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नई दिल्ली: यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) लेनदेन में कई गुना बढ़ोतरी दर्ज की गई है। यूपीआई लेनदेन (ट्रांजेक्शन) 2018 में 1,320 प्रतिशत और 2022 में 1,876 प्रतिशत बढ़ गया है।
साल 2018 में यूपीआई ट्रांजेक्शन की संख्या 374.63 करोड़ थी, जो 2022 में 1,876 प्रतिशत बढ़कर 7,403.97 करोड़ हो गई। वैल्यू के संदर्भ में यूपीआई ट्रांजेक्शन 2018 में 5.86 लाख करोड़ रुपये था, जो 2022 में 1,320 प्रतिशत बढ़कर 83.2 लाख करोड़ रुपये हो गया है।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने इस साल फरवरी में भारत आने वाले विदेशी नागरिकों और एनआरआई को भारत में रहते हुए यूपीआई का उपयोग कर भुगतान करने की अनुमति दी थी। यह फैसिलिटी जी-20 देशों के यात्रियों को उनके व्यापारिक भुगतान के लिए चुनिंदा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों- बेंगलुरु, मुंबई और नई दिल्ली में जारी की गई। इसके अलावा, आरबीआई द्वारा उन एनआरआई को यूपीआई एक्सेस प्रदान करने का भी प्रावधान किया गया है जिनके पास अपने एनआरई या एनआरओ खातों से जुड़े अंतरराष्ट्रीय मोबाइल नंबर हैं।
साथ ही नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) ने कहा है कि इस फैसिलिटी को 10 देशों- सिंगापुर, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, हांगकांग, ओमान, कतर, अमेरिका, सऊदी अरब, यूएई और यूनाइटेड किंगडम के लिए अनुमति दी गई है। विदेशों में यूपीआई की स्वीकार्यता 2022 में शुरू हुई। एनपीसीआई इंटरनेशनल पेमेंट्स लिमिटेड (एनआईपीएल), नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) की पूर्ण मालिकाना हक वाली सहायक कंपनी, यूपीआई के अंतर्राष्ट्रीयकरण के लिए जिम्मेदार है।
आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि आरबीआई उन देशों में यूपीआई के विस्तार के लिए सहायता प्रदान कर रहा है जिनमें सहयोग की संभावना है। वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि ऐसे कई इंटरफेस के आने के कारण पिछले कुछ वर्षों में यूपीआई लेनदेन बढ़ा है, और लोग सभी प्रकार के भुगतान करने के लिए तेजी से उनका उपयोग कर रहे हैं। छोटे दुकानदारों से लेकर बड़े संस्थान भुगतान के ऐसे ही तरीकों को प्राथमिकता दे रहे हैं।
अधिकारी ने कहा, इसके अलावा सरकार भुगतान के इन तरीकों, खासकर भीम ऐप को आक्रामक रूप से बढ़ावा दे रही है, जिससे धीरे-धीरे वॉल्यूम और वैल्यू दोनों के मामले में उनकी वृद्धि हुई है।
jantaserishta.com
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