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पीएमसी बैंक की शाखाओं ने मंगलवार से यूएसएफबीएल की शाखाओं के रूप में काम करना शुरू कर दिया है. इसके साथ ही ग्राहकों के जमा रकम को वापस करने की योजना भी सामने आई.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। यूनिटी स्मॉल फाइनेंस बैंक (यूएसएफबीएल) में संकटग्रस्त पंजाब एंड महाराष्ट्र कोऑपरेटिव (पीएमसी) का विलय पूरा हो गया है। सरकार ने मंगलवार को विलय की इस व्यवस्था को अधिसूचित कर दिया. इससे अब पीएमसी बैंक की शाखाएं यूएसएफबीएल की शाखाओं के रूप में काम करेंगी. इस कदम से पंजाब एवं महाराष्ट्र कोऑपरेटिव के ग्राहकों के लिये उनके जमा पैसा वापस आने का रास्ता साफ हो गया है. हालांकि ग्राहकों को अपना पैसा पाने के लिये इंतजार करना होगा.
क्या है सौदे में नया अपडेट
रिजर्व बैंक ने मंगलवार को जानकारी दी कि पीएमसी बैंक की शाखाओं ने मंगलवार से यूएसएफबीएल की शाखाओं के रूप में काम करना शुरू कर दिया है. करीब दो साल पहले वित्तीय अनियमितता का मामला सामने आने के बाद रिजर्व बैंक ने पीएमसी बैंक के बोर्ड को भंग कर दिया था. सरकार ने मंगलवार को विलय की योजना को मंजूरी देते हुए अधिसूचित कर दिया. यूएसएफबीएल बैंक इसके तहत पीएमसी बैंक की संपत्तियों और देनदारियों के साथ जमाओं का अधिग्रहण करेगा. यूएसएफबीएल इस योजना के प्रावधानों के क्रियान्वयन के लिए जरूरी व्यवस्था कर रहा है. रिजर्व बैंक ने विलय की इस योजना का मसौदा तैयार किया था, जिसे 22 नवंबर, 2021 को सार्वजनिक किया गया था.
कैसे वापस मिलेंगे जमाकर्ताओं के पैसे
मनीकंट्रोल की खबर के मुताबिक योजना के अनुसार पहले चरण में सभी जमाकर्ताओं को 5 लाख रुपये तक डिपॉजिट इंश्योरेंस क्रेडिट गारंटी स्कीम के जरिये मिलेंगे. अगर ग्राहकों का शेष धन इससे ज्यादा है तो उन्हें चरण बद्ध तरीकों से अगले 3 साल 10 साल के बीच पूरा पैसा वापस मिल जायेगा. योजना के मुताबिक सभी जमाकर्ताओं को पहले और दूसरे साल के बाद 50-50 हजार रुपये वापस मिलेंगे. तीसरे साल के बाद एक लाख रुपये वापस होंगे. चार साल के बाद वापस होने वाली रकम बढ़कर 2.5 लाख रुपये और पांच साल के बाद ये रकम बढ़कर 5.5 लाख रुपये हो जायेगी. अगर इसके बाद भी जमाकर्ताओं की रकम बचती है तो ग्राहकों को बाकी रकम 10 साल के बाद वापस कर दी जायेगी.
क्यों हुआ पीएमसी बैंक का मर्जर
दो साल पहले बैंक में वित्तीय अनियमितता सामने आई थीं. जिसके बाद रिजर्व बैंक ने पीएमसी बैंक के बोर्ड को भंग कर दिया था. दरअसल बैंक की कुल लोन बुक यानि मार्च 31 2019 तक करीब 8400 करोड़ रुपये के बांटे गये कर्ज में से 70 प्रतिशत एचडीआईएल को दिया गया था. जांच में पता चला कि बैंक गलत तरीके से एचडीआईएल को कर्ज जारी कर रहा था. इसके बाद रिजर्व बैंक ने एक्शन लेते हुए बोर्ड को हटा दिया और जमा को निकालने पर रोक लगा दी. उस वक्त बैंक के पास 11600 करोड़ रुपये के डिपॉजिट थे.
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