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हमारा ध्यान आधार को पैन, मोबाइल सिम कार्ड, राशन कार्ड और बैंक से जोड़ने पर भी है।
आधार ने डमी लाभार्थियों को सिस्टम से बाहर कर दिया है। इससे सरकारी खजाने को 2.25 लाख करोड़ रुपये की बचत हुई है। UIDAI के सीईओ सौरभ गर्ग ने कहा कि केंद्र सरकार की 300 और राज्य सरकारों की 400 योजनाओं को आधार से जोड़ा गया है। सरकार ने वास्तविक लाभार्थियों को प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) द्वारा 2.25 लाख करोड़ रुपये की बचत की है। यह आंकड़ा केवल केंद्र सरकार की योजनाओं का है।
उन्होंने कहा कि अगर हम राज्य सरकारों की योजनाओं को जोड़ दें तो यह आंकड़ा और बढ़ जाएगा। आधार ने सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन को काफी आसान बना दिया है। COVID-19 के दौरान सरकार ने आधार की मदद से लाभार्थियों को पैसा ट्रांसफर किया है। Lockdown के दौरान लोग बिना बैंकों में जाए अपने पड़ोस की दुकानों में माइक्रो एटीएम से नकदी निकालने में सक्षम हुए। उन्होंने कहा कि यह जीवन की सुगमता है जिसे आधार ने आम आदमी के जीवन में उतारा है।
हमने 29 सितंबर 2010 को पहला आधार नंबर आवंटित किया था। हमने अभी एक दशक के मील के पत्थर को छुआ है। अब हम कह सकते हैं कि आधार नामांकन बेहतर स्थिति में आ गया है। अब हमने एक लक्ष्य तय किया है कि अगले 10 साल में क्या किया जाना चाहिए। हम जीवन को आसान बनाने के लिए और कैसी पेशकश कर सकते हैं? हमने अभी-अभी आधार 2.0 कॉन्क्लेव का समापन किया था।
गर्ग ने कहा कि यूआईडीएआई आने वाले वर्षों में तीन-चार चीजों पर ध्यान देगा। हमारी पहली प्राथमिकता रेजिडेंट फोकस है। हम लोगों को और अधिक सुविधाएं प्रदान करना चाहते हैं। लोग अपने कंप्यूटर पर घर बैठे अपने रिकॉर्ड अपडेट कर सकते हैं। 1.5 लाख डाकिया आधार अपडेट और नामांकन के लिए गांव-गांव जाएंगे। हम 50,000 सेंटर खोल रहे हैं ताकि देश के 6.5 लाख गांवों को कवर कर सकें। हम ऐप डिजाइन कर रहे हैं ताकि एक स्मार्टफोन उपयोगकर्ता अपने आधार रिकॉर्ड को अपडेट कर सके और यहां तक कि लेनदेन भी कर सके। हमारा ध्यान आधार को पैन, मोबाइल सिम कार्ड, राशन कार्ड और बैंक से जोड़ने पर भी है।
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