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केंद्रीय मंत्रिमंडल ने BPCL में सरकार की पूरी फीसदी हिस्सेदारी खरीदने को लेकर बड़ाई FDI सीमा

Admin4
22 July 2021 4:22 PM GMT
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने BPCL में सरकार की पूरी फीसदी हिस्सेदारी खरीदने को लेकर बड़ाई FDI सीमा
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केंद्रीय मंत्रिमंडल (Union Cabinet) ने निजीकरण के लिए चुनी गयी सार्वजनिक क्षेत्र की तेल रिफाइनरी कंपनियों के लिये विदेशी निवेश सीमा बढ़ाने को मंजूरी दे दी. इस कदम से बीपीसीएल (BPCL) में सरकार की हिस्सेदारी बेचने में मदद मिलेगी.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क :- केंद्रीय मंत्रिमंडल (Union Cabinet) ने निजीकरण के लिए चुनी गयी सार्वजनिक क्षेत्र की तेल रिफाइनरी कंपनियों के लिये विदेशी निवेश सीमा बढ़ाने को मंजूरी दे दी. इस कदम से बीपीसीएल (BPCL) में सरकार की हिस्सेदारी बेचने में मदद मिलेगी. अधिकारियों ने बताया कि कैबिनेट ने विनिवेश के लिये चुनी गयी सार्वजनिक क्षेत्र की रिफाइनरी कंपनियों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) मौजूदा 49 फीसदी से बढ़ाकर 100 फीसदी करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी.

फिलहाल ऑटोमेटिक रूट से सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों (PSU) द्वारा प्रविर्ततत तेल रिफाइनरियों में 49 फीसदी एफडीआई की अनुमति है. इस सीमा के बने रहते भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लि. (BPCL) किसी विदेशी कंपनी को नहीं बेची जा सकती थी.
दो विदेशी कंपनियों ने दिखाई रूचि
BPCL में सरकार की पूरी 52.98 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने को लेकर जिन तीन कंपनियों ने आरंभिक रूचि पत्र दिये हैं, उनमें से दो विदेशी कंपनियां हैं. एक अधिकारी ने स्पष्ट किया, जो एफडीआई सीमा बढ़ायी गयी है, वह केवल विनिवेश से जुड़े मामलों के लिये है.
सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों द्वारा प्रवर्तित तेल रिफाइनरियों में एफडीआई सीमा 49 फीसदी बनी रहेगी. यह सीमा मार्च 2008 में तय की गयी थी. सरकार ने मार्च 2008 में पीएसयू प्रवर्तित तेल रिफाइनिरयों में एफडीआई सीमा 26 फीसदी से बढ़ाकर 49 फीसदी की थी.
केवल BPCL में हिस्सेदारी बेच रही है सरकार
फिलहाल सरकार केवल बीपीसीएल में हिस्सेदारी बेच रही है. देश की सबसे बड़ी और दूसरी तेल रिफाइनरी और विपणन कंपनी इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (IOC) सरकार के नियंत्रण में है. हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लि. (HPCL) अब ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉरपोरेशन (ONGC) की सब्सिडियरी है.
खजाने में आएंगे 53000 करोड़
वर्तमान वैल्यु के हिसाब से सरकार को 52.98 फीसदी हिस्सेदारी के लिए बदले करीब 53 हजार करोड़ रुपए मिलेंगे. निजीकरण से पहले म्यूचुअल फंड्स ने इस तिमाही में कंपनी में अपनी हिस्सेदारी 13.26 फीसदी से बढ़ाकर 16.38 फीसदी कर दिया है. नंबर ऑफ म्यूचुअल फंड 369 से बढ़कर 403 पर पहुंच गया. इसके अलावा इस तिमाही में FII/FPI ने भी अपनी हिस्सेदारी 11.56 फीसदी से बढ़ाकर 12.42 फीसदी कर दिया है.


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