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कपास की फसल में गुलाबी सुंडी (Pink Bollworm) के निंयत्रण के लिए वैज्ञानिकों को प्रबंधन के कारगर उपाए खोजने होगें
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | कपास की फसल में गुलाबी सुंडी (Pink Bollworm) के निंयत्रण के लिए वैज्ञानिकों को प्रबंधन के कारगर उपाए खोजने होगें. इसके लिए वैज्ञानिकों, किसानों एवं बीज कंपनियों सहित सभी पक्षों को मिलकर सामूहिक प्रयास करने होंगे. ताकि किसानों (Farmers) को आर्थिक नुकसान से बचाया जा सके. गुलाबी सुंडी मैनेजमेंट के लिए सही टेक्नोलॉजी के बारे में किसानों को जागरूक करना होगा. फसल चक्र में बदलाव करना होगा. जहां भी जमीन में पोषक तत्वों की कमी है वहां पर किसान कपास (Cotton) के स्थान पर दलहनी फसलें उगा सकते हैं. यह सुझाव हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बीआर काम्बोज ने दिए हैं.
प्रो. काम्बोज विश्वविद्यालय में हरियाणा, पंजाब, राजस्थान के कृषि विश्वविद्यालयों के कपास वैज्ञानिकों, कृषि अधिकारियों, निजी बीज कंपनियों के प्रतिनिधियों व किसानों के लिए अनुसंधान निदेशालय द्वारा आयोजित समीक्षा बैठक को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि देश के उत्तरी क्षेत्र में कपास की खेती (Cotton Farming) में गुलाबी सुंडी की समस्या किसानों व कृषि वैज्ञानिकों के लिए चिंता का विषय है. इसके समाधान के लिए ठोस कदम उठाने होंगे वरना किसानों को नुकसान होता रहेगा.
रोकथाम के लिए क्या किया गया?
इस मौके पर अनुसंधान निदेशक, डॉ. रामनिवास ने बताया कि पिछले साल गुलाबी सुंडी की रोकथाम के लिए विश्वविद्यालय ने प्रदेश भर में 23 जागरूकता कार्यक्रम एवं 7 किसान गोष्ठियां कृषि विज्ञान केन्द्रों के माध्यम से की थीं. इसके साथ कृषि विभाग के अधिकारियों के लिए अप्रैल-2021 में 10 तथा अगस्त माह में 11 जिलों में प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए गए थे. कपास की अच्छी उपज के लिए 9 किसान गोष्ठियों का आयोजन किया गया. इस वर्ष भी किसानों को अधिक से अधिक जागरूक करने व उनकी समस्याओं के समाधान के लिए कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे.
खेतों में किए गए कार्यों की जानकारी दी
बैठक में कृषि अनुसंधान केन्द्र, भंटिडा के निदेशक डॉ. परमजीत सिंह, केन्द्रीय कपास अनुसंधान केन्द्र के अध्यक्ष डॉ. सुरेन्द्र कुमार वर्मा एवं अनुसंधान केन्द्र गंगानगर के कीट वैज्ञानिक डॉ. रूप सिंह मीणा मौजूद रहे. उन्होंने अपने-अपने राज्यों में कपास में गुलाबी सुंडी के प्रबंधन से संबंधित गतिविधियों और कपास उत्पादक किसानों के खेतों में किए गए कार्यों की जानकारी दी.
कृषि विभाग में कपास के संयुक्त निदेशक डॉ. आर.पी. सिहाग ने विभाग द्वारा कपास में सुंडी नियंत्रण के लिए किए गए कार्यों के बारे में बताया. कपास के सीजन में किसान मेलों, खेतों में प्रदर्शन प्लाट और कृषि विभाग के अधिकारियों के लिए प्रशिक्षण आयोजित किए जाने का सुझाव दिया. बैठक में विभिन्न जिलों से आए किसानों ने कपास की फसल में आ रही समस्याएं रखीं, जिनका समाधान वैज्ञानिकों ने बताया.
गुलाबी सुंडी से बचने के लिए सलाह
प्राइवेट कंपनियों द्वारा गुलाबी सुंडी के प्रबंधन के बारे में प्रचार-प्रसार के लिए बनाए गए डिस्पले बोर्ड को सभी बीज एवं पेस्टीसाइड दुकानों, कपास जिनिंग मिलों तथा खल बनाने वाली मिलों में लगवाने की सलाह दी. वैज्ञानिकों की ओर से किसानों को कपास की बनछटियों को खेतों से हटाने के लिए कहा गया. क्योंकि इन बनछटियों के अधखिले टिंडों में गुलाबी सुंडी जीवित रहती हैं.
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