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क्या होता है ग्रीन बॉन्ड? जिसमें मिलेगा FD से ज्यादा रिटर्न

Gulabi
2 Feb 2022 11:41 AM GMT
क्या होता है ग्रीन बॉन्ड? जिसमें मिलेगा FD से ज्यादा रिटर्न
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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी को वित्त वर्ष 2022-23 के लिए केंद्रीय बजट पेश किया है
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने 1 फरवरी को वित्त वर्ष 2022-23 के लिए केंद्रीय बजट (Budget 2022) पेश किया है. यह मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का चौथा बजट है. कोरोना महामारी (Covid-19 Pandemic) के बीच पेश होने की वजह से यह बजट महत्वपूर्ण हो जाता है. बजट में वित्त मंत्री ने ग्रीन बॉन्ड (Green Bond) को लेकर एक अहम ऐलान किया है. वित्त मंत्री सीतारमण ने अपने बजट भाषण में कहा कि सरकार सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड जारी करेगी. यह सरकार के बॉरोइंग प्रोग्राम के तहत होगा. इसे लेकर बहुत से लोगों के दिमाग में यह सवाल है कि ये ग्रीन बॉन्ड क्या होते हैं. सरकार इन्हें कैसे जारी करती है. आइए इस बारे में डिटेल में जानते हैं.
ग्रीन बॉन्ड क्या होता है?
ग्रीन बॉन्ड एक तरह का फिक्स्ड इनकम वाला इंस्ट्रूमेंट होता है, जिसका मकसद क्लाइमेट और पर्यावरण वाले प्रोजेक्ट्स के लिए पैसा जुटाना होता है. ये बॉन्ड आम तौर पर एसेट से लिंक्ड और जारी करने वाली इकाई की बैलेंस शीट द्वारा समर्थित होते हैं. ग्रीन बॉन्ड्स जारी करने वालों और निवेशकों दोनों के बीच लोकप्रिय रहे हैं. जारी करने वालों को ग्रीन बॉन्ड्स इसलिए पसंद आते हैं, क्योंकि ये कुछ प्रोजेक्ट्स के लिए पैसे जुटाने का साफ तरीका होता है. निवेशकों को बॉन्ड्स इसलिए पसंद होते हैं, क्योंकि इनका डिजाइन साफ होता है और रिटर्न फिक्स्ड रहता है.
इसके अलावा जहां निजी संस्थाएं इक्विटी या बॉन्ड्स में से चुन सकती हैं. वहीं, सरकारें निश्चित तौर पर बॉन्ड्स जारी करके पैसा जुटा सकती हैं. सरकारी बॉन्ड्स के यील्ड कॉरपोरेट बॉन्ड्स के लिए बेंचमार्क के तौर पर काम करते हैं. एक बार यील्ड्स ग्रीन बॉन्ड्स के लिए साफ हो जाएं, इससे कॉरपोरेट को समान अवधि के बॉन्ड्स जारी करने में मदद मिलती है.
सरकार कैसे जारी कर सकती है ग्रीन बॉन्ड?
व्यक्ति जर्मनी और डेनमार्क से हाल के उदाहरण देख सकता है, जिन्होंने ग्रीन बॉन्ड्स को ट्विन बॉन्ड्स के तौर पर जारी किया है. इसका मतलब है कि ग्रीन बॉन्ड्स मौजूदा बॉन्ड के बाद ट्विन के तौर पर जारी होते हैं. ग्रीन बॉन्ड वित्तीय तौर पर, केंद्र सरकार के किसी चल रहे बॉन्ड के समान होता है.
2020 में, जर्मनी की सरकार ने कुल 12.3 अरब रुपये के खर्च के लिए आवंटित किए थे, जिनमें से 11.5 अरब यूरो को ग्रीन बॉन्ड्स जारी करके पूरा किया था. जर्मनी की सरकार ने पहले 10 साल का ग्रीन फेडरल बॉन्ड जारी किया था, जो सितंबर में 6.5 अरब यूरो का था. इसके बाद देश की सरकार ने 5 साल का ग्रीन (5 अरब यूरो) का ग्रीन बॉन्ड जारी किया था. फंड का इस्तेमाल परिवहन, ऊर्जा और रिसर्च में किया गया है. क्योंकि जर्मनी में ब्याज दरें शून्य पर रही हैं, तो दोनों बॉन्ड्स को 0 फीसदी पर जारी किया गया था.
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