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नई दिल्ली | पहली तिमाही के नतीजों का मौसम जल्द ही खत्म होने वाला है। इसके बाद बाजार का फोकस माइक्रो से मैक्रो पर शिफ्ट हो जाएगा। ये कहना है कि जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी.के. विजयकुमार का।बता दें कि माइक्रो इकोनॉमिक्स बाजार में होने वाली बिक्री और आयात-निर्यात के बारे में बताता है, जबकि मैक्रो पूरी अर्थव्यवस्था का बड़े पैमाने पर अध्यन्न करता है।चूंकि एफआईआई की बिक्री डीआईआई की खरीदारी से मेल खाती है, इसलिए बाजार में संस्थागत गतिविधि तटस्थ हो गई है। उन्होंने कहा, बाजार में स्पष्ट रुझान मैक्रो से आ सकता है।
यूएस सीपीआई प्रिंट जल्द ही आने की उम्मीद है और 10 तारीख को एमपीसी का निर्णय संभावित बाजार रुझान का संकेत दे सकता है। उन्होंने कहा कि एमपीसी द्वारा दरें बरकरार रखने की संभावना है, लेकिन मुद्रास्फीति ऊंची होने और जुलाई में इसके बढ़ने की संभावना के चलते दबाव बना रहेगा। भारत में मैक्रो रुझान प्रभावशाली क्रेडिट ग्रोथ और पूंजीगत व्यय में सुधार का संकेत देते हैं। इसलिए, बैंकिंग और पूंजीगत वस्तुओं में उच्च गुणवत्ता वाले स्टॉक मजबूत बने रहने की संभावना है।
उन्होंने कहा, निवेशक बाजार में कमजोरी का इस्तेमाल इन शेयरों को खरीदने के लिए कर सकते हैं।बुधवार सुबह के कारोबार के दौरान बीएसई सेंसेक्स 296 अंक गिरकर 65,549 अंक पर है।आईसीआईसीआई बैंक 1 फीसदी नीचे है, जबकि टेक महिंद्रा, एमएंडएम और भारती एयरटेल 1 फीसदी से ज्यादा ऊपर थे।
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Harrison
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