व्यापार

हल्दी कीमतों में आई तेजी लेकिन किसान है अभी भी परेशान

Teja
25 Feb 2022 8:29 AM GMT
हल्दी कीमतों में आई तेजी लेकिन किसान है अभी भी परेशान
x
मराठवाड़ा में हिंगोली के बाद नांदेड़ जिले में सबसे ज्यादा हल्दी (Turmeric) की फसल उगाई जाती है

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | मराठवाड़ा में हिंगोली के बाद नांदेड़ जिले में सबसे ज्यादा हल्दी (Turmeric) की फसल उगाई जाती है.जिले में केले के बागों की जगह अब हल्दी की फसलों ने ले ली है.किसानों को हल्दी के खेती से अच्छा मुनाफा हो हो रहा था.लेकिन अब प्रकृति की अनियमितताओं के कारण हल्दी का रंग भी हल्का होता जा रहा है इस साल भारी बारिश और बेमौसम बारिश(unseasonal rain) के कारण उत्पादन सीधे तौर पर प्रभावित हो रहा है वर्तमान में, हल्दी की कटाई की जा रही है और फसल के दौरान किसानों ने देखा है कि खेतो में हल्दी सड़ चुके है. इसका सीधा असर उत्पादन पर पड़ रहा है,किसानों (farmer)का कहना है इस समय दरों में बढ़ोतरी हो रही है लेकिन उत्पादन घट रहा है ऐसे में हमे नुकसान ही हो रहा है खरीफ सोयाबीन, कपास, उड़द, हरा चना और अब हल्दी उत्पादक किसान किसान परेशान हैं क्योंकि हल्दी सरकारी सब्सिडी की श्रेणी में भी नहीं आती है.इसलिए किसान चिंतत है कि नुकसान की भरपाई कैसे हो पाएगी.

हल्दी सड़ने का वास्तव में क्या है कारण
हिंगोली के पारंपरिक फसलों को छोड़ने के बाद नांदेड़ जिले के किसानों ने भी फसल पैटर्न में बदलाव दिया और हलाद की खेती पर जोर देने लगे. इस साल प्रकृति की मार का असर अभी भी फसलों पर महसूस किया जा रहा है इस साल हुई बेमौसम बारिश का पानी कई खेतो में जमा हो गए थे,जिसके चलते एक महीने तक पानी मे हल्दी रहने से पूरी तरह से सड़ गए.हल्दी कि फसल पूरी तरह से जमीन में सड़ गए हैं जिससे अपूरणीय क्षति हुई है अब कटाई का काम शुरू हो गया है इस बीच किसान अनुमान लगाने में लगे हैं कि कितना नुकसान और होगा.
21 हजार हेक्टेयर में हल्दी की फसल
पिछले आठ-दस सालों में हल्दी से किसानों की आमदनी बढ़ी है,इसलिए नांदेड़ जिले में 21 हजार हेक्टेयर में हल्दी कि खेती की जा रही है लेकिन इस साल रकबा बढ़ा है लेकिन उत्पादन में भारी कमी आई है हल्दी की कीमत फिलहाल 9 से 10 हजार रुपये क्विंटल है लेकिन उत्पादन कम होने से किसानों को ज्यादा फायदा नहीं हो रहा है.
कोई सब्सिडी लाभ नहीं, कोई फसल बीमा नहीं
हल्दी की फसल सब्सिडी की श्रेणी में नहीं आती है इसलिए नुकसान के बावजूद मुआवजा मिलने की कोई संभावना नहीं है. दूसरी ओर, हल्दी पर फसल बीमा लागू नहीं होता है इसलिए, उत्पादन घटने और बढ़ने पर भी किसानों को लाभ और हानि वहन करना पड़ता है.किसान इन दोनों कारकों का लाभ नहीं उठा पा रहे हैं, जिससे अधिक नुकसान हो रहा है इसलिए किसानों की मांग है कि सरकार इससे कोई रास्ता निकाले.


Next Story