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अफ्रीकी देश कैमरून में कफ सिरप पीने की वजह से बच्चों की मौतों का मामला सामने आया है. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस मामले में भारतीय अधिकारियों से मदद मांगी है ताकि ये पता लगाया जा सके कि ये दवा कहां बनी थी.
डब्ल्यूचओ ने बीते बुधवार को नेचरकोल्ड नामक एक कफ सिरप को लेकर चेतावनी जारी की थी. डब्ल्यूएओ के मुताबिक इस कफ सिरप में डाईइथाईलीन ग्लाकोल नामक जहरीले रसायन की भारी मात्रा पायी गयी.
डब्ल्यूचओ के मुताबिक दवा में डाईइथाईलीन ग्लाइकोल की मात्रा 0.1 फीसदी से अधिक नहीं होनी चाहिए लेकिन नेचरकोल्ड में इसकी मात्रा 28.6 फीसदी तक पायी गयी है. कैमरून के अधिकारी नेचरकोल्ड को 6 बच्चों की मौतों का जिम्मेदार मान रहे हैं. नेचरकोल्ड सिरप की बोतल पर दवा निर्माता कंपनी का नाम फ्रेकेन इंटरनेशनल लिखा हुआ है.
फ्रेकेन इंटरनेशनल की बोतल पर लिखा है कि वह इंग्लैंड की कंपनी है, लेकिन ब्रिटेन के अधिकारियों ने दावा किया है कि उनके देश में इस नाम की कोई कंपनी नहीं है और न ये दवा बनती है. इसके बाद डब्ल्यूएचओ ने इसके बाद भारत के दवा नियामक से संपर्क साधकर यह पता लगाने के लिए कहा है कि कहीं इसमें कोई भारतीय कंपनी तो शामिल नहीं है. भारत ही नहीं, डब्ल्यूएचओ दूसरे देशों की कंपनियों से भी संपर्क साध रही है.
नेचरकोल्ड को लेकर जारी की गई चेतावनी हालिया महीनों में अलग-अलग कप सिरप के बारे में जारी चेतावनी की शृंखला की एक और कड़ी है. पिछले कुछ महीनों में खांसी की दवाओं में जहरीले रसायनों के कई मामले सामने आ चुके हैं.
2022 में गांबिया, उज्बेकिस्तान और इंडोनेशिया में 300 से अधिक बच्चों की मौत के लिए अलग-अलग कफ सिरप को जिम्मेदार ठहराया गया था. इनमें से जिम्मेदार चार में से तीन मामलों में दवाओं का निर्माण भारत में हुआ है. बढ़ते मामले को देखकर भारत सरकार ने आदेश जारी किया था कि निर्यात होने वाली खांसी की दवा को एक प्रमाणपत्र लेना होगा. यह प्रमाण पत्र कड़े परीक्षणों के बाद जारी होगा. प्रमाण पत्र के लिए सरकारी प्रयोगशाला में जांच की जाएगी.
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