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केंद्रीय कैबिनेट 8 सितंबर को कपड़ा उद्योग के लिए PLI स्कीम की घोषणा कर सकती है सरकार

Rani Sahu
7 Sep 2021 2:22 PM GMT
केंद्रीय कैबिनेट 8 सितंबर को कपड़ा उद्योग के लिए PLI स्कीम की घोषणा कर सकती है सरकार
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केंद्रीय कैबिनेट बुधवार यानी 8 सितंबर को कपड़ा उद्योग के लिए PLI स्कीम की घोषणा कर सकता है

केंद्रीय कैबिनेट बुधवार यानी 8 सितंबर को कपड़ा उद्योग के लिए PLI स्कीम की घोषणा कर सकता है. यह स्कीम मानव निर्मित फाइबर सेगमेंट और टेक्निकल टेक्सटाइल के लिए होगी. कपड़ा उद्योग को इससे काफी फायदा मिलने वाला है. इस स्कीम का बजट 10683 करोड़ का होगा जो अगले पांच सालों में खर्च किए जाएंग. माना जा रहा है कि इस स्कीम के लागू होने के बाद टेक्सटाइल इंडस्ट्री में बड़ा बदलाव होगा. मैन्युफैक्चरिंग और एक्सपोर्ट में तेजी दर्ज की जाएगी.

भारत को मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने के मकसद से अब तक 13 सेक्टर के लिए PLI स्कीम की घोषणा की जा चुकी है. कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद कपड़ा मंत्रालय इस स्कीम को लेकर डिटेल गाइडलाइन जारी करेगा. इस स्कीम को लागू करने का मकसद है कि भारतीय कपड़ा उद्योग में मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा मिले जिससे निर्यात में भी तेजी आएगी. इस स्कीम की मदद से कपड़ा उद्योग के लिए मजबूत इकोसिस्टम तैयार करना है जहां वे वैश्विक स्पर्धा का मुकाबला कर सकें. इसके अलावा यह सेक्टर बड़े पैमाने पर रोजगार भी पैदा करता है जिसकी अभी सबसे ज्यादा जरूरत है.
इससे इन्वेस्टर्स आकर्षित होंगे
माना जा रहा है कि इस स्कीम की मदद से ग्लोबल इन्वेस्टर्स को आकर्षित किया जाएगा. इससे रोजगार के अवसर पैदा होंगे साथ ही निर्यात में भी तेजी आएगी. भारत के कपड़ा निर्यात में मैन मेड फाइबर यानी MMF का योगदान महज 10 फीसदी है. फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्स ऑर्गनाइजेशन यानी FIEO के पूर्व अध्यक्ष एसके सर्राफ ने कहा कि MMF और टेक्निकल टेक्सटाइल सेक्टर को सरकारी मदद की जरूरत है. PLI स्कीम के लागू होने से इसमें मदद मिलेगी.
ग्लोबल ट्रेड में भारत का योगदान काफी कम
अपैरल एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (AEPC) के चेयरमैन ए शक्तिवेल ने कहा कि काउंसिल ने सरकार से अपील की है कि वह इन दो सेगमेंट के लिए पीएलआई स्कीम की शुरुआत करे. ग्लोबल ट्रेड में भारत का योगदान अभी काफी कम है. पीएलआई स्कीम की मदद से हम अपनी जगह सुरक्षित कर सकते हैं.
मैन मेड फाइबर (MMF) का योगदान महज 20 फीसदी
भारत के कपड़ा उद्योग की बात करें तो वर्तमान में कॉटन का योगदान 80 फीसदी और MMF का योगदान महज 20 फीसदी है. दुनिया के अन्य देश इस मामले में हमसे काफी आगे हैं. ऐसे में इस सेगमेंट और सेक्टर को प्रमोट करने की जरूरत है. पीएलआई स्कीम एक मजबूत कदम होगा.


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