Business व्यापार : 24 अगस्त को देर रात मोदी सरकार ने अचानक नई पेंशन योजना शुरू की, जो पहले से चल रही पुरानी पेंशन योजना और नई पेंशन योजना से अलग थी। इसे यूनिफाइड पेंशन योजना नाम दिया गया। सरकार के इस ऐलान के साथ ही OPS को लेकर आवाज उठा रहे लाखों कर्मचारी चुप हो गए। क्योंकि सरकार ने UPS के जरिए उनकी लगभग सभी मांगों को हल करने की कोशिश की है। महाराष्ट्र सरकार ने तो राज्य कर्मचारियों के लिए UPS लागू कर दिया है। अब सेना में मिलने वाली पेंशन व्यवस्था को लेकर सवाल उठ रहे हैं। कुछ लोगों को लगता है कि इसमें भी बदलाव हो सकता है। इसके बारे में विस्तार से जानने के लिए आइए शुरू से समझते हैं। सेना में अभी क्या नियम है? भारतीय सेना में पेंशनर्स/फैमिली पेंशनर्स की संख्या 26 लाख से ज्यादा है और हर साल करीब 55,000 पेंशनर्स जुड़ते हैं। भारत सरकार नेपाल में रहने वाले सशस्त्र बलों के पेंशनर्स के लिए पेंशन बांटती है। रक्षा मंत्रालय की वेबसाइट के मुताबिक सेना से रिटायर होने वाले कर्मचारियों को पिछले 10 महीने के औसत वेतन का 50% पेंशन के तौर पर मिलता है। बशर्ते न्यूनतम वेतन 9000 रुपये प्रति माह हो। पेंशन पाने के लिए न्यूनतम सेवा कमीशन प्राप्त अधिकारी के मामले में 20 वर्ष और अधिकारी से नीचे के रैंक के मामले में 15 वर्ष है। ध्यान रहे कि यूपीएस में यह नियम 12 महीने के औसत वेतन का 50% है। अगर नौकरी के दौरान किसी कारणवश उस व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो वेतन राशि का 30% उसके परिवार को पेंशन के रूप में दिया जाता है, जो न्यूनतम 9000 रुपये प्रति माह के अधीन है। यानी अगर वेतन कम है तो सरकार 9 हजार रुपये प्रति माह देगी। इसके साथ ही कुल जमा राशि का 60% एकमुश्त परिवार को दिया जाता है।