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नई दिल्ली: कोरोना संकट से ज्यादा अब ऑटोमोबाइल्स इंडस्ट्रीज (Automobile Industries) पर सेमीकंडक्टर की कमी का असर दिख रहा है. चीन ने कोरोना महामारी पर कुछ हद तक काबू पा लिया है. लेकिन चिप की कमी से अब चीन की ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री को तगड़ा झटका लग रहा है.
दरअसल, दुनिया की तमाम बड़ी ऑटो कंपनियां सेमी-कंडक्टर (Semi Conductor) की कमी की परेशानी से जूझ रही हैं. भारत में फेस्टिव सीजन के बावजूद अक्टूबर-2021 में वाहनों की बिक्री में भारी गिरावट दर्ज की गई. अक्टूबर महीने में मारुति सुजुकी (Maruti Suzuki) की सालाना आधार पर बिक्री 33 फीसदी घटी, वहीं हुंडई (Hyundai) की बिक्री में 35 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई.
अब चीन का आंकड़ा सामने आया है. यहां भी अक्टूबर महीने में वाहनों की बिक्री तेजी से घटी है. तमाम विदेशी कार कंपनियों के लिए चीन एक बड़ा बाजार है. खासकर होंडा, निसान और टोयोटा कंपनी चीन में लाखों गाड़ियां बेचती हैं. लेकिन अक्टूबर में सब की बिक्री लुढ़की है. पिछले महीने जापानी कार कंपनी होंडा मोटर (Honda Motor) की चीन में बिक्री 18 फीसदी की गिरावट के साथ 1,48,377 यूनिट्स रही.
वहीं निसान (Nissan Motor) की सालाना आधार पर चीन में बिक्री 22 फीसदी घटी, और कंपनी ने पिछले महीने 113,876 गाड़ियां बेचीं. जबकि अक्टूबर में टोयोटा की चीन में बिक्री 19 फीसदी घटी और कंपनी कुल 1,42,000 कार बेच पाईं.
गौरतलब है कि दुनियाभर में सेमीकंडक्टर की कमी पिछले दिसंबर में शुरू हुई थी. परामर्श फर्म एलिक्सपार्टनर्स ने मई में अनुमान लगाया था कि चिप संकट की वजह से कार उद्योग की बिक्री में करीब 110 अरब डॉलर की कमी आ सकती है.
चिप का क्या काम?
चिप एक पोर्ट डिवाइस है, इसका उपयोग डाटा रखने में होता है. आसान शब्दों में कहें तो ऑटोमोबाइल्स इंडस्ट्री से लेकर इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनियां तक चिप की कमी से जूझ रही हैं. इंफोटेनमेंट सिस्टम, पावर स्टीयरिंग और ब्रेक को ऑपरेट करने के लिए सेमीकंडक्टर चिप्स का इस्तेमाल होता है. नए वाहनों के लिए यह चिप बेहद जरूरी है. यह एक छोटी-सी चिप है, जिसका कारों में इस्तेमाल किया जाता है.
हाईटेक वाहनों में कई तरह के चिप का इस्तेमाल होता है. सेफ्टी फीचर्स में भी चिप का इस्तेमाल होता है. एक तरह से सेमीकंडक्टर को इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का 'दिमाग' कहा जाता है. यही नहीं, ऑटो कंपनियां इलेक्ट्रिक वाहनों पर फोकस कर रही हैं. इलेक्ट्रिक वाहनों में आम वाहनों के मुकाबले ज्यादा चिप लगते हैं. इसलिए चिप की सप्लाई में कमी से इलेक्ट्रिक वाहनों को भी झटका लग सकता है.
गौरतलब है कि दुनिया के कुछ सबसे बड़े चिप-निर्माताओं के लिए चालू वर्ष काफी दबाव भरा रहने वाला है. कोरोना संकट की वजह से निर्माण पर असर पड़ा, लेकिन अब चिप्स की बढ़ती मांग को कैसे पूरा करें, ये एक बड़ी चुनौती है. चिप का बड़ा प्रोडक्शन ताइवान में किया जा रहा है. इसी वजह से दुनिया की ज्यादातर कंपनियां ताइवान पर निर्भर हैं.
jantaserishta.com
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