म्यूचुअल : क्या एक म्यूचुअल फंड निवेशक का काम एक ही फंड में निवेश से चल सकता है? और अगर हां, तो ये फंड किस तरह का होना चाहिए? यह एक सैद्धांतिक समस्या है, क्योंकि इस बात की संभावना कहीं ज्यादा है कि एक भारतीय म्यूचुअल फंड निवेशक का कई फंड्स में निवेश हो। फंड निवेशकों के लिए ये कोई बड़ी बात नहीं है, मगर एक ही फंड में निवेश चाहने वाले गिने-चुने ही होंगे। हालांकि, एक ही फंड में निवेश का विचार निवेश के मकसद को पूरा कर देता है। पर ये दिखाने के लिए कि इकलौता फंड पूरे पोर्टफोलियो के तौर पर कितना कारगर है, और ये समझाने के लिए कि बहुत सारे फंड्स में निवेश करने के बजाए एक-दो फंड में निवेश करना बेहतर है, इसकी स्पष्ट वजह बतानी होगी?
आप ये जानकर चौंक जाएंगे कि ज्यादातर भारतीय म्यूचुअल फंड निवेशकों के पास 10 से ज्यादा फंड्स हैं। आंकड़ों के आधार पर ये बात सामने आई है। हालांकि, 20 से 30 फंड होना भी कोई बड़ी बात नहीं और 50 से ज्यादा फंड होना सामान्य तो नहीं है, लेकिन ये दुर्लभ भी नहीं है। ज्यादातर लोग जिनके पास 10 या इससे कम फंड हैं, वो नए निवेशक हैं। इसमें कोई शक नहीं कि समय के साथ इनके फंड्स भी बढ़ते जाएंगे। अब सवाल है कि लोग बहुत सारे फंड में निवेश क्यों करते हैं?
इसकी एक वजह विविधता बताई जाती है। लेकिन इसकी असल वजह है फंड बेचने वालों का दबाव। हर कोई जानता है या जानना चाहिए कि विविधता कुछ निवेश के खराब प्रदर्शन के खिलाफ सुरक्षा पाने का उपाय है। आप अपनी रकम का एक छोटा हिस्सा किसी खास कंपनी या सेक्टर में इसलिए निवेश करते हैं ताकि मार्केट के कमजोर प्रदर्शन का आपके निवेश पर कम से कम असर हो। हालांकि, अगर पूरा मार्केट ही गिरावट की जद में आ जाए तो विविधता कोई खास मदद नहीं करती।