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आजकल जब लोग कार खरीदने जाते हैं तो वो ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन को तरजीह देते हैं क्योंकि ये स्टेटस सिम्बल की तरह भी देखा जाता है.
आजकल जब लोग कार खरीदने जाते हैं तो वो ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन को तरजीह देते हैं क्योंकि ये स्टेटस सिम्बल की तरह भी देखा जाता है. इसे भारत में आज भी एक प्रीमियम कार फीचर माना जाता है. अगर आपको भी लगता है कि ऑटोमैटिक कारें मैनुअल कारों से बेहतर होती हैं तो आपको इनके बारे में थोड़ा जान लेना चाहिए, हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि दोनों में काफी अंतर होता है और आपको इनके बारे में जानना बेहद ही जरूरी है. आज हम आपको इसी अंतर के बारे में बताने जा रहे हैं.
ऑटोमैटिक कार
ऑटोमैटिक कार में भी आपको गियर देखने को मिल जाता है, हालांकि ये गियर किसी स्विच की तरह होता है जिसमें मोड लिखे होते हैं और आपको इन्हें फॉलो करना पड़ता है. इनमें आपको बार बार गियर बदलने के जरूरत नहीं पड़ती है. बस एक बार गियर को ड्राइव मोड पर डालना है और इसे चलाते जाना है. ऑटोमैटिक कारें शहरी सड़कों पर बेहतरीन परफॉर्मेंस ऑफर करती हैं. अब अगर बात करें दिक्कतों की तो आपको इन्हें चलाते समय पावर की कमी महसूस हो सकती है. दरअसल ऑटोमैटिक कार को आप टेक ओवर करने की कोशिश करते हैं या फिर हाइवे या पहाड़ी सड़कों पर चलाते हैं तो आपको थोड़ी दिक्कत आने लगती है. अगर आप कम्फर्ट ड्राइव चाहते हैं तो उसके लिए ये सही रहती हैं लेकिन पावर एक्सपीरियंस के मामले में आपको इनसे थोड़ी निराशा हो सकती है.
मैनुअल कार
मैनुअल कार में आपको एक प्रॉपर गियरबॉक्स देखने को मिलता है जिसे आपको स्पीड और जरूरत के हिसाब से बदलना पड़ता है. अगर आप मैनुअल कार चला रहे हैं तो आपको शहरी सड़कों पर बार-बार गियर बदलना पड़ता है. इसमें आपको क्लच और गियर का कॉम्बिनेशन बना के काम करना पड़ता है. ऐसे में आप अगर कम्फर्ट ड्राइव चाहते हैं तो आपको थोड़ी निराशा होगी। हालांकि जब बात आती है पावर ड्राइव की तो ये आपको निराश नहीं करती है, खास तौर से उस समय जब आप इसी कार को ओवरटेक कर रहे होते हैं या फिर आप हाइवे पर ड्राइविंग कर रहे होते हैं.
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