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दुनिया के सबसे अमीर बैंकर बने उदय कोटक

Deepa Sahu
18 Dec 2020 2:14 PM GMT
दुनिया के सबसे अमीर बैंकर बने उदय कोटक
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उदय कोटक के साथ अगर एक क्रिकेट हादसा न हुआ

जनता से रिश्ता वेबडेस्क : उदय कोटक के साथ अगर एक क्रिकेट हादसा न हुआ होता तो शायह वह दुनिया के सबसे अमीर बैंकर न होते। मूल रूप से पश्चिमी गुजरात के रहने वाले कोटक जब 20 साल के थे तो एक गेंद उनके सर से टकरा गई थी। इसके चलते उन्हें आपातकालीन सर्जरी से गुजरना पड़ा था और एक पेशेवर क्रिकेट खिलाड़ी बनने का अपना सपना छोड़ना पड़ा था।

अपने परिवार के कपास व्यापार में थोड़े समय तक काम करने के बाद कोटक ने 26 साल की उम्र में फाइनेंस के क्षेत्र में उतरने से पहले मुंबई के प्रतिष्ठित जमनालाल बजाज इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज से एमबीए में प्रवेश लिया था। अब, ब्लूमबर्ग बिलियनेयर इंडेक्स के अनुसार 61 साल के कोटक के पास 16 बिलियन डॉलर की संपत्ति है।
कोरोना वायरस के कारण जब भारतीय बैंकों की स्थिति खस्ताहाल है, उदय के कोटक महिंद्रा बैंक का प्रदर्शन काफी बेहतर रहा है। कोरोना संकट के दौर में कोटक महिंद्रा बैंक पहली फर्म थी जिसने अपनी बैलेंस शीट मजबूत करने के लिए पूंजी जुटाई और निवेशकों का विश्वास बढ़ाया कि मौजूदा मंदी के बाद कंपनी की स्थिति सबसे बेहतर होगी।
शेयरों में 17 फीसदी का उछाल
उदय कोटक की रणनीति को इसी से समझा जा सकता है कि इस साल कोटक महिंद्रा बैंक के शेयरों में 17 फीसदी तक का उछाल आया है। इसके साथ ही उन्हें आने वाले और तीन साल के लिए चीफ एग्जीक्यूटिव अधिकारी (सीईओ) बने रहने की अनुमति मिल गई है। सबसे अमीर बैंकर होने के साथ उदय विश्व के 125वें सबसे अमीर व्यक्ति हैं।
आनंद महिंद्रा ने कही यह बात
महिंद्रा ग्रुप के चेयरमैन आनंद महिंद्रा ने उदय कोटक के लिए कहा, 'जहां तक मेरा सवाल है तो मैं मानता हूं कि उदय के लिए दुनिया का सबसे अमीर बैंकर होना दुनिया का सबसे स्मार्ट बैंकरों में से एक होना है। वह जानते हैं कि बैंक के लिए स्मार्ट रणनीति ही नहीं बल्कि अभेद्य प्रशासन भी जरूरी है।' बता दें कि महिंद्रा ग्रुप 1986 में कोटक से जुड़ा था।
उदय ने 1985 में परिवार और मित्रों से 30 लाख रुपये का कर्ज लेकर महिंद्रा के साथ भागीदारी में एक निवेश कंपनी शुरू की थी। बिल डिस्काउंट के काम के साथ शुरू हुई फर्म ने बाद में लोन पोर्टफोलियो, स्टॉक ब्रोकरिंग, इन्वेस्टमेंट बैंकिंग, इंश्योरेंस और म्यूचुअल फंड्स में विस्तार किया। 2003 में आरबीआई की अनुमति के बाद यह ऋणदाता में बदल गई थी.


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