व्यापार
आम लोगों पर क्या होगा असर, असम मवेशी संरक्षण विधेयक, जानिए ये खास जांच?
Rounak Dey
10 Aug 2021 6:23 PM GMT
x
असम मवेशी संरक्षण विधेयक, 2021 कानून के रूप में लागू हो गया तो मुख्य तौर पर तीन बातें अमल में आ जाएंगी
जनता से रिश्ता वेबडेस्क :- असम मवेशी संरक्षण विधेयक, 2021 कानून के रूप में लागू हो गया तो मुख्य तौर पर तीन बातें अमल में आ जाएंगी. कोई भी व्यक्ति शासन द्वारा तय जगहों के अलावा कहीं और ना तो बीफ़ ख़रीद सकता है और ना बेच सकता है.
पिछले दिनों असम की विधानसभा में गौवंश के वध और खरीद-बिक्री के खिलाफ एक विधेयक पेश हुआ. इस विधेयक में ये प्रावधान है कि किसी मंदिर या मठ के पांच किलोमीटर के दायरे में गोमांस पर प्रतिबंध रहेगा, लेकिन राज्य में इस प्रस्तावित कानून का विरोध भी हो रहा है. लिहाजा हमने इसी मुद्दे पर असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा से एक्सक्लूसिव बात की है. हिमंता बिस्वा सरमा ने बेबाकी से हमारे सवालों का जवाब दिया. मंदिर से 500 मीटर तक के दायरे में बीफ की बिक्री नहीं होने के सवाल पर हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा कि हम चाहते हैं मंदिर से 10 किलोमीटर दूर तक बीफ की बिक्री नहीं हो.
हिमंता बिस्वा सरमा ने हमारे सवालों का बेबाकी से जवाब दिया, लेकिन हमने इसे ग्राउंड जीरो पर जाकर समझने की कोशिश की. हमारे रिपोर्टर असम गए और ये पता लगाने की कोशिश की- कि ऐसा कौन सा इलाका है, जिसके पांच किलोमीटर के दायरे में मंदिर नहीं है.
भारतवर्ष की टीम ये जानने के लिए असम पहुंची कि हिमंत बिस्व सरमा की सरकार जो कानून ला रही है, उसका आम लोगों पर क्या असर होने वाला है. सबसे पहले आपको बताते हैं कि असम मवेशी संरक्षण विधेयक, 2021 में है क्या. ये विधेयक कानून के रूप में लागू हो गया तो मुख्य तौर पर तीन बातें अमल में आ जाएंगी. पहली बात- कोई भी व्यक्ति शासन द्वारा तय जगहों के अलावा कहीं और ना तो बीफ़ ख़रीद सकता है और ना बेच सकता है.
दूसरी बात, ऐसी जगहों पर भी इस तरह की अनुमति नहीं मिलेगी, जहां हिंदू, जैन, सिख बहुल लोग रहते हैं और तीसरी बात, किसी मंदिर या दूसरे धार्मिक स्थल के 5 किलोमीटर के दायरे में बीफ़ की खरीद बिक्री पर रोक रहेगी. यहां बीफ का मतलब है बैल, गाय, बछिया, बछड़ा के अलावा नर और मादा भैंस .
आपको बताते हैं नए नियम के बाद दरअसल इस शहर में मिक्स्ड कम्युनिटी रहती है. सरकार कहती है जहां भी मंदिर है, पांच किलोमीटर के दायरे में बीफ बिक्री ही हो सकती. मिक्स पॉपुलेशन की वजह से हर इलाके में मंदिर होगा. 5 किलोमोटर के रिडियस में कानून लागू होगा तो पूरे असम को प्रभावित करेगा और ज्यादातर इलाके मीट की बीक्री को बंद करना पड़ेगा. ये ठीक है कि असम सरकार कह रही है वो इस कानून के जरिए बांग्लादेश में होने वाली गौ-तस्करी को रोकना चाहती है, लेकिन स्थानीय लोगों की फिक्र अपनी रोजी रोटी को लेकर है.
गुवाहाटी के हाथीगांव इलाके में मुस्लिम आबादी है. उधर कई बीफ की दुकानें हैं. कानून बना तो सारे बूचड़खाने बंद हो जाएंगे. कुछ दुकानदार हमारे साथ हैं. प्रस्तावित कानून में कहा गया है कि जानवरों के वध, बिक्री और ट्रांसपोर्टेशन से जुड़े नियमों को तोड़ने पर तीन से आठ साल की क़ैद हो सकती है. इसके अलावा 3 लाख से 5 लाख रुपए के बीच जुर्माना भी हो सकता है. इतना ही नहीं, दोबारा पकड़े जाने पर सज़ा दोगुनी भी कर दी जाएगी.
स्थानीय नागरिक रेहाना कहती हैं कि 20 से 30 परसेंट लोग गाय के ऊपर आश्रित हैं. पढ़ाई और दवाई के लिए लोग रो रहे हैं. दिंदू मुस्लम का बात नहीं है. मोती उर रहमान कहती हैं कि अगर दो गाय हैं और बेचकर बच्चे की पढ़ाई कराते हैं तो क्या हुआ, पैसा मुख्यमंत्री देंगे क्या? हमलोग बहुत परेशान हैं. करोड़ों लोग जुड़े हैं. ऐसा करना चाहिए सरकार को कि हमारा घर भी चले.
दरअसल, मवेशियों से जुड़ा कारोबार कई लोगों की आजीविका का आधार है, लेकिन ये भी सच है कि जानवरों की तस्करी की घटनाएं भी बड़े पैमाने पर सामने आती हैं. भारत और बांग्लादेश की सीमा 4 हज़ार किलोमीटर से भी ज्यादा लंबी है, जोकि अकेले असम में करीब 250 किलोमीटर तक फैली हुई है. बताया जाता है कि इस बॉर्डर से हर वर्ष क़रीब 10 लाख मवेशियों की तस्करी होती है. खुद असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने पिछले दिनों कहा कि उनके राज्य में हर महीने गैरकानूनी तरीके से औसतन 1000 करोड़ रुपये की पशु तस्करी होती है. हर साल हजारों करोड़ों का कारोबा करके गौ तस्करी की जाती है. इस पार से उस पार भेजते हैं. सरकार को उम्मीद है कि तस्करी रुक जाएगी.
Rounak Dey
Next Story