वॉलमार्ट को भारत में चुकाना होगा 83 अरब रुपये का टैक्स, जानिए कारण
दिल्ली: फोनपे का मुख्यालय सिंगापुर से भारत लाने की वजह से वॉलमार्ट और डिजिटल भुगतान कंपनी के सभी शेयरधारकों को करीब एक अरब डॉलर (83 अरब रुपये) का टैक्स भरना होगा। सूत्रों के मुताबिक, फोनपे के भारत में स्थानांतरित होने और उसके मूल्यांकन में बढ़ोतरी की वजह से यह टैक्स देनदारी बन रही है। फोनपे में वॉलमार्ट की सबसे ज्यादा हिस्सेदारी है, जो उसके पास मूल कंपनी फ्लिपकार्ट की खरीदारी के बाद आई। फोनपे हाल ही में फ्लिपकार्ट से अलग हुई है। मामले से जुड़े सूत्रों का कहना है कि फोनपे प्री-मनी मूल्यांकन (वैल्यूएशन) के आधार पर जनरल अटलांटिक, कतर इन्वेस्टमेंट अथॉरिटी और अन्य निवेशकों से 12 अरब डॉलर की पूंजी जुटा रही है। इस कारण भारी शुल्क लग रहा है।
कई निवेशक खरीद चुके हैं शेयर: विभिन्न रिपोर्ट के मुताबिक, फोनपे का दिसंबर, 2020 में अंतिम बार मूल्यांकन किया गया था। उस समय कंपनी का मूल्यांकन करीब 5.5 अरब डॉलर था। अब अमेरिकी निवेश फर्म टाइगर ग्लोबल मैनेजमेंट सहित कई निवेशक भारत में नई कीमत पर फोनपे के शेयर खरीद चुके हैं। इस कारण कंपनी पर यह देनदारी बन रही है। अमेरिकी ई-कॉमर्स कंपनी वॉलमार्ट ने पिछले महीने कहा था कि वह फ्लिपकार्ट के साथ फोनपे की साझेदारी खत्म करेगी। साथ ही कहा था कि वह दोनों कंपनियों में बहुलांश हिस्सेदारी बरकरार रखेगी।
नाजुक समय पर हलचल: फिनटेक कंपनी के भीतर यह हलचल ऐसे नाजुक समय में हो रही है, जब वित्तीय स्थिरता की वजह से दुनियाभर की स्टार्टअप कंपनियों को पूंजी जुटाने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। आने वाले वक्त में फोनपे के भारत में सूचीबद्ध होने की भी उम्मीद है।
2019 में शुरू हुई थी फ्लिपकार्ट से अलगाव की प्रक्रिया: दरअसल, फ्लिपकार्ट ने 2016 में फोनपे को खरीदा था। हालांकि, अब दोनों कंपनियों के रास्ते अलग हो गए हैं। लेकिन, दोनों की मूल कंपनी अब भी वॉलमार्ट ही है। फोनपे और फ्लिपकार्ट के अलग होने की प्रक्रिया 2019 में शुरू हुई थी। अब फिनटेक कंपनी पूरी तरह भारतीय बन चुकी है। अब यह अधिक मूल्यांकन पर पूंजी जुटाने की कोशिश कर रही है।