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सचिन, अंबानी और जैकी श्रॉफ का क्या है कनेक्शन, 1.19 करोड़ फाइलें खोल रहीं राज

Shiddhant Shriwas
5 Oct 2021 2:05 AM GMT
सचिन, अंबानी और जैकी श्रॉफ का क्या है कनेक्शन, 1.19 करोड़ फाइलें खोल रहीं राज
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भारत रत्न सचिन तेंदुलकर, अनिल अंबानी, नीरव मोदी, किरण मजूमदार शॉ, यह पेंडोरा पेपर्स में आए करीब 500 भारतीयों में से कुछ चर्चित नाम हैं।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। भारत रत्न सचिन तेंदुलकर, अनिल अंबानी, नीरव मोदी, किरण मजूमदार शॉ, यह पेंडोरा पेपर्स में आए करीब 500 भारतीयों में से कुछ चर्चित नाम हैं। विदेश में जमा किए गए धन का खुलासा करने वाले इन दस्तावेजों के मुताबिक, दुनियाभर के अमीरों ने लाखों करोड़ रुपये की टैक्स चोरी कर टैक्स हैवन कहे जाने वाले देशों और कंपनियों में यह पैसा जमा किया। इंटरनेशनल कंसॉर्टियम ऑफ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स (आईसीआईजे) द्वारा जारी इस रिपोर्ट में इन भारतीय हस्तियों की ओर से विदेशी खातों और कंपनियों में जमा राशियों और संपत्तियों का यह खुलासा किया गया है-

3 टेराबाइट का कुल डाटा...1.19 करोड़ फाइलें और 7,50,000 तस्वीरें खुलासे में शामिल

1970 तक के दस्तावेज शामिल, अधिकतर 1996 से 2020 के

91 देशों के 330 राजनेताओं के नाम सामने आए, इनमें 35 नेता अपने देश के सर्वोच्च पदों पर पहुंचे या अब भी हैं

130 अरबपति भी इस सूची में शामिल हैं

सचिन तेंदुलकर : कंपनी बेचकर जमा की रकम

क्रिकेट मेगास्टार भारत रत्न सचिन तेंदुलकर, उनकी पत्नी अंजलि और ससुर आनंद मेहता के नाम आए हैं। 2016 में ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड (बीवीआई) स्थित कंपनी बेचकर रकम विदेश में जमा कराने का दावा किया गया है। हालांकि तेंदुलकर के वकील ने इस बिक्री को कानूनन वैध बताया है।

अनिल अंबानी : 9,965 करोड़ की 18 कंपनियां

9,965 करोड़ रुपये मूल्य की विदेश में काम करने वाली 18 कंपनियों का जाल बिछाया। वैसे अनिल अंबानी ने पिछले वर्ष लंदन के एक बैंक में बताया था कि उनकी नेटवर्थ शून्य है, बल्कि चीनी सरकार के तीन बैंकों का पैसा भी उन पर बकाया है।

किरण मजूमदार शॉ के पति का नाम आया

7,360 करोड़ की कंपनी बायोकॉन की प्रमोटर किरण के पति व ब्रिटिश नागरिक जॉन शॉ पर आरोप हैं कि इनसाइडर ट्रेडिंग के लिए सेबी द्वारा प्रतिबंधित कुणाल अशोक कश्यप की अध्यक्षता में ट्रस्ट बनाया। उधर, कंपनी ने सारी प्रक्रिया वैध होने का दावा किया है।

नीरव मोदी : फरारी से पहले बहन से बनवा दिया ट्रस्ट

उनकी बहन पूर्वी मोदी ने ट्रस्ट बनाया। यह ट्रस्ट नीरव मोदी के देश छोड़कर भागने से ठीक एक महीने पहले बनाया गया।

समीर थापर : नॉन-प्रमोटर बने, शेयर भी लिए

बीवीआई स्थित जेसीटी लिमिटेड में पंजाब के उद्यमी समीर थापर एक नॉन-प्रमोटर के तौर पर भागीदार हैं। मस्क होल्डिंग्स लि. के 50 हजार शेयर भी हैं।

नीरा राडिया : 1.86 करोड़ की घड़ी खरीदी

लॉबिंग व भ्रष्टाचार की आरोपी रहीं नीरा इस बार बीवीआई में करीब 12 कंपनियों से भागीदारी व लेनदेन करती मिली। इनमें से एक फर्म के जरिये दुबई से 1.86 करोड़ घड़ी तक खरीद डाली गई। उन्हें सेवाएं दे रही ट्राइडेंट ट्रस्ट कंपनी ने उन्हें 'डू नॉट डिस्टर्ब' श्रेणी के क्लाइंट का दर्जा दिया है। मतलब किसी लेन-देन के लिए उनसे सीधे संपर्क की मनाही थी।

जैकी श्रॉफ : ट्रस्ट बनाया वर्जिन आईलैंड में कंपनी

न्यूजीलैंड में अपनी सास क्लॉडिया दत्ता द्वारा बनाए ट्रस्ट से सबसे ज्यादा फायदा जैकी श्रॉफ को मिला। ट्रस्ट का स्विस बैंक में खाता है तो वर्जिन आईलैंड में ऑफशोर कंपनी भी। जैकी ने भी इसमें पैसा डाला। बेटे जय और बेटी कृष्णा को फायदा मिला।

कैप्टन सतीश शर्मा : चुनाव परचों में खुलासा नहीं

गांधी परिवार के करीबी रहे पूर्व पेट्रोलियम मंत्री दिवंगत कैप्टन सतीश शर्मा की कई विदेशी कंपनियों, ट्रस्ट व संपत्तियों में भागीदारी का दावा किया गया है। उनकी पत्नी, बच्चों और पौत्रों सहित परिवार के 10 सदस्य जेन जेगर्स ट्रस्ट के लाभार्थी हैं। उन्होंने इसका खुलासा कभी चुनाव नामांकनों में नहीं किया।

अजय केरकर : कॉक्स एंड किंग्स के बाद नया खुलासा

फ्रॉड के लिए पहले भी पकड़े गए और कॉक्स एंड किंग्स के मालिक रहे अजय केरकर ब्रिटिश वर्जिन आईलैंड में दो कंपनियां रखते हैं। छह अन्य कंपनियों से भी संबंध।

क्या, क्यों कैसे?

मौजूदा खुलासा कितना बड़ा है, यह साफ नहीं है, लेकिन विशेषज्ञ इसे 320 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर तक का मान रहे हैं।

आईसीआईजे के अनुसार, पूरी दुनिया के हजारों अमीर लोगों ने ऑफशोर (विदेश में) फर्म्स और ट्रस्ट का इस्तेमाल कर टैक्स चोरी की और अपने पैसे व संपत्ति छिपाई।

उदाहरण के लिए एक व्यक्ति भारत में कोई संपत्ति खरीद का उसका मालिक तो बना, लेकिन खरीद उसने इन कई कंपनियों से की, जिससे उसका नाम सामने नहीं आया।

यह कंपनियां टैक्स हैवन कहे जाने वाले देशों में बेस्ड हैं, जहां विशेष नियम हैं।

सामान्यत: ऑफशोर ट्रस्ट्स को भारत में मान्यता दी जाती है, लेकिन इनमें भागीदारी किस इरादे से हो रही है, यह मायने रखता है। इसलिए भागीदारी के दौरान काफी गोपनीयता रखी गई, जो लीक में सामने आई।

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