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इसी के मद्देनजर मैं कंपनी में अपनी हिस्सेदारी सरकार या सरकार के कहने पर किसी ऐसी इकाई को सौंपने को तैयार हूं जो कंपनी का ऑपरेशन जारी रखने में समर्थ हो.’’
वोडाफोन आइडिया के शेयरों में बुधवार को गिरावट जारी रही है. इसकी वजह आदित्य बिड़ला ग्रुप के अध्यक्ष कुमार मंगलम बिड़ला का कंपनी की हिस्सेदारी सरकारी संस्थाओं को सौंपने की पेशकश करना है. दोपहर करीब 12.05 बजे बीएसई पर वोडाफोन आइडिया के शेयर 6.12 रुपए पर कारोबार कर रहे थे, जो पिछले बंद से 17.30 फीसदी कम है.
इससे पहले दिन में, उन्होंने प्रति शेयर 6.03 रुपए के 52-सप्ताह के निचले स्तर को छुआ. वोडाफोन आइडिया जो पहले से ही कमजोर वित्तीय स्थिति में है. उसपर एजीआर बकाया के रूप में 50,399.63 करोड़ रुपए बकाया हैं. यह पहले ही 7,854.37 करोड़ रुपए का भुगतान कर चुकी है. कैबिनेट सचिव को लिखे अपने पत्र में, बिड़ला ने एक आने वाले संकट की चेतावनी दी और टेल्को में अपनी 27.66 प्रतिशत हिस्सेदारी को किसी भी सार्वजनिक क्षेत्र / सरकार / घरेलू वित्तीय संस्था, या किसी अन्य सरकार को योग्य समझे, (वीआईएल) जारी रखने के लिए ट्रांसफर करने की पेशकश की है.
एजीआर कैलकुलेशन में सुधार की अपील सुप्रीम कोर्ट ने की खारिज
आदित्य बिड़ला ग्रुप के चेयरमैन कुमार मंगलम बिड़ला ने कर्ज के बोझ से दबी वोडाफोन आइडिया लिमिटेड (वीआईएल) में अपनी हिस्सेदारी सरकार या किसी सरकारी यूनिट को सौंपने की पेशकश की है. अरबपति उद्योगपति बिड़ला ने जून में कैबिनेट सचिव राजीव गौबा को लिखे पत्र में यह पेशकश की है. ऑफीशियल आंकड़ों के अनुसार, वीआईएल के ऊपर समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) की कुल देनदारी 58,254 करोड़ रुपए है. इसमें से कंपनी 7,854.37 करोड़ रुपए का भुगतान कर चुकी है और उसपर अभी 50,399.63 करोड़ रुपए का बकाया है.
वीआईएल और भारती एयरटेल ने एजीआर को लेकर सरकार की गणना में सुधार के लिए सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी लेकिन उनकी अपील को खारिज कर दिया गया.
डूबने कगार पर पहुंच सकती है VIL की वित्तीय हालत
बिड़ला की वीआईएल में 27 प्रतिशत हिस्सेदारी है. उन्होंने पत्र में कहा है कि एजीआर देनदारी, स्पेक्ट्रम के भुगतान के लिए पर्याप्त समय की मोहलत और इन सबसे जरूरी सेवाओं की दर न्यूनतम कीमत से ऊपर रखने की व्यवस्था नहीं होने की वजह से निवेशक कंपनी में निवेश के इच्छुक नहीं हैं. बिड़ला ने यह पत्र सात जून को लिखा है. उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से जुलाई तक इन तीनों मुद्दों पर तत्काल सक्रिय सहयोग नहीं मिलने की स्थिति में वीआईएल की वित्तीय हालत डूबने कगार पर पहुंच जाएगी, जिसको संभालना मुश्किल होगा.
बिड़ला ने कहा, ''वीआईएल से जुड़े 27 करोड़ भारतीयों के प्रति हमारा कर्तव्य है. इसी के मद्देनजर मैं कंपनी में अपनी हिस्सेदारी सरकार या सरकार के कहने पर किसी ऐसी इकाई को सौंपने को तैयार हूं जो कंपनी का ऑपरेशन जारी रखने में समर्थ हो.''
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