 जून को मई महीने के लिए खुदरा महंगाई दर की घोषणा की गई। इन आंकड़ों के मुताबिक खुदरा महंगाई दर 25 महीने के निचले स्तर 4.25 फीसदी पर आ गई है. खाद्य मुद्रास्फीति भी घटकर 2.91 फीसदी पर आ गई है. लेकिन सवाल उठता है कि क्या वाकई आम लोगों को महंगाई से राहत मिल रही है? क्या बाजार में जरूरी खाने-पीने की चीजें वाकई सस्ती हो गई हैं?
गेहूं और चावल की महंगाई से निपटने पर फोकस
जिस दिन खुदरा महंगाई के आंकड़े घोषित किए गए, सरकार ने गेहूं की बढ़ती कीमतों को देखते हुए स्टॉक होल्डिंग की सीमा तय कर दी। तो इसके साथ ही सरकार ने अपने बफर स्टॉक से ओएमएसएस के तहत खुले बाजार में गेहूं के साथ-साथ चावल को भी बेचने की घोषणा की ताकि बाजार में बढ़ती कीमतों को नियंत्रित किया जा सके।
गेहूं और चावल के दामों में इजाफा
आवश्यक वस्तुओं के खुदरा मूल्यों पर नजर रखने वाले उपभोक्ता मामलों के विभाग के मूल्य निगरानी प्रभाग के आंकड़ों पर नजर डालें तो पिछले डेढ़ महीने में गेहूं से लेकर चावल तक के दामों में इजाफा हुआ है. 1 मई, 2023 को गेहूं का औसत भाव 28.74 रुपये प्रति किलो था, जो 13 जून को 27 पैसे प्रति किलो बढ़कर 29.1 रुपये प्रति किलो हो गया है। चावल का औसत भाव 1 मई, 2023 को 38.48 रुपये प्रति किलो था, जो कि 13 जून को 1.21 रुपये बढ़कर 39.69 रुपये प्रति किलो हो गया है। एक मई को आटा 34.23 रुपये प्रति किलो पर मिल रहा था, जो 13 जून को 15 पैसे बढ़कर 34.38 रुपये प्रति किलो हो गया।
अरहर, उड़द दाल के बढ़े दाम
दालों की महंगाई भी आम लोगों को परेशान कर रही है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक खुदरा बाजार में अरहर की दाल एक मई 2023 को 116.68 रुपये प्रति किलो पर उपलब्ध थी, जो 13 जून को 9.55 रुपये की वृद्धि के साथ 126.23 रुपये प्रति किलोग्राम पर उपलब्ध है. उड़द की दाल एक मई को 108.23 रुपये थी, जो 13 जून को 111.08 रुपये प्रति किलो थी। मूंग की दाल एक मई को 107.29 रुपये थी, जो 109.17 रुपये प्रति किलो थी। इस दौरान चीनी भी महंगी हुई है।
महंगाई से राहत नहीं
इन जरूरी खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतों को देखकर मन में यह बात उठना लाजिमी है कि क्या महंगाई दर के आंकड़े वाकई घटती महंगाई की हकीकत बयां कर रहे हैं या ये आंकड़े हकीकत से कोसों दूर हैं?
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