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खरबूजे की फसलों को रोगों से बचाने के उपाय, जानिए इसके बारे में सबकुछ

Shiddhant Shriwas
3 Nov 2021 10:14 AM GMT
खरबूजे की  फसलों को रोगों से बचाने के उपाय, जानिए इसके बारे में सबकुछ
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महाराष्ट्र में इस समय किसान बागवानी की खेती करके अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. अच्छी कमाई वाले फलों में खरबूजे की गिनती भी होती है.

गर्मियों के दिनों में खाए जाने वाले बेहद स्वादिस्ट और स्वास्थ्यवर्धक फल खरबूजा की बुवाई का वक्त नजदीक आ रहा है. इसे दिसंबर से मार्च तक बोया जा सकता है. पंजाब, महाराष्ट्र, यूपी, बिहार आदि में खरबूज की खेती होती है. महाराष्ट्र में उगाई जाने वाली एक अहम फसल है. यहां लगभग 238 हेक्टेयर क्षेत्र में इसकी खेती की जाती है. महाराष्ट्र में खरबूजे की लगभग सभी जिले में खेती की जाती है. गर्मी के मौसम में नदी घाटियों के साथ-साथ बागवानी फसलों में काफी ज्यादा उगाई जाती है. खरबूजे का फल मीठा और स्वादिष्ट होता है. इस फल में चूना, फास्फोरस और कुछ विटामिन ए, बी, सी जैसे खनिज होते हैं. इसलिए मार्किट में इसकी अच्छी मांग रहती है. इसलिए इसकी अच्छी खेती करके किसान अच्छी कमाई कर सकते हैं.

भूमि और जलवायु
इस फसल के लिए दोमट और मध्यम काली जल निकासी वाली मिट्टी उपयुक्त होती है. इन फसलों के लिए मिट्टी का स्तर 5.5 से 7 तक उपयुक्त होता है.इस फसल को गर्म और शुष्क मौसम और भरपूर धूप की आवश्यकता होती है. 24 डिग्री सेल्सियस से 27 डिग्री सेल्सियस का तापमान बेल की वृद्धि के लिए आदर्श है.यदि तापमान 18 डिग्री सेल्सियस से नीचे और 32 डिग्री सेल्सियस से ऊपर बढ़ता या गिरता है, तो यह लताओं के विकास और फलों के सेट पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगा.
उर्वरक की मात्रा
इसकी खेती के लिए 90 कि.ग्रा. नाइट्रोजन , 70 कि.ग्रा. फास्फोरस तथा 60 कि.ग्रा. पोटाश प्रति हैक्टेयर की दर से देना चाहिए. रासायनिक उर्वरकों में नत्रजन की आधी मात्रा तथा फास्फोरस एवं पोटाश की पूरी मात्रा खेत में नालियां या थाले बनाते समय देते हैं. नाइट्रोजन की शेष मात्रा दो बराबर भागों में बांट कर खड़ी फसल में जड़ों के पास बुआई के 20 तथा 45 दिनों बाद देना चाहिए. बोरान, कैल्शियम तथा मालीब्डेनम का 3 मि.ग्रा. प्रति लीटर की दर से छिड़काव करने से फलों की संख्या तथा कुल उपज में वृद्धि होती है.
खरबूजा की किस्में और रोपण
काशी मधु,हारा मधु, पंजाब सुनहरी एवं पंजाब संकर आदि हैं. खेत की खड़ी और क्षैतिज जुताई करें गांठों को तोड़ें और थ्रेसिंग फ्लोर दें.खेत में 15 से 20 अच्छी तरह सड़ी हुई खाद डालें. फिर उसे बिखरा दें. खरबूजा के लिए 1.5 से 2 किलो बीज प्रति हेक्टेयर पर्याप्त होता है. तीन ग्राम थिरम प्रति किलो बीज बोने से पहले डालें.
खरबूजे की फसलों को रोगों से बचाने के उपाय
केवड़ा – पत्ती के नीचे की तरफ पीले भूरे रंग के धब्बे दिखाई देते हैं और फिर पत्ती के डंठल और शाखाओं तक फैल जाते हैं. इसे डाइथीन जेड-78 को 0.2% तीव्रता का छिड़काव करके नियंत्रित किया जा सकता है. इसके अलावा इसमें फल मक्खी, पत्ते का सुरंगी कीड़ा भी लगता है.
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