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देश के banks में खत्म हो रहा पैसा क्या है वजह?

Ashawant
31 Aug 2024 10:56 AM GMT
देश के banks में खत्म हो रहा पैसा क्या है वजह?
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Business व्यापार : देश का सबसे बड़ा बैंक एसबीआई हो या फिर निजी क्षेत्र का कोई छोटा बैंक, देश के सभी बैंक इस समय पैसों की कमी से जूझ रहे हैं। हालात यहां तक ​​पहुंच गए हैं कि बैंकों के पास अब लोन बांटने के लिए भी पर्याप्त पैसे नहीं हैं। बैंकों की जमा राशि में लगातार गिरावट आ रही है, अपने पीक टाइम में बैंकों के पास जमा राशि 2.86 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गई थी, लेकिन 28 अगस्त को यह घटकर महज 0.95 लाख करोड़ रुपये रह गई है। इसकी वजह क्या है? यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने हाल ही में बैंक जमा में कमी को लेकर एक रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट में एक बात खास तौर पर बताई गई है कि पूरे अगस्त महीने में जमा राशि में लगातार गिरावट देखने को मिली है। एसबीआई के नए चेयरमैन सी.एस. शेट्टी ने ग्लोबल फिनटेक फेस्ट में यह भी कहा कि बैंकों पर जमा राशि बढ़ाने का दबाव अभी कुछ और समय तक जारी रह सकता है। सरकार से लेकर आरबीआई तक सभी चिंतित देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बैंकों से जमा राशि बढ़ाने के लिए कई कदम उठाने को कहा है। इसके बावजूद बैंकों की लिक्विडिटी (नकदी की स्थिति) कमजोर होती जा रही है। बैंक डिपॉजिट में गिरावट सरकार और आरबीआई के लिए चिंता का विषय बनी हुई है। इसका असर देश में आर्थिक गतिविधियों पर पड़ सकता है। वित्त मंत्री ने सरकारी बैंकों से ग्राहकों से बेहतर संबंध बनाने और अच्छी ग्राहक सेवा देने को भी कहा है। इसके साथ ही उन्होंने बैंकों से ग्राहकों, खासकर ग्रामीण इलाकों के ग्राहकों तक पहुंचने को भी कहा।

उन्होंने बैंकों की समीक्षा बैठक में खास तौर पर इस बात का जिक्र किया कि क्रेडिट ग्रोथ तो हो रही है, लेकिन बैंकों को डिपॉजिट पर भी ध्यान देना होगा, क्योंकि इसी आधार पर क्रेडिट ग्रोथ टिकाऊ रह पाएगी। बैंकों का डिपॉजिट क्यों घट रहा है? बैंक डिपॉजिट में कमी की समस्या को वित्त मंत्री के एक बयान से समझा जा सकता है। उनका कहना है कि बैंकों को अपने मूल काम पर ध्यान देना चाहिए। इसका मतलब यह नहीं है कि वे इस पर ध्यान नहीं दे रहे हैं, बल्कि उनका काम लोगों की जमा राशि स्वीकार करना और फिर उसे बहुत सावधानी से लोन के तौर पर बांटना है। उनका कहना है कि डिपॉजिट और लोन के बीच संतुलन होना चाहिए, तभी यह पहिया घूमेगा। ऐसा नहीं हो सकता कि डिपॉजिट कम हो और लोन बांटने का काम तेज हो। इतना ही नहीं उन्होंने बैंकों से उभरते क्षेत्रों की सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाने को भी कहा है। साथ ही आरबीआई गवर्नर ने यह भी कहा है कि पहले के समय में आम आदमी के लिए निवेश का एकमात्र विकल्प बैंक हुआ करते थे। लेकिन अब ग्राहकों का व्यवहार बदल रहा है और लोग पूंजी बाजार यानी शेयर बाजार की ओर ज्यादा रुख कर रहे हैं। इसके अलावा अन्य वित्तीय संपत्तियों में उनका निवेश बढ़ा है। इसलिए बैंकों की जमा राशि में कमी की वजह ग्राहकों के व्यवहार में आया बदलाव है। गवर्नर शक्तिकांत दास का कहना है कि बैंकों की जमा राशि का बड़ा हिस्सा अब म्यूचुअल फंड, पेंशन फंड और बीमा फंड की ओर जा रहा है।


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